गोवर्धन पूजा पर विशेष… पशुओं की उपेक्षा,प्रकृति के साथ खिलवाड़–उमाकांत द्विवेदी

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दीपावली की सुबह हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गोवर्धन पूजा करने की औपचारिकता पूर्ति की गई औपचारिकता इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि गोवर्धन पूजा करने वाले अधिकांश पुजेरियों के घर में गोवंश नहीं हैं इनका गौ सेवा से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है अब जरा गौर करिए वर्ष में एक दिन मवेशियों को गुड़ और चना खिलाने से क्या होगा जब पूरे वर्ष भर मवेशियों को बेसहारा हालत में सड़कों पर छोड़ देना है चारा पानी के अभाव में मवेशी प्राण त्याग रहे हैं सड़कों पर बेमौत मारे जा रहे हैं उनका कोई ठिकाना नहीं है दर-दर भटक रहे मवेशियों की चिंता सरकार कितना करती है समाज सेवी कितना करते हैं राजनीतिक पार्टियां कितना करती हैं सब जग जाहिर है सच्चाई यही है कि किसी को कोई चिंता नहीं है क्योंकि यदि चिंता होती तो मवेशी आज दर-दर भटकने पर मजबूर ना होते जबकि इन पशुओं का महत्व सभी को पता है इन्हें जीवन दायिनी भी कहा जाता है इनके दूध का पूरे विश्व में कोई विकल्प नहीं है इनका विकल्प जब-जब तलाशा गया तब तब वह जहर साबित हुआ है चाहे नकली दूध हो या रासायनिक खाद हो दोनों जहर के समान है कुल मिलाकर पशुओं की प्रताड़ना उनके प्रति असंवेदनशीलता का मतलब प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना है क्योंकि मवेशी प्रकृति की अत्यंत उपयोगी सुंदर रचना है इधर मनुष्य पृथ्वी पर रहने वाले हर जीवों से ज्यादा बुद्धिमान माना जाता है पृथ्वी का संचालन भले ही कोई शक्ति कर रही हो लेकिन सीधे तौर पर पृथ्वी की व्यवस्था मनुष्यों के जिम्मे है अब यदि मनुष्य इस व्यवस्था के संचालन में असंवेदनशील हो जाता है और व्यवस्था डगमगाती है तो इसका सीधा मतलब यह है की प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है जबकि प्रकृति के साथ खिलवाड़ यदि होगा तो मनुष्य भी सुरक्षित नहीं रहेगा स्थिति यह है कि देश की आबादी तीव्र गति से बढ़ रही है और पशुओं की आबादी तीव्र गति से घट रही है यदि पशुओं की दुर्दशा इसी तरह से होती रही तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब यह पशु बिलुप्त होने की कगार पर पहुंचेंगे तब जरा सोचिए क्या होगा इस गंभीर समस्या का समाधान क्या है इस पर सभी को विचार करने की आवश्यकता है लेकिन इतना जरूर है कि जिनके घरों में मवेशी नहीं पाले जाते उनका दूध या दूध से बनी कोई भी सामग्री का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि जिस तरह से किसी व्यक्ति के पास अपना एक घर होता है अपना एक जल स्रोत होता है तथा उपयोग की सारी व्यवस्था अपनी खुद की होती है उसी प्रकार से अपना गोवंश भी होना चाहिए इसके अलावा सरकार को भी गौशाला तथा गौअभ्यारण बनाने पर गंभीर होना चाहिए तभी पृथ्वी पर सकुशल रहने की कल्पना की जा सकती है।

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