नागपुर (कुंडेश्वर टाइम्स) सत्ता सुख भोगने के लिए नेहरू ने भारत और पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए । मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना और कांग्रेस के जवाहरलाल नेहरू के कुर्सी प्रेम ने दो अलग अलग समुदायों का मुखिया बनकर पूरे देश में खून की नदियां बहा डाली किंतु इन दोनो के मन में सिहरन तक पैदा नहीं हुई । देश में इतिहास को अपने स्वार्थ गत लिखा जाना , इंदिरा गांधी बनाम कांग्रेस का आपातकाल , बोफोर्स ,यूनियन कार्बाइड कांड , 2जी स्प्रेक्टम , कोल ब्लॉक आवंटन जैसे अन्य कई आर्थिक अपराध जिन्हे पीढ़ियों तक भुलाया नही जा सकता । जिनके गुनाहों की फेहरिस्त इतनी लंबी हो कि जम्मू काश्मीर से लेकर राम सेतु तक फैलाई जाय तो जगह कम पड़ जायेगी । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को इस नजर से देख सकते हैं की सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को । दरअसल कांग्रेस का विकल्प बनने को आतुर राका, जेडीयू , तृणमूल , आदि इतनी जल्दी में हैं कि अगला प्रधानमंत्री हम होंगे । अभी कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र और सामना के संपादक संजय राउत के बोल की पोल खुल गई है । अन्ना हजारे की बैसाखी पर सवार होकर दिल्ली की यात्रा पर निकले आम आदमी पार्टी के केजरीवाल के बोल भी ओबैसी से कम नहीं कहे जा सकते हैं । पंजाब और दिल्ली में कुर्सी क्या मिली अपने आप को प्रधान मंत्री मान कर बातें करते हैं जबकि झूठ का सबसे अधिक लोकप्रिय झुनझुना केजरीवाल का ही बजता है।। आटा को लीटर में मापने वाले राहुल गांधी को भारतीय संस्कृति की पाठशाला में पहली दर्जा में प्रवेश लेकर किसान , मजदूर , आटा , तेल , आलू, जैसे भारतीय शब्दों को सीखने की यात्रा तय कर सफलता प्राप्त करनी चाहिए । कांग्रेस जोड़ो यात्रा के नाम पर बड़े शहरों के बजाय अगर यह सफर गांव गिराव , किसान और मजदूरों के बीच से होकर गुजरता तो इसे आम जन के साथ जोड़कर देखा जाता लेकिन कुछ चुनिंदा नेताओं की चारदीवारी से सजी यह यात्रा किसी पिकनिक से कम नहीं लगती । कांग्रेस से पलायन करने वाले उन बुद्धजीवियों के बयानों में झलकता दर्द बताता है कि चाटुकार मंडली से घिरे राहुल स्वयं कोई निर्णय कर पाने की स्थिति में कभी नहीं होंगे । अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस में अगर गांधी परिवार को पुनः नेतृत्व का अवसर प्रदान किया गया तो कांग्रेस अस्त हो सकती है लोगों के मन में सवाल कौंधता रहेगा की देशवासी अभी भी इटली परिवार की गुलामी करने कांग्रेस क्यों मजबूर है । आपसी मतभेद में उलझी कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद का चले जाना बहुत बड़े नुकसान के रूप दिखाई देता है। जो लोग अपना घर नहीं सम्हाल पा रहे हैं उनकी भारत जोड़ो यात्रा महज एक दिखावा के अलावा कुछ नही है । कपिल सिब्बल , मनीष तिवारी , कमलनाथ, गहलोत, खड़गे जैसे दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर गांधी परिवार के हाथ बागडोर देना भारतीय कांग्रेस की दुर्गति का कारण बना हुआ है । विपक्ष की गोलबंदी में अगर कांग्रेस अगर सामिल हुई तो बचा कूचा अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है । वैसे भी भाजपा ने धारा 370 को लेकर जिस प्रकार का रुख अख्तियार किया है उसे देशवासी कभी भुला नहीं सकते है । राममंदिर निर्माण का कोई जवाब किसी दल के पास नही है इसलिए सभी विपक्षी दल थोथा घुनघुना बजा रहे हैं ।