राजगढ़ कलेक्ट्रेट में 2 घण्टो से धूप में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे 80 लोग जिसमे महिलाएं भी शामिल अभी तक कोई ज्ञापन लेने नही पहुँचा खिलचीपुर नाके से रैली निकाल कर कलेक्ट्रेट पहुँचे जहाँ उन्होंने नारे लगाये मछुआरों समाज को अपना अधिकार देने की गुहार लगाई जहाँ उन्होंने मत्स्यपालन अधिकारी राजगढ़ पर आरोप लगाते हुवे कहा कि अधिकारी की आपसी साठ गाठ से हरिजन समाज के लोगो को पात्रता दी जा रही है लेकिन जब हम ओर हमारे पूर्वज सदियों से ये कार्य कर रहे है तो अब हमें पात्रता क्यो नही जहाँ तक कलेक्टर साहब हमे छापी डेम नही दिलाएंगे हम यही बैठेंगे लेकिन लगभंग 2 घण्टे ये धरना प्रदर्शन चला कलेक्टर नीरज सिह भोपाल होने की वजह से तहसीलदार अशोक सेन ने ज्ञापन लिया और जांच करवाकर उनकी समस्या हल करने की बात कही
आपको बतादे की जीरापुर छापी डेम जलाश्रय में वर्षों से मछली पालन कर अपनी जीविका चलाने वाले वंशानुगत मछुआ समाज के लोग अपना अधिकार पाने के लिए दर दर भटक रहे हैं।संचालक मत्स्योउ्धोग मध्यप्रदेश द्वारा समिति गठन करने के आदेश के बावजूद भी सहायक संचालक मत्स्योउ्धोग राजगढ़ द्वारा वंशानुगत मछुआ जाति की समिति सहकारी समिति का गठन नहीं किया गया है। अपने अधिकारों की मांग को लेकर प्रस्तावित कहार मछुआ सहकारी समिति मर्यादित छापी डेम द्वारा संचालक मछली पालन विभाग भोपाल,जिला कलेक्टर,जिला पंचायत सीईओ सहित सांसद रोडमल नागर को अपनी परेशानियों से अवगत करा एक आवेदन दिया।जिसमै उन्होंने छापी डेम जला श्रय पर समिति का गठन कर अधिकार दिलाने की मांग की गई है। प्रस्तावित समिति के अध्यक्ष रवि पिता दौलतराम कहार ने बताया की वर्षों से छापी डेम पर उनके समाज के लोगों द्वारा मछली पालन कर अपने परिवार का पालन पोषण किया जा रहा है उनकी समिति में सौ से ज्यादा सदस्य हैं उनके द्वारा पूर्व में समिति के पंजीयन की कार्यवाही भी की गई है परंतु आज़ तक उनकी समिति का पंजीयन नहीं किया गया है जबकि संचालनालय मत्स्य उद्योग भोपाल द्वारा आदेश जारी किए गए हैं।अपने आवेदन में मछुआ कहार समाज के लोगों ने बताया कि प्रस्तावित कहार मछुआ सहकारी समिति मर्यादित छापी डेम के आवेदन पर वंशानुगत मछुआ जाति के पंजीयन के आदेश सहायक संचालक राजगढ़ को दिए गए थे परंतु उन्होंने अपने आदेश में गलत जानकारी देते हुए बताया की छापी डेम पर पूर्व से गठित अनुसूचित जाति मछुआ सहकारी समिति नाईहेडा वर्ष 1991 से मत्स्य पालन का कार्य कर रहीं हैं सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 9 के प्रावधानों का हवाला देकर प्रस्तावित समिति के पंजीयन पर कार्यवाही करने से इंकार कर दिया जबकि अनुसूचित जाति मछुआ समिति का कार्यश्रेत्र नाईहेडा है। उन्होंने अपने आवेदन में बताया की मछली पालन नीती 2008 में स्पष्ट हैं समिति में वंशानुगत मछुआरे को समिति में शामिल करने के साथ 5 हेक्टर से 1000 हेक्टर औसत तालाब जलश्रेत्र की है तों पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति को दिये जाने का प्रावधान है उन्होंने कहा कि हम सब वंशानुगत मछुआरे छापी डेम के जलश्रेत्र के मछुआरे है जिन्होंने समिति गठन का आवेदन भी प्रस्तुत किया है। परंतु जानबूझकर हमारी समिति का गठन नही किया जा रहा है। समाज अध्यक्ष रवि मेवाडे, घीसालाल मेवाडे, सुनील मेवाडे,भवानी सिंह, संजय,राजू, हेमराज,जीतू, राधेश्याम मेवाडे, गोपाल, फूलसिंह मेवाडे,भूरा, दिनेश, मुकेश, गोविंद, गोपाल, राजेश मेवाडे ममता बाई सन्तोष कला बाई ने छापी डेम पर मत्स्य पालन के लिए वंशानुगत मछुआरे की समिति गठित करने की मांग की है।
क्या कहते है अधिकारी
चंद्रपाल बीसे सहायक संचालक मत्स्य उद्योग राजगढ़ ने बताया कि छापी डेम पर1991 से भी समिति बनी हुई है जिसमें भी 40 से ज्यादा लोग वंशानुगत मछुआरे शामिल हैं शासन के नियम अनुसार इनके भी 10,15 सदस्य शामिल हो सकते हैं। वैसे अब यह मामला जिला पंचायत के पास है वहीं से निर्णय होगा।