नागपुर/वर्धा/यवतमाल/_(कुंडेश्वर टाइम्स)_ महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम में कई दिनों से चल रही हड़ताल के चलते बाम्बे हाईकोर्ट की छूट मिलने के बाद एसटी महामंडल ने कड़ा रुख दिखाते हुए 376 कर्मियों को निलंबित कर दिया है गया है। वर्धा डिपो के 40, यवतमाल के 53 नागपुर के 18 सहित अन्य डिपो के कुल 376 ड्राइवर और कंडेक्टरों को निलंबित किया जा चुका है । भाजपा समर्थित इस आंदोलन को राजनैतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है ।
बसें बंद होने से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं,गत तीन दिनों से आंदोलन में काफी तेजी देखी जा रही है इसके चलते महामंडल का एक करोड़ चालीस लाख का नुकसान हो चुका है । राज्य के एक छोर से दूसरे छोर जाने वाले यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । स्थानीय किसान और व्यापारियों को रोज आसपास के बाजारों में नही पहुंच पाने से दैनिक गतिविधियां ठप हैं । सरकार की इस नाकामी से आम आदमी बड़ी मुश्किल में है । तीन दलों की सरकार में आम राय नहीं बन पाने की दशा में महामंडल के कर्मचारियों का निलंबन घोर निंदनीय है ।
उत्तर भारतीय हिंदी भाषियों के महान पर्व छठ पूजा के लिए जाने वाले यात्रियों से विदर्भ की राजधानी नागपुर से गुजरने वाली सभी ट्रेनें फुल होने से यात्री बड़ी मुश्किल में हैं। नागपुर से बसों या ट्रेन से उत्तर भारत के बिहार और उत्तरप्रदेश जाने के लिए महामंडल की बसें हड़ताल की वजह से रुकी होने आम जनता त्रस्त है। त्योहार के ऐन समय पर इस प्रकार की हड़ताल राजनीति से प्रेरित लगती है । विदर्भ के सभी जिलों में उत्तर भारतीय हिंदी भाषियों की उपलब्धता के मद्देनजर वाशिम, अकोला, यवतमाल,चंद्रपुर, भंडारा, अकोला, अमरावती, गोदिया, गाढ़चिरोली,वर्धा,से लोगों का नागपुर तक नहीं पहुंच पाने से अनेक प्रकार के कार्यों में रुकावट पैदा हो गई है। प्रदेश के परिवहन मंत्री अनिल परब केंद्रीय जांच एजेंसी के दायरे में होने से भी सकारात्मक परिणाम नही मिलने का अंदेशा है।
महाराष्ट्र सरकार को उन महामंडलों को बंद करना चाहिए जो घाटे में चल रहे है । सरकारी नियंत्रण के अभाव में एसटी महामंडल में चालक और परिचालकों कि मनमानी से सरकार का यह उपक्रम निसंदेह मुनाफे वाला नही है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की परिवहन व्यवस्था में अरबों का नुकसान होते देख वहां की तत्कालीन भाजपा सरकार ने परिवहन व्यवस्था निजी हाथों में देकर अरबों का टैक्स निजी बस मोटर मालिकों से राजस्व अर्जित कर रही हैं । इसी तर्ज पर महामंडल के कर्मचारियों को बीआरएस देकर या अन्य सुविधाएं देने के बाद प्रदेश के परिवहन व्यवस्था की बागडोर निजी हाथों में देने से कई प्रकार सुविधा जनक और लाभकारी होगा। साथ ही नागपुर सबसे अधिक कठिन बस पार्किग की समस्या से जाम जैसे मुद्दों से छुटकारा मिलेगा ।