देखो देखो कौन पधारें – भक्तों के भगवान पधारें जय घोष के साथ धर्मदास गण नायक का हुआ मंगल प्रवेश,23 वर्षों बाद मिले चातुर्मास से सकल संघ में अपार उत्साह,थांदला से कुंण्डेश्वर टाइम्स ब्यूरो मनीष वाघेला की रिपोर्ट

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थांदला। जिनशासन गौरव जैनाचार्य पण्डित रत्न पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” के अंतेवासी शिष्य धर्मदास गण के नायक प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्री जिनेंद्रमुनीजी, पूज्य श्री अभयमुनिजी, पूज्य श्री गिरीशमुनिजी, पूज्य श्री शुभेषमुनिजी आदि ठाणा – 4 का मंगल प्रवेश खवासा कि ओर से तीर्थंकरों व युग पुरुषों के जय घोष के साथ थांदला आजाद चौक स्थित पौषध भवन में हुआ। जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत, मंत्री प्रदीप गादिया, प्रवक्ता पवन नाहर, ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पिचा सचिव जितेंद सी. घोड़ावत ने बताया कि 23 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पूज्य श्री का वर्षावास थांदला नगर को मिलना सुखद अहसास है। इस बार अधिमास होने से थांदला को 5 माह का चातुर्मास लाभ मिलेगा जो आगामी 4 जुलाई से प्रारम्भ हो जाएगा। इसी के साथ थांदला में आप ही की आज्ञानुवर्ती विदुषी महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा., पूज्या श्री दिव्यशीलाजी म.सा., पूज्या श्री प्रियशीलाजी म.सा. एवं पूज्या श्री दीप्तिश्रीजी म.सा. आदि ठाणा – 4 का भी थांदला वर्षावास होने से थांदला को दोहरी खुशी का लाभ मिल रहा है। कोरोना काल में संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए साधु – साध्वी की छत्रछाया में श्रावक – श्राविका मिलकर चतुर्विध संघ रूप में ज्ञान-दर्शन-चरित्र-तप की धर्म आराधना कर स्व पर का कल्याण करेंगे। ज्ञातव्य है कि विगत होली चातुर्मास के दौरान पूज्यश्री का चातुर्मास नमकमंडी उज्जैन को मिला था परंतु वहाँ के संघ की उदारता रही कि वर्तमान कोरोना संक्रमण काल की परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने भी पूज्यश्री को विनंती पत्र देते हुए उन्हें उज्जेन चातुर्मास बदलने के लिये राजी कर लिया, सन्त समाज को किसी भी प्रकार का कष्ट ना हो व वे स्वस्थ रहकर जिनशासन की प्रभावना कर अपने आत्म लक्ष्य को साध सके इस दृष्टि से थांदला संघ कि वर्षों की विनंन्ति का प्रतिफल स्वरूप वर्ष 1997 के बाद अब 2020 का वर्षावास थांदला को मिला है।

नही होंगे प्रवचन दर्शन भी दूर से

संघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने बताया कि जैन संघ एक अनुशासित संघ है इसलिए वह वर्तमान कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन के हर नियमों का पालन करेगा। इस हेतु फिलहाल उनके प्रवचन नही होंगे व सन्तों के दर्शन भी दूर से करने के निर्देश दिए है। वही किसी भी प्रकार के बड़े धार्मिक आयोजन भी नही होंगे। केवल सीमित संख्या में अलग अलग समय पर दर्शनार्थियों व रत्न त्रय आराधकों को प्रवेश दिया जाएगा वही बाहर से आने वाले दर्शनार्थियों को भी आने से पूर्व संघ को सूचना देना अनिवार्य होगी।

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