कीचड़ और दलदल से सराबोर रास्ते होकर अपना भविष्य तलाशने स्कूल जा रहे नौनिहाल,ग्राम पंचायत खूंटा बेदुलिहान की हालात हुई गंभीर, संवाददाता प्रेम तिवारी की रिपोर्ट

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हनुमना (कुंडेश्वर टाइम्स) ग्राम पंचायत खूंटा बेदुलिहान में आम जन हुए परेशान और उनके साथ बच्चे भी हुए परेशान ग्राम पंचायत रास्ते में भारी जल भराव के कारण आम जनों को होती है बड़ी परेशानी जिससे वह परेशान होकर वह सरकार से अपने रास्ते की गुहार लगाते हैं पर सरकार उसे पर कोई ध्यान न देकर उसे नजअंदाज कर देती है यह आम रास्ता लगभग 50 वर्षों से पूर्व यह आम रास्ता चला आ रहा है ना तो कोई इसमें मोराम पाड़ा न तो कोई आईसीसी की सड़क बनी आज तक उसे पर कोई कार्य नहीं किया गया जिसके कारण लोगों को हो रही बड़ी परेशानी सभी लोग हुए परेशान बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं बारिश के दिन चल रहे हैं और रास्ते में भारी जल भराव कर बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं भारी कीचड़ है और कीचड़ कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं पूरे गांव का पानी एक जगह एकत्रित होकर उसी रास्ते में भर चुका है और तरह-तरह के कीड़े बिच्छू मच्छर आदमी उत्पन्न हो रहे हैं जिससे बच्चों को और गांव के निवासियों को बीमारी का सामना करना पड़ सकता है और यह आम रास्ता पूरे गांव के लोगों का है जिसमें पूरे गांव के लोग का आवागमन निरंतर इसी रास्ते से चलता रहता है और यह रास्ता ग्राम पंचायत भवन तक भी जाती है पर इस पर कोई आज तक कार्रवाई नहीं कराई गई बारिश बीते लगभग 10 दिन बीत गए हैं फिर भी इस रास्ते का जल भरा अभी तक काम नहीं हुआ है बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं सरकार की बड़ी लापरवाही जिसके कारण छोटे-छोटे बच्चे शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं। सरकार ना तो वहां पर एक पल का निर्माण करती और ना ही एक रास्ते का निर्माण कर पा रही है जिससे बच्चे और आमजन मजबूर होकर उसी रास्ते पर चल रहे हैं सरकार की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है।

कागजों में दिख रहा विकास

उपरोक्त मामले में ग्रामीणों ने बताया कि सरकार का विकास कागजों में दिख रहा है जहां एक और गांव-गांव पक्की सड़क बनाने का ढोल पीट रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आम जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है तो वही खूंटा गांव की स्थिति सरकार की पोल खोलती है और असलियत को बताती है कि यहां किस तरह का विकास हुआ है।

कीचड़ और दलदल से होकर स्कूल पहुंचते हैं बच्चे


घुटने भर कीचड़ और दलदल से गुजर कर गांव के नौनिहाल विद्यालय पहुंचते हैं ऐसी स्थिति में क्या हम इनके उज्जवल भविष्य की संभावनाएं देख सकते हैं और क्या यह माना जा सकता है कि मध्य प्रदेश में ऐसे सुदूर गांव में प्रतिभाओं को सही स्थान मिल सकता है और उनका भविष्य उज्जवल हो सकता है उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सकती है या अच्छी सुविधा प्राप्त हो सकती है यह प्रश्न चिन्ह सरकार पर बना हुआ है।

सड़क के साथ-साथ और भी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है सुदूर गांव के लोगों को

नवगठित मऊगंज जिले के हनुमाना तहसील अंतर्गत कई गांव ऐसे हैं जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं निरंतर सरकार विकास की अनेक घोषणाएं कर रही है पर विकास की किरण इन गांव तक नहीं पहुंच पा रही है इसमें किसकी लापरवाही है आखिर क्या ऐसा कारण है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी इन गांव में सड़क बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है देखने वाली बातें होगी कि क्या आने वाले समय भी इन गांवों के लिए एक अभिशाप बन कर गुजरेगा या फिर आशा और उम्मीद की कोई किरण जागेगी और इन सुदूर व्यक्ति गांव को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी

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