भोपाल (कुंडेश्वर टाइम्स) विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन में विधानसभा को वित्तीय स्वतंत्रता देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई समितियों की रिपोर्ट भी आ चुकी हैं, पर राज्य सरकारें इसका पालन नहीं कर रही हैं। पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में कई संकल्प और प्रस्ताव होते हैं, लेकिन उन पर अनुपालन सरकारों के माध्यम से ही संभव है, इसलिए यह भी जरूरी है कि लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में उनका भी सम्मेलन बुलाया जाना चाहिए।
गौतम ने एक वर्ष में कम से कम 60 दिन सदन चलाने पर जोर देते हुए कहा कि निर्धारित बैठकें जरूर होनी चाहिए। यह सम्मेलन जयपुर में मंगलवार से शुरू हुआ है और 13 जनवरी तक चलेगा, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शामिल हुए हैं। वहीं विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह भी सचिवों के सम्मेलन में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सम्मेलन के पहले दिन एआइपीओसी की स्थायी समिति की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम शामिल हुए। समिति के अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपाध्यक्ष राज्यसभा के उपसभापति हरवंश हैं।इस बैठक में बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप ई-विधान से सभी राज्यों की विधान सभाएं जल्द से जल्द जुड़ जाएं। बैठक में जी-20 में लोकतंत्र की जननी भारत का नेतृत्व, संसद एवं विधान मंडलों को अधिक प्रभावी, उत्तरदायी एवं उत्पादकता युक्त बनाने की आवश्यकता, डिजिटल संसद के साथ राज्य विधान मंडलों का संयोजीकरण, संविधान की भावना के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता आदि विषयों पर चर्चा होगी।
समिति प्रणाली के नवाचार से सशक्त बनाया – विधायी निकायों के प्रमुख सचिवों एवं सचिवों के सम्मेलन में मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने मप्र विधानसभा की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमने विधायिका के प्रति कार्यपालिका का उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए कुछ समितियों के कार्यों को विस्तार देकर सदस्यों के शिष्टाचार व सम्मान के लिए समितियां गठित की हैं।