देवतालाब- केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में किसानों का आंदोलन विगत कई दिनों से अनवरत जारी है केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता असफल रही है बेनतीजा साबित हुई किसानों और सरकार के बीच चर्चाओं के दौर से किसानों में व्यापक असंतोष बढ़ता जा रहा है और इस खाई को और गहरी बनाने के लिए मोदी सरकार विरोधी सभी राजनीतिक पार्टियां पुरजोर प्रयास में लगी है आंदोलनरत किसानों द्वारा सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया गया जिस के समर्थन में कांग्रेस सहित सरकार विरोधी विपक्ष की सभी पार्टियों ने अपना विरोधी धर्म निभाते हुए किसानों के द्वारा आयोजित भारत बंद के आह वाहन को मजबूत बनाने का काम किया लिहाजा उक्त भारत बंद का असर ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा गया इसी कड़ी में रीवा जिले के देवतालाब में भी भारत बंद का समर्थन करते हुए किसान नेता सड़क पर उतरे और शांति पूर्वक ढंग से व्यापारियों से किसानों के समर्थन में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने की अपील की गई जिस पर व्यापारियों ने अपनी दुकानें कुछ समय के लिए बंद कर ली लिहाजा भारत बंद का आंशिक असर देवतालाब में भी देखा गया ।
अन्नदाता ओं का दर्द ना समझने वालों को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं– आर.बी. शर्मा
भारत बंद के समर्थन में देवतालाब क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी व किसान नेता आर.बी. शर्मा ने कहा कि विगत कई दिनों से देश का अन्नदाता किसान केंद्र सरकार से अपनी गुहार लगाते हुए दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलित है परंतु केंद्र सरकार पूरी तरह से हिटलर शाही पर उतारू है और किसानों की आवाज को दबाना चाहती है परंतु देश की जनता वर्तमान सरकार की नीतियों रीत को भली भाग जा चुकी है इसलिए अब कोई बहाना नहीं चलेगा । सेवानिवृत्त डीएसपी व किसान नेता आर.बी. शर्मा ने कहा कि सरकार व देश के प्रधानमंत्री किसान हितैषी बनने की बात करते तो हैं तो किसानों की बात मानने से परहेज किस प्रकार का श्री शर्मा ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां किसानों पर किसी प्रकार का काला कानून थोपना सरकार और प्रधानमंत्री की हिटलर शाही ही प्रदर्शित करता है जब देश का किसान कृषि कानून नहीं चाहता तो सरकार को किसानों के हित में कृषि कानून वापस लेना चाहिए । भारत बंद का समर्थन करते हुए जनपद सदस्य अशोक सोनी ने कहा कि कृषि कानून से यदि किसानों को आपत्ति है तो किसान हितैषी सरकार को ऐसे कानून पर तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए साथ ही देश के किसानों की बात सुनते हुए उनकी मांग पूरी की जानी चाहिए । इस दौरान किसान नेता डा अमर पटेल ने कहा कि किसानों की मांग पूरी तरह से जायज है और केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेरोजगारी भुखमरी,महंगाई जैसे जटिल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए समय-समय पर इस तरह का कार्य निरंतर किया जाता रहा है और अपनी उसी नीति के तहत कृषि कानून को जबरन आम किसानों पर थोप कर किसानों को आंदोलन के लिए उकसाया गया है जिससे एक बार फिर देश की जनता का ध्यान किसान आंदोलन पर केंद्रित हो गया है । डा अमर पटेल ने कहा कि इस बार प्रधानमंत्री मोदी की कोई चालाकी नहीं चलेगी और उन्हें कृषि कानून वापस लेना पड़ेगा । इस दौरान किसान नेता आर.बी. शर्मा.जनपद सदस्य डॉ अशोक सोनी,डा. अमर पटेल,आनंद प्रताप सिंह (गनिगवां) के.पी. सिंह, कृष्ण मणि तिवारी,तेज प्रताप तिवारी, कमलेश पांडे,दिवाकर तिवारी,कृष्ण कुमार पांडे,श्रीनिवास तिवारी,विपिन शुक्ला,शैलेंद्र तिवारी,मयंक तिवारी, आलोक तिवारी,अवनीश मिश्रा,बब्बी तिवारी,अशोक सहित बड़ी संख्या में किसान कार्यकर्ता गण शामिल रहे