घड़ी की सुइयों के 12 बजाते ही गिरजाघरों में प्रभु यीशु के जन्मदिन के कैरोल गीत गाए जाने लगे प्रभु यीशु के जन्म की खुशियां मनाई गईं।

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थांदला। से मनीष वाघेला  घड़ी की सुइयों के 12 बजाते ही गिरजाघरों में प्रभु यीशु के जन्मदिन के कैरोल गीत गाए जाने लगे        प्रभु यीशु के जन्म की खुशियां मनाई गईं।

गिरजाघर परिसर में ही प्रतीकात्मक जुलूस निकाला गया

प्रार्थना कर प्रभु यीशु के जन्म की कहानियां सुनाईं गईं

 

कैथेड्रल गिरजाघर में घड़ी की सुइयों ने जैसे ही रात के 12 बजाए वैसे ही आतिशबाजी के बीच कैरोल गीत गाए जाने लगे। लोग एक दूसरे को प्रभु यीशु के जन्म लेने की बधाइयां देने लगे। जन्म की खुशी में प्रतीकात्मक जुलूस निकाला गया। परिसर में यीशु के जन्म की खुशियां मनाई गईं। इससे पहले बिशप डॉ बसिल, ने गिरजाघर में लोगों को प्रभु यीशु के जन्म और उनके संघर्षों से जुड़ी कहानियां सुनाईं। लोगों ने प्रार्थना सभा में देश को कोरोना मुक्त होने का प्रभु यीशु से आशीर्वाद मांगा।

रोशनी में नहाया थांदला का कैथेड्रल चर्च, गुरुवार एक बजे रात प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाने जुटे लोग

 

रंगीन रोशनी में नहाया गिरजाघर।

क्रिसमस के अवसर पर कैथेड्रल और मसीह गिरजाघर को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया था। गिरजाघरों की सजावट देखते ही बन रही थी। कोरोना महामारी के कारण चर्च में लोगों की उपस्थिति काफी कम रही।

 

गिरजाघर में प्रभु यीशु के जन्म पर कैरोल गीत गाए गएप्रभु यीशु के जन्म से जुड़ी बातें डॉ. बेसिल जी भूरिया, द्रमाद्यश बिशप जी ,फादर अंतोन जी कटारा पली पुरोहित, फादर सोनू वसुनिया, ने आराधना सभा में बताया कि प्रभु यीशु के जन्म को लेकर न्यू टेस्टामेंट में कहा गया है कि ईश्वर ने अपना एक दूत जिसका नाम ग्रैबियल था उसे मरियम के पास भेजा था। उसने मरियम को बताया कि तुम ईश्वर को जन्म दोगी। बच्चे का नाम जीसस होगा। चूंकि मरियम कुंवारी थीं इसलिए ग्रैबियल ने कहा एक पवित्र आत्मा आएगी। वह उसे शक्तियां देगी। उसके बाद मरियम का विवाह जोसेफ नाम के युवक से हुआ।

 

देवदूत ने जोसेफ से कहा कि मरियम का ध्यान रखे, उसे न छोड़े। जोसेफ और मरियम नाजरेथ में रहते थे। नाजरेथ रोमन साम्राज्य में था। तत्कालीन रोमन सम्राट आगस्तस ने जनगणना की आज्ञा दी। इसलिए जोसेफ और मरियम को अपना नाम लिखवाने के लिए बैथेलहम जाना पड़ा। भीड़ होने के कारण सभी धर्मशालाएं पूरी तरह से भरी हुई थीं इसलिए जोसेफ और मरियम को इधर-उधर भटकना पड़ा। अंत में दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली जहां मरियम ने प्रभु यीशु का जन्म दिया। उन्हें एक चरनी में लिटाया गया। वहां कुछ गड़ेरिए भेड़ चरा रहे थे, उन्होंने लोगों से बताया कि देवदूत का जन्म हुआ है। ये भगवान ईसा हैं।

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