टूटे-फूटे भवन में संचालित हो रही कक्षाएं,किसी संभावित घटना से नहीं किया जा सकता इनकार।।कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो महेश शर्मा की रिपोर्ट

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हर्रई/छिंदवाड़ा(kundeshwartimes)- प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने भांजे भांजियों की शिक्षा के लिए बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने हेतु एक से बढ़कर एक लोक कल्याणकारी योजनाएं बना रहे हैं। अभी हाल ही में प्रदेश का हर बच्चा स्कूल जाए इस उद्देश्य से”स्कूल चले हम अभियान”संपन्न हुआ। सरकार की मंशा है कि समाज के किसी भी वर्ग का बच्चा शिक्षा से वंचित ना होने पाए। परंतु आदिवासी अंचल हर्रई विकासखंड के घोंदी गांव के बच्चे जर्जर भवन में पढ़ाई करने मजबूर हैं। लगभग 30- 40 वर्ष पुरानी बिल्डिंग की छत जर्जर हो चुकी है तथा बरसात में पानी टपकता है। नीचे से खड़े होने पर स्पष्ट दिखाई देता है कि छत में लगे नाममात्र के लोहे का संपर्क रेत और गिट्टी से लगभग समाप्त ही होने वाला है। घौंदी की दास्तां यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि चौंकाने वाली बात यह है की आज से लगभग 12 वर्ष पहले माध्यमिक शाला भवन बनाया गया, जिसका निर्माण तत्कालीन पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सचिव की मिलीभगत की भेंट चढ़ गया तथा बिल्डिंग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। उस समय कैसे इस बिल्डिंग की गुणवत्ता की परख किए बिना शासन की राशि की बंदरबांट कर ली गई, यह प्रश्न ग्राम वासियों के लिए एक पहेली बना हुआ है। ग्राम घौंदी के ग्राम वासी कहते हैं कि यूं तो आदिवासियों के नाम पर अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं परंतु इस छोटे से आदिवासी ग्राम के बच्चों की समस्या पर क्यों ध्यान नहीं दिया जा रहा है? सभी ग्राम वासियों ने बच्चों की शिक्षा हेतु एक उचित भवन की मांग की है जिसमें बच्चे निडर होकर अध्ययन एवं शिक्षक अध्यापन करा सकें।

इनका कहना है

भवन की वस्तु स्थिति से वरिष्ठ कार्यालय को पूर्व में सूचित किया जा चुका है।

विक्रम सिंह
माध्यमिक शिक्षक

वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव प्रेषित किया जा चुका है। फिलहाल शाला भवन के नजदीक आंगनवाड़ी में विद्यालय लगाने हेतु शिक्षकों को निर्देशित किया गया है।

प्रकाश कालम्बे
विकास खंड शिक्षा अधिकारी हर्रई

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