दमोह (kundeshwartimes)
पटेरा जनपद पंचायत में लगातार सरपंच प्रतिनिधि कार्यालय में आकर शासकीय कार्य को स्वीकृति करवा रहे हैं जबकि शासन द्वारा प्रतिनिधि को वर्जित किया गया है लेकिन लगातार प्रतिनिधि अपना दबदबा बनाकर अधिकारियों से निर्माण कार्य स्वीकृत करवा रहे है।
पटेरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हिनोती में पुरुष आदिवासी सरपंच निर्वाचित हुआ हैं सरपंच निर्वाचित हुए हैं लेकिन पुरुष आदिवासी सरपंच द्वारा जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों का निरीक्षण नहीं किया जाता है नाही ग्राम पंचायत की समस्याओं को सुना जाता है सरपंच की जगह उनके उनके परिचित के द्वारा ग्राम पंचायतों को संचालन किया जाता है जबकि ग्राम पंचायत हिनोती में आदिवासी सरपंच निर्वाचित हुए ओर यादव सरपंची चला रहे ओर शासकीय दस्तावेजों को खुलेआम हाथ लगा रहे और अपने साथ ले जा रहे और जनपद पंचायत पटेरा के अधिकारी कुछ नहीं करते और ना ही कुछ बोलते हैं क्योंकि उनको तो सिर्फ अपनी जेब गरम करने की पड़ी है इसलिए वह है कुछ भी नहीं बोलते और सरपंच प्रतिनिधि या परिचित के चला रहे हैं ग्राम पंचायत जबकि शासन ने आदिवासी को आरक्षण इसलिए दिया है कि आगे बढ़े अपने ग्राम का विकास करें एवं आगे बढ़कर सभी को शिक्षित बनाएं लेकिन शासन के मंसूबों पर सरपंच प्रतिनिधि एवं उनके रिश्तेदार पानी फेरने में लगे हैं आदिवासियों को आगे नहीं बढ़ाया जाता है सिर्फ चुनाव लड़ा कर अपने घर का काम या किसानी का काम करवाया जाता इसके बाद उनके परिजन ही ग्राम पंचायत का संचालन करते हैं ऐसे में उनका साथ अधिकारी एवं कर्मचारी भी देते हैं सरपंच को पता ही नहीं रहता है कि उनके गांव में कितने विकास कार्य चल रहे हैं और कौन-कौन से कहां-कहां चल रहे हैं और मजदूरी भी कितनी है मजदूरों को कितनी मजदूर कार्य की दी जाती है यह सब की जानकारी सरपंच को नहीं रहती है उनके पति एवं उनके रिश्तेदार व जनप्रतिनिधि को ही जानकारी रहती है जो सरपंची चला रहे हैं ऐसा ही हाल ग्राम पंचायत हिनोती का है जहां पर आदिवासी सरपंच है लेकिन सरपंच जनप्रतिनिधि यादव ग्राम पंचायत चला रहे ओर जनपद कार्यालय जाकर काम स्वीकृत करवाते हैं लेकिन जनपद सदस्य के परिजन ही ग्राम पंचायत एवं जनपद क्षेत्र के विकास के लिए जनपद कार्यालय आते हैं जो निर्वाचित सरपंच हैं वह जनपद कार्यालय कभी नही जाते हैं जब बैठक हो तभी आते हैं लेकिन उनके परिजन दिनभर जनपद पंचायत कार्यालय में रहते हैं जो अपने क्षेत्र की विकास के लिए कार्यालय में अधिकारियों के पास बैठे रहते हैं प्रतिनिधि नियुक्त होकर जबकि शासन द्वारा प्रतिनिधियों पर रोक लगाई गई है लेकिन अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देते सरपंच प्रतिनिधि ही चला रहे हैं कई ग्राम पंचायतों मे आदिवासी सरपंच होने के कारण सिर्फ चुनाव लड़ वाने एवं जीतने तक के जरूरत रहती है अगर आदिवासी सरपंच जीत गया तो उसे फिर घर का काम या किसानी का काम करवाते है सब जगा उसके परिजन एवं सरपंच पति ही जाएंगे और हर कार्य को स्वीकृत करवाने के से लेकर ग्राम पंचायत के प्रस्ताव तक मैं उन्हीं की सहमति से ही कार्य होगा सरपंच को जानकारी ही नहीं रहती है कि कब प्रस्ताव दिया गया किन किन कामों का प्रस्ताव दिया गया कितने लोगों को ग्राम पंचायत में रोजगार प्रदान करवाया गया इस जानकारी को अगर सरपंच से पूछे तो उसे पता नहीं रहता उनकी जगह उनके पति को पूरी जानकारी रहती है जो ग्राम पंचायत को का संचालन कर रहे हैं और एमबी एवं फाइल को लिए रहते हैं जो ग्राम पंचायत के शासकीय के दस्तावेज हैं जिन्हें सचिव एवं ग्राम पंचायत रोजगार सहायक एवं सरपंच ही ले सकता है लेकिन सरपंच पति एवं उनके रिश्तेदार शासकीय दस्तावेज लेकर जनपद पंचायत कार्यालय आते हैं एवं जनपद सदस्य के परिजन एवं उनके प्रतिनिधि शासकीय दस्तावेज लेकर जनपद कार्यालय आते हैं जिन्हें निर्वाचित जनपद सदस्य एवं ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक सचिव एवं सरपंच ही ले सकते हैं लेकिन वह बाहरी व्यक्तियों के पास शासकीय दस्तावेज रहते हैं और जनपद पंचायत पटेरा में रोजाना सरपंच प्रतिनिधि निर्माण कार्य की फाइल स्वीकृत करवाने आते हैं लेकिन उस पर जनपद के वरिष्ठ अधिकारी रोक नहीं लगा रहे हैं और उनके बेधड़क होकर काम स्वीकृत किए जा रहे हैं और अधिकारियों के नजर के सामने ही एमबी फाइल लेकर जनपद पंचायत कार्यालय में घूमते रहते हैं ओर शासन की गाइड लाइन का किया जा रहा है उल्लंघन सरपंच को पता नहीं है ग्राम पंचायत में कितने निर्माण कार्य चल रहे और कितने मजदूर मजदूरी कर रहे ग्राम पंचायत संबंधित कोई भी सरपंच को जानकारी नहीं और कई बार समाचार पत्रों के माध्यम से समाचार प्रकाशित हुए लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही लगातार जनपद मैं सरपंच प्रतिनिधि खुलेआम दस्तावेज अपने हाथों में लेकर घूमते हैं जबकि शासन के आदेश के अनुसार जनपद कार्यालय में वही शासकीय दस्तावेजों को लेकर घूम सकता है जो सरपंच स्वयं है अब देखना यह है कि वरिष्ठ अधिकारी इस पर क्या कार्यवाही करते हैं।