लालजी टंडन के बेटे और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्विटर पर अपने पिता की मृत्यु की पुष्टि करते हुए लिखा – ‘बाबूजी नहीं रहे’.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 12 अप्रैल 1935 को पैदा हुए टंडन 12 साल की उम्र में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और वार्ड पार्षद से लेकर गवर्नर के पद तक पहुंचे। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टंडन को लखनऊ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। इससे पहले तक लखनऊ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद चुने जाते थे।
बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शामिल टंडन वर्ष 1960 में पहली बार पार्षद चुने गए थे। दो बार पार्षद रहने के बाद 1978 में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए। 1978 से 1996 के बीच वे दो बार विधान परिषद के भी सदस्य रहे। फिर 1996 में पहली बार वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। तीन बार विधायक रहने के बाद उन्होने 2009 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। वे पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े थे और 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर वाजपेयी की विरासत को बरकरार रखा था।
टंडन 1991-92 में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने। वे यूपी में बीजेपी और बीएसपी के गठबंधन वाली सरकार में नगर विकास मंत्री थे। विधानसभा में वे विपक्ष के नेता भी रहे। 23 अगस्त, 2018 को उन्हें पहली बार बिहार का राज्यपाल बनाया गया था। 29 जुलाई, 2019 को वे एमपी के राज्यपाल बने थे।