ग्रा.पं. सिंगपुर में सरपंच ,सचिब व उपयंत्री ने किया बंदर बांट , बरिष्ठ अधिकारी नही करते कार्यवाही
दमोह / पटेरा (kundeshwartimes)– ग्रामपंचायत-सिंगपुर में मनरेगा योजना से करवाये गए ग्रेवियन निर्माण कार्य मे सरपंच, सचिब एवं उपयंत्री की मिलीभगत से भारी लापरवाही की गई है।
मामला यह है कि ग्रामपंचायत द्वारा ग्रेवियन निर्माण करवाये गए है जिसमे ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि जिस जगह का नाम पोर्टल पर प्रदर्शित किया गया है एवं जिस जगह की खसरा नक्शा लगाए गए हैं उस स्थल पर कार्य नही हुआ ग्रेवियन निर्माण कही ओर बना दिये गये हे अन्य -अनुपयोगी स्थल पर लीपा-पोती कर ग्रामपंचायत के सरपंच, सचिब, एवं उपयंत्री ने शासन की 18,43879 रुपये की राशि निकाल बंदर- बांट कर लिया है।
निर्माण कार्य के लिए पोर्टल पर प्रदर्शित स्थल
ग्रा.पं. सिंगपुर द्वारा वर्ष- 2022-23 एवं वर्ष 2023-24 में कुल 7 फाइलों को मनरेगा योजना स्वीकृत करवाया गया। जिसमे – (1) ग्रेवियन निर्माण रीता नाला पर
(2) ग्रेवियन निर्माण बसोरा नाला पर
(3) ग्रेवियन निर्माण पुरैना नाला पर
(4) ग्रेवियन निर्माण पनिया नाला पर
(5) ग्रेवियन निर्माण ख़िरका नाला पर
(6)ग्रेवियन निर्माण रामपुरा
(7) ग्रेवियन निर्माण सिंगपुर
लेकिन यह स्थल जब मौका स्थल पर मिलान किये गए तो पोर्टल पर प्रदर्शित स्थल ओर मौका स्थल में भिन्नता पाई गई।
खाना पूर्ति करने के लिए अनुपयोगी स्थल पर बना दिये बनाए गए ग्रेवियन
ग्रामीणों का कहना है जिस स्थान पर पंचायत द्वारा खाना-पूर्ति करने बनाये गए है व पोर्टल पर प्रदर्शित स्थल से भिन्न होने के साथ साथ ऐसे स्थानों पर बनाये गए है जिस से किसी भी प्रकार से बनाये गए ग्रेवियानो से लाभ प्राप्त नही हो सकता। क्योंकि ग्रेवियन खेत की मेढो व अन्य ऐसे स्थानों पर बनाये गए है जहाँ पर न तो नाला है ना ही ऐसा कोई बनाये गए ग्रेवियन का उपयोग है कि मिट्टी का कटाव रोका जा सके।
ग्रेवियन निर्माण के लिए पोर्टल पर नाला का नाम देकर खेतो की मेढो व अन्य अनुपयोगी स्थलों पर कर दिया निर्माण कार्य
ग्रामीणों द्वारा बताया गया है की जिन स्थलों पर पोर्टल पर ग्रेवियन निर्माण कार्य बताया गया है उन स्थानों पर ग्रेवियन बनाये ही महि गए या बनाये गए तो ऐसे बनाये गए कि उनका कोई उपयोग ही नही है।
मजदूरी -मटेरियल के नाम पर निकली राशि
पोर्टल पर ग्रामपंचायत सिंगपुर द्वारा स्वीकृत करवाई गई कुल 7 फाइलें जिनकी लगभग स्वीकृत राशि-38 लाख रुपये प्रदर्षित हो रही है वही पंचायत द्वारा 18 लाख रुपए की राशि को आहरण कर लिया गया है।
उपयंत्री पर लगाये फर्जी मूल्यांकन के आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि उपयंत्री द्वारा निर्माण कार्यो को मौका स्थल पर बिना जाए ही फर्जी रूप से मूल्यांकन कर दिया गया जिस से शासन की राशि का दुरुपयोग हो रहा है व सरपंच ,सचिब, एवं उपयंत्री द्वारा राशि का बंदर – बांट कर लिया गया है और उपयत्री द्वारा आंख बद करके बिल वाउचर एव मूल्यांकन करके राशि का आहरण कर लिया गया
मजदूर बोले हमे नहीं मिलता काम,हमारे नाम से राशि निकाल ली जाती है
आज दिनांक 09/09/2023 को ग्राम पंचायत मे 134 मजदूर मजदूरी कर मोके स्थल पर एक भी नही सिर्फ कागजो पर कार्य कर रहे बारिश के मोसम मे अधिकारी क्या आख बन्द करके बेठे है जबकी ग्राम पंचायतो के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में परकोलेशन टेन्क, निर्मल नीर, कपिल धारा कूप ,खेत तालाब, जैसे अनेक कार्य मशीनों द्वारा करा लिए जाते है और मजदूरों की फर्जी जॉब कार्ड बनाकर राशि निकाल लेते हैं हम कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं देता जिस कारण से हम लोगों को मजबूरन अन्य राज्यो में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है सरकार द्वारा मनरेगा योजना में ग्रामीणों को दो वक्त की रोटी मिले इसके लिए योजना चलाई जा रही है लेकिन यहां सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एवं अधिकारियों की मिलीभगत के चलते मशीनों को कार्य दिया जाता है ।
जिम्मेदारों पर आरोप के साथ कई सवाल खड़े हो रहे है
सरकार द्वारा मनरेगा कार्यों में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार मैं प्रशासनिक अधिकारी से लेकर सरकार के जनप्रतिनिधि तक जांच नहीं करा पाते क्योंकि कोई जांच करने को तैयार ही नहीं है क्यों कार्यवाही नहीं होती ऐसे मामलों में सरकार जब योजनाएं लाती है गरीबों के लिए मजदूरों के लिए दो जून की रोटी उन्हें मिल सके ऐसे अधिकारी उन योजनाओं पर पलीता लगाने से बाज नहीं आते और जब कार्यवाही की बात होती है तो प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यवाही नहीं करते देखने को मिलता है,।
मजदूरों की जगह मशीनों से कार्य कराकर मजदूरों के नाम के मस्टर डालकर राशि निकाल ली जाती है ऐसे कई मामले है जिन पर शिकायत के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि उन्हें बचाने का प्रयास जिम्मेदारों द्वारा किया जाता है जिम्मेदार अधिकारियों पर कई सवाल खड़े हो रहे है की मनरेगा कार्यों की जांच क्यों नहीं की जाती अधिकरी कुछ बोलने को तैयार नहीं इससे साफ जाहिर होता है इस योजना में भ्रष्टाचार की बू आ रही है जिस योजना में मजदूरों से काम कराना चाहिए उसमें आप मशीनों से कार्य करा रहे हैं मजदूरों के नाम से फर्जी मस्टररोल भरकर आप राशि आहरण कर ले रहे हैं आपको जरा भी शर्म नहीं आ रही है सरकार लाख कोशिश करती है कि मजदूरों को उनका हक मिले ऐसे मामले पिछले साल से चले आ रहे है इसमें जनप्रतिनिधि की भी जिम्मेदारी बनती है क्योंकि सरकार की योजना है यह अधिकारी राशि का बंदरबांट कर रहे हैं साफ तौर पर प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहा पिछले साल भी ऐसा ही मामला सामने आया था लेकिन अभी तक कोई जांच नहीं हो पाई है सरकार योजनाएं लेकर आती है कि अधिकारियों को लाभ मिले अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है मजदूरों को मजदूरी का पैसा नहीं मिला वो अपना जीवन यापन कैसे कर रहे होंगे। देखते है कब तक जांच की जाती है क्योंकि कुछ मामले तो जांच में ही अटक कर रह जाते हैं।