कटरा (kundeshwartimes)- आजादी के बाद अगर किसी समाज के धंधे पर सरकारों द्वारा कुठाराघात किया गया है तो वह है दर्जी समाज ,अब तक की सरकारों ने चाहे वह केंद्र की हो, चाहे प्रदेश की, सभी बिरादरी के विकास के लिए कुछ ना कुछ योजनाएं बनाया है, लेकिन दर्जी समाज के विकास के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई गई, उल्टे दर्जी समाज के धंधे सिलाई पर सरकारों द्वारा सीधा प्रहार किया गया, समूचे भारत में हर समाज के लोगों को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर दर्जी जाति के धंधे को चौपट कर दिया गया, सरकारी प्रशिक्षण पाकर आज हर तीसरे घर में सिलाई का कार्य हो रहा है, जिसके चलते सिलाई का मूल धंधा करने वाला दर्जी समाज आज बेरोजगारी के कगार पर खड़ा है।
सरकारों ने जूता गांठने का प्रशिक्षण, बाल बनाने का, लोहार गिरी का, बढई गिरी का प्रशिक्षण किसी को नहीं दिया, आखिर क्यों ? क्या इसलिए कि दर्जी समाज अल्पसंख्यक है, क्या इसलिए कि इसके वोट से राजनीतिक पार्टियों को कोई नुकसान नहीं होता, या फिर इसलिए कि दर्जी जाति संगठित नहीं है,
बात अगर मध्य प्रदेश की की जाए तो वर्तमान में मध्यप्रदेश में कुल मतदाता लगभग 5 करोड 39 लाख 50 हजार हैं जिसमें दर्जी समाज का मत लगभग 12:00 लाख के करीब है लोकसभा की 29 और विधानसभा की 237 सीटों पर यदि दर्जी समाज के मतों को विभाजित किया जाए तो कम वोट से हार जीत होने वाली विधानसभाओं में दर्जी समाज का मत निर्णायक होता है, बावजूद इसके राजनीतिक पार्टियों द्वारा दर्जी समाज को हमेशा से ही दरकिनार किया जाता रहा है।
देखने में यह भी आया है कि दर्जी समाज के लोग दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा को ही अपना मत देती आई है, वर्तमान में समाज के कई लोग इन दोनों बड़ी पार्टियों में सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं, पर इन दोनों बड़ी पार्टियों ने दर्जी समाज को तवज्जो नहीं दिया, अपवाद स्वरूप कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने शहडोल के श्रमिक नेता शिवकुमार नामदेव को पाठ्य पुस्तक निगम का उपाध्यक्ष जरूर बनाया था, उन्हें भोपाल अध्यक्ष बनाने के लिए बुलाया गया लेकिन फिर अध्यक्ष ना बनाकर उपाध्यक्षी दी गई ,तब रीवा से छपने वाले दैनिक जागरण अखबार ने एक व्यंग्यात्मक समाचार लिखा था कि बड़े नामदेव को छोटी कुर्सी , शिव कुमार नामदेव जी को शहडोल से कांग्रेस पार्टी ने विधायक का टिकट भी दिया था ,लेकिन पार्टी के नेताओं ने उन्हें सपोर्ट नहीं किया ,और वह विधायकी का चुनाव हार गए ,उसके बाद किसी पार्टी ने दर्जी समाज के लोगों को आगे नहीं बढ़ाया, यह भी सत्य है की दर्जी समाज यदि विकास और सत्ता में भागीदारी से बाहर है तो कहीं ना कहीं उसका जिम्मेदार दर्जी समाज भी है, आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी दर्जी समाज का कोई मजबूत संगठन ना प्रदेश स्तर पर है और ना ही राष्ट्रीय स्तर पर, कहने को वर्तमान में पूरे भारत में सैकड़ों संगठन रजिस्टर्ड हैं पर जमीनी स्तर पर कोई भी संगठन कार्य नहीं कर रहा है और ना ही दर्जी समाज संगठित दिखाई देता है, जिसका फायदा चाहे वह कांग्रेस हो चाहे भाजपा दोनों पार्टियां उठा रही हैं।
यह मुहावरा कि ‘जब तक बच्चा रोता नहीं मां बच्चे को दूध पिलाना भी भूल जाती है’ दर्जी समाज पर सटीक बैठ रहा है ,जब तक दर्जी समाज संगठित नहीं होगा अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ेगा तब तक इसी तरह से राजनीतिक पार्टियां दर्जी समाज को दरकिनार करती रहेगी, पर अब परिदृश्य बदला बदला नजर आ रहा है, अभी विगत दिनों अखिल भारतीय दर्जी महासभा जो एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में उभर रहा है वर्तमान में लगभग 14 -15 प्रांतों में यह संगठन संगठित हो चुका है ,गुजरात और राजस्थान में तो यह संगठन बहुत अच्छा कार्य कर रहा है, जिसकी अब मध्यप्रदेश में भी जोरदार एंट्री हो चुकी है , अभी विगत दिनों मध्य प्रदेश के रीवा के समाज चिंतक एवं समाजसेवी वरिष्ठ पत्रकार शिवरतन नामदेव को अखिल भारतीय दर्जी महासभा ने मध्य प्रदेश का, प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, प्रदेश अध्यक्ष बनते ही श्री नामदेव ने अपने ग्रह ग्राम कटरा में एक समाज का संगठनात्मक सम्मेलन का आयोजन किया था ,जिसमें लगभग 700 दर्जी समाज के बुद्धिजीवी जुटे थे, जिसमें समाज को संगठित करने एवं समाज का सर्वांगीण विकास कैसे हो ,इस पर वृहद चिंतन किया गया है
अखिल भारतीय दर्जी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया की आजादी के बाद से लगातार हमारे समाज का शोषण किया गया हमारे समाज के धंधे पर सरकारों ने सीधा प्रहार किया, और उसके विकल्प में हमारे समाज को कुछ दिया नहीं गया , हमारे समाज को पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में डाल दिया गया है जिसमें दर्जी समाज को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है , राजनीतिक पार्टियां हमारी बिरादरी की वोट तो लेती हैं लेकिन सरकार बनने पर तवज्जो अन्य बिरादरी को देती हैं, देखने में आया है कि हमारे समाज से कम मतदाताओं वाली बिरादरी को पार्टियों और सत्ता में भागीदारी मिली है, लेकिन हमारा समाज केवल वोट बैंक बनकर रह गया है।
, श्री नामदेव ने कहा है की अखिल भारतीय दर्जी महासभा दर्जी समाज का अब और शोषण बर्दाश्त नहीं करेगी, हमारे समाज को भी चाहिए राजनीतिक पार्टियों एवं सत्ता में भागीदारी, अन्यथा दर्जी समाज को दरकिनार करना राजनीतिक पार्टियों को आगामी चुनाव में महगा पड़ेगा, समाज के चिंतक आर् यू नामदेव राम कलेस नामदेव, राम आश्रय नामदेव, राजेश नामदेव, पत्रकार राहुल नामदेव संजय नामदेव , पत्रकार संतोष कुमार नामदेव, पूर्व शिक्षक पन्नालाल नामदेव, पत्रकार पुष्पराज नामदेव, पूर्व शिक्षक छोटेलाल नामदेव, पत्रकार सुरेंद्र कुमार नामदेव, नरसिंहपुर से अखिल भारतीय दर्जी महासभा के जिला अध्यक्ष अजय कुमार नामदेव, सागर से विनय कुमार नामदेव , नंदलाल नामदेव, धर्मेंद्र नामदेव, अरुण नामदेव, भोले नामदेव अशोक नामदेव, दिनेश नामदेव, नागेश्वर नामदेव, राजशेखर नामदेव,आदि लोगों ने सत्ता और राजनीतिक पार्टियों से मांग किया है कि हमारे समाज को भी महत्त्व दिया जाए अन्यथा आगामी चुनाव में दर्जी समाज को दरकिनार करना घाटे का सौदा होगा।