दमोह(kundeshwar times)- जिले में सक्रिय खनिज माफियाओं द्वारा राजस्व एवं वनभूमि में पत्थरों का बड़े पैमाने पर बेखौफ अवैध उत्खनन कराया जा रहा है। संबंधित महकमे की साठगांठ के कारण अवैध उत्खनन से शासन प्रतिमाह लाखों रुपए के राजस्व की क्षति हो रही है। वहीं क्षेत्र का पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा है।
यह मामला दमोह जिले के दमोह जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत हलगंज का है जहा पर जंगलों से लाखों रुपए के पत्थर चोरी करके ग्राम पंचायत में कई जगह पर खखरी का निर्माण किया जा रहा है जिसमें चोरी किए हुए पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है पत्थरो का धड़ल्ले से अवैध उत्खनन कर शासन को राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। पत्थरों का अवैध खनिज संपदा का लगातार दोहन हो रहा है जिससे आज केवल यह खनिज संपदा के नाम पर कई ट्राली जंगल से अवैध रूप से पत्थर लाया गया है इस संपदा को खत्म करने में सरपंच ,सचिव एवं वन विभाग भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं ग्राम पंचायत एवं वन विभाग की मिलीभगत से जंगल की शान वहां फेले पत्थर होते हैं जिनका बड़े स्तर पर पंचायतों के कार्य में परिवहन हो रहा है और बिल लगाकर भुगतान किया जा रहा है इससे जंगल की भूमि पर भी कब्जा हो रहा है दरअसल शासन के द्वारा मजदूरों को रोजगार देने के उद्देश्य पंचायतों में पैसा जारी किया है जिससे खकरी निर्माण करनी है और मजदूरों को रोजगार देना है लेकिन सचिव, सरपंच जंगल के पत्थर उठाकर खकरी निर्माण करवाकर पत्थर खरीदे के बिल लगा रहे हैं ग्राम पंचायत में जंगलों के पत्थरों से शांति धाम का निर्माण कराया गया अब खकरी का निर्माण किया जा रहा है खकरी के लिए पत्थरों को जंगल से उठाया जा रहा है इसके बाद भी वन विभाग और राजस्व विभाग की कोई कार्यवाही नहीं हो रही है खकरी बनाने के बाद बिल वेडर के बिल लग रहे हैं एवं खकरी के ऊपर जो डीपीसी डलती है वह भी बिल्कुल पतली डाली जाती है और जो खकरी निर्माण हुआ है उसमें नीचे नी नहीं खोदी गई है और खखरी निर्माण कार्य कर दिया गया और ग्राम पंचायत जिसका उद्देश्य है कि सार्वजनिक स्थानों का घेराव किया जाए इसमें किसानों के खेतों का घेराव करना है इससे खकरी निर्माण में जो पत्थर लग रहा है वह जंगल से लाया गया है वन विभाग के अधिकारी भी मोन है इनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जिससे क्षेत्र में अवैध उत्खनन करने वाले माफियाओं के हौसले बुलंद हैं
वही पंचायत के द्वारा मजदूरों काम कर रहे थे लेकिन सारे के सारे मजदूर जमीन पर नहीं कागजों में काम कर रहे है इसका मतलब यह है कि पंचायत के द्वारा मजदूरों के नाम पर फर्जी खातों में राशि का आहरण किया जा रहा है अब सवाल यह है कि यदि दमोह जनपद पंचायत में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है एवं वन विभाग की मिलीभगत से जंगलों का हजारों ट्राली पत्थर प्रतिदिन लगाया जा रहा है तो क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारी आंख मीच का ड्यूटी निभा रहे हैं ग्राम पंचायत के निर्माण कार्य में एवं जमीन पर कहीं भी पत्थर नहीं है जंगल से पत्थर लाए जा रहे हैं फिर जंगल की रखवाली करने वाले वन कर्मी क्या कर रहे हैं पत्थरों का ग्राम पंचायत में अवैध रूप से खनन हो रहा है ग्राम पंचायत में लगातार भ्रष्टाचार किया जा रहा है और वरिष्ठ अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं बस आंख बंद करके बैठे हुए।