देवसर(kundeshwartimes)- जनपद पंचायत देवसर इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है पंचायतों में फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए का वारा न्यारा खुलेआम किया जा रहा है और मामला सामने आने के बाद भी जनपद के जिम्मेदार अधिकारी जांच एवं कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं ऐसे में साफ तौर पर जाहिर होता है कि जिम्मेदारों की मिलीभगत से पूरा खेल हो रहा है ज्ञात हो कि जनपद पंचायत देवसर के ग्राम पंचायत मजौना में इन दिनों सुमित कंस्ट्रक्शन के नाम से तमाम बिल लगाकर लाखों रुपए का बारा करने का मामला सामने आया है यह मामला जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में बहुत पहले ही पंहुच चुका है फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, फर्जी बिल मामले में कार्यवाही न करने से एक ओर जहां जनपद के जिम्मेदारों पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है वही पंचायतों में फर्जी बिल लगाकर राशि आहरित करने का सिलसिला अनवरत जारी है।
लाखों का होता है वारा न्यारा
जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि मजौना पंचायत में फर्जी बिल लगाकर लाखों का वारा न्यारा हो रहा है जाहिर सी बात है जो सामग्री की खरीदी करनी है तो दुकान से खरीदी दी जा सकती है तथा किसी दुकान संचालक के नाम से बिल लगाकर राशि आहरित की जा सकती है लेकिन एक ऐसे दुकानदार से सामान की खरीदी की जा रही है जिसके पास कोई दुकान ही नहीं है ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि फर्जी बिल लगी हुई है तथा फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए आहरित कर आपस में बंदरबांट कर लिए गए हैं
कार्रवाई करने से कतरा रहे जिम्मेदार
मजौना पंचायत में फर्जी बिल लगाने का मामला जनपद के जिम्मेदारों की संज्ञान में अच्छी तरह पहुंच चुका है लेकिन इस संबंध में आज तक कोई भी जांच एवं कार्यवाही नहीं की गई जबकि आरईएस के एसडीओ अरुण चतुर्वेदी एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित तमाम जिम्मेदार इस मामले के संबंध में अच्छी तरह वाकिफ है लेकिन कार्यवाही ना कर पंचायतों में फर्जी भुगतान को बढ़ावा दे रहे हैं
सरकारी राशि का जमकर हो रहा दुरुपयोग
मजौना पंचायत में फर्जी बिल लगाकर राशि जारी करने का मामला सामने आने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि पंचायतों में विकास कार्यों के लिए आने वाली राशि का जमकर दुरुपयोग हो रहा है क्योंकि जिस तरह से एक ऐसे दुकानदार से सामग्री की खरीदी की जा रही है जिसके पास दुकान ही नहीं है इसका सीधा सा मतलब की सामग्री की खरीदी नहीं की जा रही है बल्कि फर्जी बिल लगाकर राशि आहरित की जा रही है यानी निर्माण कार्यों में सिर्फ औपचारिकता की पूर्ति कर सरकारी राशि का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है।