भोपाल(kundeshwartimes)- मध्य प्रदेश में अधिकारियों- कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं होगी। राज्य सरकार ने विधानसभा में बुधवार को साफ किया कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कर्मचारियों की मांग से जुड़ा यह प्रश्न सदन में उठाया था। जब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने साफ कर दिया कि विभाग के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है तो कांग्रेस विधायक दल ने सरकार को कर्मचारी विरोधी बताते हुए बहिर्गमन कर दिया।
प्रश्नकाल में सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि कर्मचारी संगठन वर्ष 2005 के पहले की पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। कई कर्मचारी संगठनों ने मांग पत्र सौंपकर सरकार से अनुरोध भी किया है पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
उन्होंने पूछा कि क्या इस संबंध में कोई विचार किया जा रहा है। वित्त मंत्री का नहीं का जवाब आने पर नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार के पास चीतों के लिए तीन सौ करोड़ रुपये हैं पर कर्मचारियों को देने के लिए राशि नही है। जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां इसे लागू किया जा चुका है। सरकार कर्मचारी विरोधी है और कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात कर रही है। वित्त मंत्री ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि सरकार ने कर्मचारी हित में कई कदम उठाए हैं। विपक्ष मंत्री के उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ।
प्रदेश में नई पेंशन के डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारी
उधर, विधानसभा के एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने बताया कि प्रदेश में नई पेंशन वाले डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारी हैं। राष्ट्रीय पेंशन योजना वर्ष 2005 से लागू हुई है। इसमें कर्मचारी को 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है। जबकि, सरकार 14 प्रतिशत अंशदान देती है। विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने पिछले माह भोपाल में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन भी किया था।
कांग्रेस की सरकार बनेगी तो लागू करेंगे
विधानसभा में वित्त मंत्री द्वारा पुरानी पेंशन योजना का कोई प्रस्ताव न होने की बात कहने पर कांग्रेस के विधायकों ने सदन के बाहर नारेबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मीडिया से चर्चा में कहा कि सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है। अनुपूरक बजट में भी इस पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं। यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है। जब हमारी सरकार आएगी तो पुरानी पेंशन लागू की जाएगी।