छत्तीसगढ़ के जगदलपुर का एक गांव ऐसा भी जहां आज के दौर में भी मरीजों को पालकी मे 15 कि.मी. पैदल लेकर जाना पड़ता है अस्पताल,छत्तीसगढ़ हेड संदीप पाण्डेय की स्पेशल रिर्पोट

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गांव तक सड़क न होने एवं संसाधनों के अभाव के चलते  लकड़ियों से बनी देसी पालकी के सहारे जंगली रास्तों से 15 किलोमीटर तक लाना पड़ा गर्भवती महिला को।

जगदलपुर (बस्तर) यूं तो बस्तर जिला देश के अत्यंत पिछड़े जिलों में शुमार है जहां आजादी के इतने वर्षों बाद भी गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, शासन प्रशासन की निष्क्रियता के कारण आजादी के इतने वर्षों बाद भी कई गांवों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है, सड़क ना होने के कारण गांव में अगर कोई बीमार हो जाए या किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी का मामला हो, संसाधनों के अभाव में अस्पताल पहुंचाना बहुत बड़ी समस्या है,।
ताजा मामला बस्तर जिले के अंतर्गत लोहंडीगुड़ा विकासखंड का है। लोहंडीगुड़ा विकासखंड में ग्राम पंचायत एरपुंड के अंतर्गत पावेल ग्राम का है, संलग्न तस्वीरें देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा की आजादी के इतने वर्षों बाद भी गांव के लोगों को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

संदीप पाण्डेय, स्टेट हेड छत्तीसगढ़

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