दमोह जिले के पटेरा शासकीय पशु चिकित्सालय के शासकीय भवनो के आस पास पड़े हुए हैं बहुत से शराब की बोतलें शासकीय पशु चिकित्सालय के चारों ओर शराब की शीशी नजर आ रहे हैं दिन में शासकीय पशु चिकित्सालय डॉक्टर रहते हैं और रात में शराबी रहते हैं क्या पशु चिकित्सालय मैं डॉक्टरों को दिखाई नहीं देता कि चारों तरफ शराब की बोतल डली हुई हैं क्या उनका कर्तव्य नहीं बनता कि हम शराबियों को यहां आने से रोकें अगर कोई भी शासकीय भवन है तो उसके चारों और बाउंड्री का निर्माण होना आवश्यक जरूरी होता है लेकिन यहां जो बाउंड्री है वह क्षतिग्रस्त हो चुकी है और जो मेन गेट है वह भी अपनी जगह पर स्थित नहीं है ऐसे में डॉक्टरों की जगह शराबी नहीं रहेंगे तो कौन रहेगा क्योंकि पशु चिकित्सालय के डॉक्टर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं की यहां कौन सी व्यवस्थाएं हैं और कौन सी नहीं हैं और किस व्यवस्थाओं की जरूरत है लगे हुए हैं अपनी मनमानी करने के लिए
दिखावे मैं साफ स्वच्छ बने हुए हैं लेकिन इनकी पशु चिकित्सालय में गंदगी का चारों ओर आलम है जबकि चिकित्सालय के चारों तरफ तो गंदगी नहीं होनी चाहिए लेकिन यहां पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है ऐसे में बीमारियां का आगमन होता है जहां गंदगी होती है जब डॉक्टर ही ध्यान नहीं दे रहे है तो कौन ध्यान देगा जरा सोचिए
शासकीय भवनों के पास लोग शराब पी रहे हैं और डॉक्टर को पता नहीं कि उनके शासकीय पशु चिकित्सालय के भवनों में क्या रंग लाया मनाई जा रही है कल के दिन कोई बड़ी घटना घट जाएगी चिकित्सालय की बिल्डिंगों में और किसी भी ग्राम वासियों को पता भी नहीं चलेगा जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं शासकीय पशु चिकित्सालय पटेरा के डॉक्टर अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे है
अपनी मनमानी करने में कहीं पीछे नहीं हट रहे हैं आज की स्थिति में वहां पर जा कर देखिए की पशु चिकित्सालय का क्या हाल है चारों तरफ बहुत गंदगी है स्वच्छ भारत मिशन की उड़ाई जा रही धज्जिया जबकि शासन के निर्देश अनुसार शासकीय भवनों के चारों ओर स्वच्छ परिसर होना चाहिए आस पास किसी भी प्रकार की गंदगी ना हो और शासकीय भवन के चारों ओर बाउंड्री एवं मैन गेट होना जरूरी होता है ताकि कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश ना करें जब वहां पर बंधेज ही नहीं हैं तो शराबियों ने शराब पीने का अड्डा बना लिया