नई दिल्ली. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उत्पन्न परिस्थिति, लॉक डाउन, व्यापार ठप्प, रोजी रोटी संकट और भी बहुत सारी परेशानियां सबके सामने है .वरिष्ठ अभिनेता और जादूगर नीलेश मिस्त्री ने जहां वीडियो जारी कर मदद की मार्मिक गुहार लगायी है, वहीं
मैजिक इवेंट दिल्ली के डायरेक्टर मदन भारती ने अब तक के सरकारी प्रयासों को सतही बताते हुए कई सवाल दागे है. वो कहते हैं कि सरकारी, अर्ध सरकारी और संगठित क्षेत्र के लिए लगातार घोषणाएं. अच्छी बात.
पर असंगठित मजदूर, छोटे व्यावसायी रेहड़ी पटरी दुकानदार, मेला के दुकानदार, निर्माण से व्यापार तक. खेल तमाशा, झुला, सर्कस वाले और तमाम मंचीय कलाकार गायक गायिका डांस कलाकार, वादक, सहायक, नाटक कलाकार, मजमा लगाने वाले कलाकार, टिकट शो करने वाले जिनकी संख्या बीस लाख से भी ज्यादा ही होगी, आज वर्तमान से लेकर भविष्य तक पल पल निहार रहे. एक निराशावादी सोच पनपने लगी है. वो अपने को असंगठित क्षेत्र के होने को किस रूप मे देख रहे ये अध्यन का विषय है. पर सरकारी उदासीनता के शिकार पहले भी थे, आज भी है, और भविष्य के गर्भ मे क्या है, किसी को नहीं पता.सवाल उठना स्वाभाविक है कि…. ऑटो चलाने वाले को सरकारी मदद तो पाँव से रिक्सा चलाने वाले के लिए क्या घोषणा करेगी सरकारे, वो मजदूरों की के श्रेणी मे भी नहीं आते? उन्हें सैलरी, अनुदान?खेतों, दुकानों, बस ट्रक पर मजदूरी करने वाले? स्मॉल लेबल की फैक्टरी के दिहाड़ी मजदूर क्या मजदूर नहीं. मजदूर होने का भी प्रमाण पत्र चाहिए..आधार कार्ड, जायदाद के पेपर, pan card बैंक विवरण काफी नही क्या? माल्या जैसों की एक एक पैसे का हिसाब आप रखते हैं तो गरीबो का हिसाब क्या अमेरिका वाले रखेंगे.
श्री भारती और श्री मिस्त्री कहते हैं कि लॉक डाउन के दिनों मे अनेक सकारात्मक पहल प्रतिभा निखार और ज्ञानवर्धन हेतु हुए अच्छी बात है. होना ही चाहिए.
पर वक्त का तकाज़ा है कि भविष्य की बाते भी हो, रोटी की बाते भी हो.
कोरोना के साथ या कोरोना के बाद मे हमारे लाखो घुमंतू समुदाय की सुरक्षा, स्वास्थ्य और रोजी रोटी पर अब तक कुछ खास पहल या यूं कहें चर्चा भी नहीं हुयी. ये चर्चा जरूरी है. मेरे पास कार है कोठी या फ्लैट है, बैंक मे काफी पैसे है. ये भूलकर बिरादरी (घुमंतू बिरादरी, इसमे सब आ जाते हैं, कला, प्रवासी मजदूर, लोकल मजदूर और संबद्ध व्यवसाय से जुड़े लोग). की बाते प्रधान के पास ना सम्भव हो तो परकोटे तक ही पहुंचाया जाए. प्रधान मंत्री से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि रोजी रोजी के संकट से यथा शीघ्र निकलने की कोशिश की जाए.