थांदला। जिन शासन गौरव आचार्य भगवंत थांदला के नंदन परम पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी म सा के सुशिष्य प्रवर्तकदेव आगम विशारद बुद्धपुत्र पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म सा आदि ठाणा – 4 पौषध भवन आजाद चौक पर सुखसाता पूर्वक विराजित है तथा महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म सा आदि ठाणा – 4 महिला स्थानक थांदला में सुखसाता पूर्वक विराजित है। शासन के नियमों का ध्यान रखते हुए जैन समाज के आराधक आत्म आराधना कर रहे है। ऐसे में गुरुदेव ने भी सभी को प्रेरणा देते हुए कहा कि कोरोना काल भी आत्म आराधना में सहयोगी है। यह समय बच्चों को संस्कारित करने का व उन्हें जिन धर्म के प्रति अनुरागी बनाने का है। आपकी वाणी को शिरोधार्य कर पूज्य श्री के मुखारविंद से 50 से अधिक युवा आदि आगम का 32वाँ आवश्यक प्रतिक्रमण सूत्र याद कर रहे है वही अनेक भव्य आत्माएं अन्य आगम याद कर रहे है।
पर्व की तपस्या पूर्ण हुआ बहुमान
तप प्रधान जैन धर्म में तप को कर्म निर्जरा का हेतू माना गया है व जिन शासन की प्रभावना करने वाला कहा गया है। गुरुभगवन्त की प्रेरणा का प्रतिफल है कि लॉक डाउन व ऑन लाइन पढ़ाई के दौर में बाहर पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों से पढ़ाई कर रहे है व धर्म में आस्था रखते हुए तपस्या कर रहे है। किशोर तरुणाई गुजरात से सीए की पढ़ाई कर रहे मा. पर्व हेमन्त श्रीश्रीमाल ने आज 8 उपवास की प्रतिज्ञा ग्रहण की। उनके तप की अनुमोदना में हितेश शाहजी ने 5 उपवास की बोली लगाकर संघ कि ओर से बहुमान किया। वही आज की सभा में मा. इशित गादिया, कु. नव्या शाहजी, कमल एवं सुनीता श्रीमाल, प्रांजल एवं नेहा लोढ़ा, गौरव एवं दीपा शाहजी ने 5 – 5 उपवास, रविजी लोढ़ा ने तेले तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। उल्लेखनीय है कि थांदला में लगभग 25 आराधक वर्धमान निवि तप की आराधना कर रहे है वही
4 तपस्वी धर्मचक्र, रंजना श्रेणीक गादिया व अमिता प्रदीप गादिया तेले तेले पारणा कर रहे है। गुरुदेव के सानिध्य में 10 तपस्वी वर्षीतप की आराधना भी कर रहे है वही अनेक आत्माएं एकान्तर उपवास, आयम्बिल, निवि व एकासन तप की आराधना कर रहे है। आज की वाचनी के पश्चात मा पर्व की तपस्या के निमित्त उनके दादा -दादी श्रीमती सुभद्रा रमेशचंद्रजी श्रीमाल परिवार द्वारा संघ में दानराशि दी गई वही प्रभावना भी वितरित की गई। गुरु दर्शन को बाहर से आये दर्शनार्थियों का आतिथ्य सत्कार श्रीसंघ द्वारा किया गया।