दमोह (ब्यूरो) ग्रामीण विकास और योजनाओं के आंकड़े तो प्रति वर्ष जारी होते रहते हैं और वाहवाही भी खूब बटोरी जाती है पर सच्चाई यह है कि आज भी गांव सुविधाओं से वंचित है और अब तक इनके विकास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया जिले के जनपद पंचायत पटेरा के ग्राम पंचायत नयागांव के मंगरा गांव को देखने के बाद लगता है कि विकास कागजों के माध्यम से ही सुर्खियां बटोरता है हरदुआ पहाड़ी गांव से इस गांव तक पहुंच मार्ग अब तक नहीं बना है कहीं पहाड़ी है ढलान तो कहीं गड्ढे पत्थर और नालों को पार कर लगभग 5 किलोमीटर का कष्टदायक सफर तय करें यहां तक पहुंचना पड़ता है बारिश के मौसम में इस गांव का संपर्क अन्य गांव से टूट जाता है इसीलिए प्रतिवर्ष यहां के लोग बारिश के पहले ही तीन-चार माह की भोजन सामग्री एक खट्टी कर लेते हैं स्वास्थ्य कर्मी और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि इन कठिन हालातों में भी यह है सेवा कार्य करते हैं और समय-समय पर उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को यहां की समस्या से अवगत कराते हैं एवं गांव का कोई भी व्यक्ति बीमार हो जाए या गर्भवती महिला हो तो उसको चारपाई पर लेकर जाना पड़ता है 5 किलोमीटर तक अगर बीच में कोई दुर्घटना घट जाए तो इसके जिम्मेदार कौन होगा
नाले के पानी पर निर्भर ग्रामीण
पेयजल और नल जल जैसी सुविधाओं और योजनाओं की यहां सिर्फ बात होती है पर दूर-दूर तक इनका निधान नहीं दिखता जिले के अन्य ग्रामों में अब पानी की टंकियां बनती दिखाई दे जाते हैं पर यहां तो अगर नल भी फिट करना होता तो बाहन कैसे आएगा क्योंकि यहां तो सड़क ही नहीं है यहां के एक नाले से ग्रामीण साल भर पानी भरते हैं वहीं पीने और अन्य कारों में इस्तेमाल किया जाता है बच्चे महिला बुजुर्ग यहां पानी के लिए दिन भर आते रहते हैं एवं गर्भवती महिलाएं भी इन नाली से पानी लेने आती हुई दिखाई दी जानकारी लेने पर सावित्री और गिरजा बाई ने बताया कि पीने नहाने और खर्च का पानी यहीं से भरना पड़ता है घर में सदस्यों की संख्या कम होने के कारण यहां आना पड़ता है अगर न होता तो यहां क्यों आते ।