“जंग हमारी जारी है,कोरोना पर हम भारी है”…कोरोना को मात देने वाली शोधार्थी क्रांति ने विंध्यसत्ता के साथ किया अनुभव साझा-विकास भारद्वाज”पाठक की खास चर्चा

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वास्तव में यह कह देना कि कोरोना नाम का केवल एक भ्रम फैलाया जा रहा है, यह ठीक उसी प्रकार होगा की जैसे हम सूर्य के प्रकाश को देख कर भी अनदेखा करने हेतु अपनी आंखें बंद कर लें।इस चीज को नकारा नहीं जा सकता कि कोरोनावायरस नहीं है, वास्तव में यह है तो बीमारी लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं है कि हम उस से जीत नहीं सकते।मैंने स्वयं अपने जीवन में अनुभव किया है जब बीते 09/04/2021 को मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो थोड़ा सा मुझे भी डर लगा, फिर भी मैंने धैर्य और संयम से काम लिया । जिस प्रकार आए दिन सोशल मीडिया पर अनवरत हाहाकार मचा हुआ था उससे बड़े-बड़े धैर्य धारकों का धैर्य भी टूट सकता है।परिणामस्वरूप सर्वप्रथम मैंने अपने नंबर बंद किए,सोशल मीडिया से सारे संपर्क बिल्कुल बंद कर दिए और केवल कोरोना से ठीक होने के उपायों पर ध्यान देने लगी ।वर्तमान समय में लोगों ने सोशल मीडिया को एक ऐसा प्लेटफार्म बना लिया है जिसमें अगर वह सांस भी लेते हैं,भोजन भी करते हैं, उसे भी शेयर करने से नहीं चूकते ।सोशल मीडिया हमारे इन सब कार्यों के लिए नहीं है । किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है तो वह सोशल मीडिया से ऐसे मदद मांग रहा है जैसे सोशल मीडिया एक प्लेटफार्म ना होकर एक डॉक्टर है, जिससे तुरंत उपचार प्राप्त होगा ।जिस वक्त हमें सर्वाधिक घर की आवश्यकता है,अपनी दिनचर्या एवं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है, उस समय हम सोशल मीडिया में तरह-तरह की पोस्ट डालकर हम प्रत्येक व्यक्ति के अंदर भय पैदा कर रहे हैं । किसी के घर में अगर दुखद परिस्थिति भी है, तो लोग उन परिजनों की फोटो शेयर करने में व्यस्त हैं, भले हीं वह आपत्तिजनक फोटो हीं क्यों न हों, किसी परिजन की चिता जल रही है,उसकी वीडियोज-फोटोज तक लोग फेसबुक पर शेयर करने से नहीं चूक रहे हैं, कोई यह नहीं सोचता जब तक वही परिजन हमारे बीच उपस्थित थे हम उनके पैर छूने से भी कतराते थे,घुटनों तक हाथ जाता था और शर्म के मारे लौट जाता था,उन्हीं परिजनों के आज इस दुनियां से दिवंगत होने पर उनकी कैसी कैसी फोटो शेयर करना एक लोगों में भय का माहौल पैदा करना कहां तक उचित है ?
आधी मृत्यु तो लोगों के डर के मारे हो जाती है, पता नहीं कितने शोध कार्य हुए हैं जिन में हम यह स्पष्ट रूप से देख सकते हैं 95०/० लोगों की मृत्यु किसी महामारी या बीमारी से न होकर केवल उसके डर से हो जाती है । जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि मैं भी इस वायरस की चपेट में आ गई हूं, उस समय मैंने धैर्य और संयम से काम लिया, सदा से मेरा हर चीज को लेकर एक अलग दृष्टिकोण रहता है, मैं किसी भी चीज का निर्णय स्वयं की अनुभूतियों और विचार मंथन के उपरांत हीं करती आई हूं, इस बीमारी को लेकर भी मेरा कुछ ऐसा ही विचार हुआ,जब मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मैं घर में अपने परिवार के साथ में थी, जब मेरे पास मैसेज आया कि मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव है, उस समय मैंने घर में किसी को ना बताते हुए वहां से एक अलग जगह पर स्वयं को क्वरंटाइन कर लिया,उस समय मेरे मन में एक और विचार ने जन्म लिया, मैंने घर के किसी भी सदस्य को यह आभास नहीं होने दिया कि मुझे कोरोना है तो उसका एक परिणाम यह भी देखने में आया कि घर में किसी को कुछ नहीं हुआ,घर का कोई भी सदस्य बीमार नहीं पड़ा, शिवाय पिताजी के उनकी आयु 63 वर्ष है उन्हें हल्की सर्दी और जुकाम हुई उसके बाद वह भी कुछ दिनों उपरांत ठीक हो गई, तब मैंने सोचा कि इतने दिन साथ में रहने पर जब इन लोगों को कुछ नहीं हुआ, तो अगर मैं इस चीज का डर अपने अंदर से निकल दूं की मुझे कोई कोविड नाम की बीमारी भी है,तो मैं बिना हॉस्पिटल में एडमिट हुए भी स्वयं से ठीक हो सकती हूं और मैंने ठीक वैसा हीं किया ।धैर्य और संयम से काम लेते हुए मैं अपना उपचार स्वयं से करना आरंभ की, यहां तक कि मैं दोबारा लौटकर हॉस्पिटल नहीं गई।गनीमत यह भी कहें कि जो लोग पॉजिटिव हो चुके थे उनमें से कुछ लोगों से मेरी बात हो चुकी थी, मैं इस बात को समझ चुकी थी कि यह किन कारणों से होता है इसमें क्या क्या उपचार करने से लोग ठीक हो रहे हैं बस इसी आधार पर मैंने स्वयं का उपचार आरंभ किया ।कोरोनावायरस के कुछ लक्षण है उनसे जीतने के लिए मैंने कुछ चीजों का प्रयोग किया आप भी उसे अपने नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना कर कोरोना को हरा सकते हैं :- पूर्व से हीं मेरे नियमित दिनचर्या में कुछ प्राणायाम सम्मिलित हैं -उदगीत,भ्रमरी,अनुलोम विलोम एवं मेडिटेशन (ध्यान) इसके साथ हीं अगर हम सिर्फ नियमित रूप से ओम का उच्चारण मुंह बंद करके करें, तो उससे भी काफी फायदा मिलता है, हमारी सांस नहीं फूलती, नींबू की 4-6 बूंदे नाक में डालकर उसे मुंह की तरफ खींचने से भी ऑक्सीजन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। भोर की स्वच्छ वायु लेना भी मेरे लिए काफी फायदेमंद रहा,इसी के साथ मैंने जितना अधिक हो सका विटामिन सी में – टमाटर, आंवले का चूर्ण पानी में घोलकर नियमित लेती रही,कच्चे आम का रस (पना), आरंभ में जब मुझे बुखार आए तो मैंने पेरासिटामोल टेबलेट एंटीबायोटिक के साथ आरंभ की, उसी के साथ महासुदर्शन चूर्णं, दिन में तीन बार दो दो चम्मच एक कप पानी के साथ में लेती थी । दोपहर में दही या मट्ठे का शरबत शाम को गुनगुना हल्दी वाला दूध और जितनी भूख हो उतना भोजन लेकर जितना अधिक संभव हो नींद लेनी चाहिए, किसी भी प्रकार का तनाव इस बीमारी में मुख्य भूमिका रखता है ।अतः जितना हो सके हमें समस्त उलझनों को त्याग कर केवल अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, संभव हो तो फोन से दूरी बनाकर केवल अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर अच्छा खानपान और समय-समय पर उपयुक्त दवाइयों का सेवन करना चाहिए, तमाम उपयुक्त चीजों का प्रयोग कर कोरोनावायरस से पूर्ण रूप से छुटकारा पाया जा सकता है ।
सुझाव-: जैसे प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में समय के अनुरूप आए दिन परिवर्तित होते हैैं,वह एक छोटे बच्चे से युवा अवस्था को प्राप्त कर समय के साथ वृद्ध होता है, ठीक उसी प्रकार कोरोनावायरस के स्वरूप में भी परिवर्तन आया है । वर्तमान समय में जो वायरस हमारे समक्ष है उसमें भी इसी प्रकार के स्वाभाविक गुण पाए गए हैं।
अतः वायरस के स्वरूप में भी परिवर्तन देखने को मिला है, वर्तमान समय में जो कोरोनावायरस हमारे समक्ष हैं उसके फैलने की गति अत्यंत तीव्र है, ठीक इसके विपरीत लोगों को इस वायरस से छुटकारा पाने में केवल कुछ हीं समय लग रहा है, जितने अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, उससे कहीं अधिक संख्या में लोग इससे ठीक भी हो रहे हैं ।
सर्वप्रथम अगर हमें किसी चीज़ की आवश्यकता है तो केवल दो मेडिसिन की जो आरंभ से अंत तक प्राथमिक उपचार के रूप में कार्य करती हैं :-
1) धैर्य ।
2) साहस ।

कोरोना से जीत कर, आई हूं मैं आज।
कोरोना अब रह गया, केवल खुजली खाज।।

क्रांति पाण्डेय’दीपक्रांति’
पी०एच०डी०(शोधार्थी)

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