नागपुर( कुंडेश्वर टाइम्स )-गौरतलब है की सन 1953 में राज्य पुनर्गठन के समय तक नागपुर मध्यप्रदेश की राजधानी थी और उसी करार के मुताबिक नागपुर को उपराजधानी का दर्जा प्राप्त है । करार के मुताबिक प्रतिवर्ष एक अधिवेशन नागपुर संपन्न होगा । विदर्भ में दर्जन भर से अधिक जिलों की जनता सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है की भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में अभूतपूर्व बदलाव शीतसत्र में देखने को मिलता था , विदर्भ के कई जिलों से लोग अपनी समस्याओं से सरकार का ध्यान आकृष्ट करने को बाध्य कर देते थे किंतु नागपुर से आठ सौ किलोमीटर दूर मुंबई जाकर सत्ताधीशों को समस्याएं बता पाना संभव नहीं होगा । इसी बात की जनता से नाराजगी सरकार ने मोल ले ली है । विदित हो की नागपुर में शीतसत्र होने से यहां तीन से चार हजार लोगों को अस्थाई रोजगार उपलब्ध होता, कोरोना कल में बिजली के बिल की जबरन वसूली , झोपड़पट्टी पट्टा वितरण में सरकार की चुप्पी के विरुद्ध स्वर मुखर होते , साथ में अन्य मुद्दे सरकार के सामने होते लेकिन सरकार के तुगलकी निर्णय ने विदर्भ के साथ अपना सौतेलापन फिर उजागर कर दिया है ।
पृथक विदर्भ राज्य की मांग बहुत पुरानी है
बिदर्भबादी नेताओं में राम नेवले जी के योगदान को भुलाया नही जा सकता । विदर्भ की बिजली विदर्भ को ही मंहगी , खनिज संपदा का विदोहन, तथा जनसंख्या और आकार को निरूपित करते हुए अति आवश्यक है की विदर्भ राज्य अलग कर देना चाहिए । स्वर्गीय अटल जी ने चार नए राज्यों का निर्माण कर देश के विकास में नया अध्याय जोड़ा था उसी तर्ज पर देश में इस समय दो राज्यों का निर्माण जरूरी है । पहला पृथक विदर्भ राज्य जिसकी राजधानी नागपुर हो और दूसरा पृथक विंध्यप्रदेश जिसकी राजधानी रीवा हो।महाराष्ट्र देश के बड़े भू भाग पर फैला है जिससे सरकार तक आम आदमी की आवाज पहुंच पाने अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । देश के पिछड़े जिलों के समग्र विकास को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विदर्भ और विंध्य प्रदेश का नवनिर्माण अति आवश्यक है ।
विदर्भ में जहां नागपुर, गोदिया,गढ़चिरौली, भंडारा,चंद्रपुर,वर्धा,यवतमाल, अमरावती,आदि दर्जनों जिले है, वहीं विंध्यप्रदेश में रीवा , सतना सीधी, शहडोल, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़,कटनी, आदि जिलों के साथ मैहर, मऊगंज, को जिला बनाकर विकास की नई गाथा लिखी जा सकती है। इन दो राज्यों के अस्तित्व में आ जाने से रोजगार के नए अवसर सृजित होने के साथ कई समस्याओं का हल निकालने के मार्ग प्रशस्त होंगे।