श्रीमती शकुंतला देवी मुथा को दी श्रद्धांजलि,झाबुआ से कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो मनीष वाघेला की रिपोर्ट

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थांदला (कुंडेश्वर टाइम्स ) पौषध भवन पर विराजित संत स्वाध्याय रसिक पूज्य श्री चन्द्रेशमुनिजी एवं थांदला गौरव पूज्य श्री सुयशमुनिजी तथा मधुर व्यख्यानी पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 4 के पावन सानिध्य में प्रवचन सभा के दौरान थांदला निवासी स्व. सागरमल चौरड़िया की सुपुत्री, सेवा निवृत्त शिक्षक समरथमल, पूर्व बैंक मैनेजर प्रकाशचंद, बैंक मैनेजर संजीव कुमार, वरिष्ठ पत्रकार राजीव चौरड़िया की बहन कपड़ा एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य युवा जितेंद्र व पंकज चौरड़िया की बुआ पेटलावद नगर के स्व. मांगीलाल मुथा की पुत्रवथु व सुरेशजी मुथा की धर्मपत्नी व पत्रकार राहुलजी मुथा की माताजी संथारा आराधिका श्रीमति शकुंतला देवी मुथा के देवलोक गमन पर धर्म सभा में पूज्य श्री ने बाल मरण व पण्डित मरण की व्यख्या करते हुए कहा कि जिसका भी जन्म होता है उसे मरना ही पड़ता है। इस जीव ने ऐसे ही अनेक बार बाल मरण किया है लेकिन धर्म की रुचि व मोक्ष का संवेग भाव पण्डित मरण दिलाता है जिससे भव भव का जन्म मरण टल जाता है। धर्म सभा में श्रीसंघ कि ओर से पूर्व अध्यक्ष भरत भंसाली ने शब्दों की भावाभिव्यक्ति से संथारा आराधिका कि अनुमोदना की वही परिवार के दोनों पक्षों द्वारा कोई भी शोक कार्यक्रम नही रखने के लिए उनके उत्तम भावों को सराहनीय फल बताया। धर्म सभा का संचालन प्रदीप गादिया ने किया। ऑल इण्डिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के मध्यप्रदेश प्रभारी पवन नाहर, जिलाध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, समकित तलेरा, कमलेश कुवाड़, कमलेश तलेरा आदि ने भी शोक शकुंतला देवी को श्रद्धांजलि दी। धर्म सभा में संथारा आराधिका के शीघ्र मोक्ष की कामना के लिए 4 लोगस्स का ध्यान भी कराया गया। इस अवसर पर समस्त चौरड़िया परिवार भी उपस्थित थे जिन्होंनें उनकी स्मृति में विभिन्न संस्थाओं को दानराशि भेंट की वही प्रवचन प्रभावना का लाभ भी लिया। उल्लेखनीय है कि दिनांक 16 जुलाई को सुबह 08:50 पर पेटलावद में चातुर्मासिक कल्प के लिए विराजित पूज्य महासती पुण्य पुंज पुण्यशिलाजी मा.सा. आदि ठाणा – 5 के सानिध्य में शकुंतला देवी को पण्डित मरण (संथारा) के प्रत्याख्यान ग्रहण करवाये थे जो दो दिन पश्चात 18 जुलाई 2022 को सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर सीझ गया। जिसके बाद परिजनों ने उनकी डोल निकालकर अंतिम विदाई देकर गुणानुवाद सभा का आयोजन कर स्वामीवात्सल्य देते हुए समस्त कार्य पूर्ण कर आदर्श भी प्रस्तुत किया।

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