पुज्य श्रीधर्मदासजी म.सा. की जयंती पर हुए 500 आयम्बिल। मनीष वाघेला

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पुज्य श्रीधर्मदासजी म.सा. की जयंती पर हुए 500 आयम्बिल।                                                          मनीष वाघेला

महापुरुष जिन शासन की रक्षा के लिए प्राणों तक का बलिदान करते है – जिनेन्द्रमुनिजी

थांदला। जिन शासन में तप की महिमा को शिरोधार्य करते हुए जिन शासन गौरव जैनाचार्य उमेशमुनिजी “अणु” के आज्ञानुवर्ती प्रवर्तक आगम विशारद जिनेन्द्रमुनिजी आदि ठाणा – 4 एवं पूज्या श्रीनिखिलशीलाजी आदि ठाणा – 4 के मंगलमय वर्षावास में जैनाचार्य पुज्य श्रीधर्मदासजी म.सा. की 351 वीं दीक्षा जयंती आयम्बिल तप आराधना के साथ मनाई गई। जानकारी देते हुए श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, प्रवक्ता पवन नाहर व ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पिचा ने बताया कि पूरे वर्षावास में थांदला के नन्दन पुज्य गुरुदेव की भावना अनुरूप प्रवर्तक देव ने जिन शासन की पाट परम्परा को निर्वाहीत करने वाले जैनाचार्य पुज्य श्रीधर्मदासजी म.सा. की दीक्षा जयंती पर 500 आयम्बिल करने का आग्रह किया था। लक्ष्य बड़ा था लेकिन गुरु कृपा से थांदला नगर के हर जैन परिवार के अलावा अन्य समाजजनों ने भी आयम्बिल तप की आराधना कर गुरुदेव के प्रति अपनी अनन्य आस्था प्रकट की। नवपद ओलिजी की आराधना के पांचवें दिन पुज्य श्रीधर्मदासजी की 351वीं दीक्षा जयंती के सुअवसर पर प्रवर्तक देव ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सभी गुरुदेव की सम्प्रदाय में धर्म आराधना कर रहे है, इसलिए उनके उपकारों का स्मरण एवं उनके प्रति अपनी आस्था तप आराधना द्वारा ही प्रकट की जाती है। पूज्यश्री ने कहा कि जैनाचार्य धर्मदासजी जैन जगत के प्रभावी सन्त हुए है, उनका जीवन यश की चाहना से परे जैन धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप ही रहा है उन्होंने जिन शासन की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया था। पुज्य गिरिशमुनि ने कहा कि व्यक्ति जन्म से नही कर्म से महान बनता है तभी भावसार जाती में जन्म लेने के बाद भी पूज्य श्रीधर्मदासजी जिन शासन के सिरमौर बनकर वंदनीय है। आज उनके 99 वें शिष्य परिवार 22 सम्प्रदाय में विभक्त होकर जिन शासन को दीपा रहे है। आज के सम्पूर्ण आयम्बिल तप एवं उनके पारनें के लाभार्थी समाजसेवी शांताबेन नाकुसेठ तलेरा परिवार रहे।

नवपद ओलिजी की आराधना का पाँचवा दिन

आज नवपद ओलिजी के पांचवें दिन नमो लोए सव्वसाहूणं पद का विस्तृत विवेचन करते हुए पुज्य श्रीजिनेंद्रमुनिजी ने लोक के सभी निर्ग्रन्थ साधुओं के 27 गुणों का स्मरण करते हुए 27 लोगस्स, 27 वंदना के साथ श्याम वर्ण का ध्यान करने की प्रेरणा दी।
आपको बता दे पूज्यश्री विगत एक सप्ताह से नगर के जैन घरों की स्पर्शना करते हुए उन्हें जिन शासन के अनुरुप जीवन यापन की प्रेरणा दे रहे है जिनसे प्रेरित होकर अनेक श्रावक श्राविका नित्य सामयिक करने के साथ ही रात्रि भोजन त्याग, जमीकंद त्याग व वायदा बाजार आदि व्यसनों के आजीवन त्याग ग्रहण कर रहे है। वही अनेक श्रावक श्राविका पुज्य श्री के सानिध्य में 32 वा आगम प्रतिक्रमण, समकित छप्पनी, थोकड़े आदि का ज्ञानार्जन कर विविध तपस्या भी कर रहे है इसी तारतम्य में आज रवि माणक लोढ़ा ने 5 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये।

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