थांंदला(झाबुआ-ब्यूरो) जैन शास्त्रो मे बताया गया है प्रथम तिर्थकर ॠषभदेव परमात्मा को अपने जीवन मे बंडी अशातना लगी थी अपने पैदल प्रवास के दौरान बहुत तकलीफ उठानी पड़ी वह लगभग 400 दिन तक अन्न गौछरी प्राप्त नही कर सके ओर जैन तिर्थकर के आराधना स्थल पालीताना शत्रुंजय तीर्थ पर उनका मोक्ष स्थान हे आज के दिन मंदिर मे जो श्रावक श्रावीकाऐ पालीताना नही जा सकते उन्हे तीर्थ का प्रतीक पट्ट का दर्शन कर पुजा आराधना होती है श्रध्दालु लगभग 400 दिन का वर्षी तप तपस्या 1 दिन उपवास दुसरे दिन पालना व कभी-कभी कुछ तिथी को तीसरे दिन भी पालना करके यह क्रिया करते हे आज के दिन अक्षय तृतीया पर भगवान को गन्ने के रस का पालना करवाया गया था इस वर्षी तप जो 13 महीने का होता है को सभी जगह-जगह जैन समाज करता है थांदला मे भी कोरोना महामारी को देखते हुए लाकडाउन का पालन करते हुए हर वर्ष होने वाले पालना कार्यक्रम निरस्त कर सिर्फ जीन तपस्वीयो यह वर्षी तप किया उनके घरो मे अपने परिवार के साथ पालना किया यहा सौभाग्य शाली वर्षी तप करने वाले 5 भाग्यशाली मे 1 श्री संजय जी फुलफकर 2 श्री अंकेश पोरवाल इनका यह दुसरा वर्षी तप का पालना हुआ 3 श्री मति किरण बैन छाजैड 4 श्री मति ममता बैन वागरेचा 5 श्री रितेश जी रायचोर वाले ने आज पालना किया व समाज व श्री संघ के सभी श्रावक श्रावीकाओ ने सौशल मिडिया पर
मोबाइल पर सभी तपस्वीयो की सुख साता पुछकर उनकी अनुमोदना की