इतिहास के अभाव में राष्ट्र का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित नहीं रह सकता-रामलखन

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चाकघाट। इतिहास अतीत का वह स्वर्णिम अध्याय है, जिसके अभाव में किसी भी राष्ट्र का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। आशय का विचार व्यक्त करते हुए महाकौशल प्रांत के अखिल भारतीय हिंदी महासभा के नवनियुक्त इतिहास सलाहकार प्रमुख रामलखन गुप्त ने कहा है कि साहित्य वही अजर अमर हुआ है जिसमें इतिहास का आधार रहा है।महाभारत, रामचरितमानस,रामायण, श्री मद् भागवत् आदि अनेक ग्रंथ इसलिए लोकप्रिय एवं सर्वमान्य हुए क्योंकि इसमें ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर भविष्य की रूपरेखा एवं वर्तमान की लोकप्रिय जीवन पद्धति पर प्रकाश डाला गया है। श्री गुप्त ने कहा है कि भारत देश में इतिहास का माननीव एवं उदार दृष्टिकोण समूचे विश्व को मार्गदर्शन देने की क्षमता रखता है। इतिहास अतीत के एक निश्चित कालखण्ड और एक निश्चित स्थान की घटना को
ही प्राय: केन्द्रबिन्दु मानती है। जो इतिहास का महत्वपूर्ण अंग होता है। अतीत के कालखण्ड और उस स्थान के वैभव को वर्तमान पीढ़ी तक पहुँचाने का काम केवल साहित्यकार ही कर सकता है। साहित्य इतिहास के अनछुए पहलू को भी प्रकट करने का काम करता है, जो मानवता, पराक्रम, शौर्य और स्वाभिमान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। साहित्य में यदि इतिहास का समावेश न हो तो भारत की गौरव गरिमा प्रदर्शित करने में साहित्य अक्षम हो जाता है। इसलिए इतिहास को समझने के लिए साहित्य सृजन की निरंतरत जरूरत है। हमारे अतीत के वैभव को जन जन तक पहुँचाने में साहित्य ही एकमात्र सार्थक साधन है।अखिल भारतीय हिंदी महासभा के द्वारा महाकौशल प्रांत के इतिहास सलाहकार प्रमुख बना्ये जाने पर रामलखन गुप्त ने अपने समस्त शुभचिंतकों,संगठन से जुड़े समस्त पदाधिकारियों एवं साहित्यकारों का आभार प्रगट किया है।
(राम लखन गुप्त)

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