लापरवाही छिपाने एक भी दलील नही आई काम
दमोह। नगर पालिका दमोह के एक निर्माण कार्य से जुडी जानकारी आरटीआई के तहत उपलब्ध ना कराने बल्कि जानकारी ना देने अलग अलग प्रकार की दलीलें देना नगर पालिका के उपयंत्री को एक बार फिर भारी पड गया। राज्य सूचना आयोग ने उपयंत्री की घोर लापरवाही मानते हुए ना केवल 25 हजार का जुर्माना ठोक दिया बल्कि प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल. संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन सागर व कलेक्टर दमोह को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु आदेश की प्रति भेजने का आदेश दिया है। उपयंत्री को जुर्माने की राषि एक माह मे आयोग में जमा कराना होगी। विदित हो कि तीन महिने पहले भी इसी उपयंत्री पर हो चुका है एक अन्य मामले में 25 हजार का जुर्माना तीन महिने पहले भी उपयंत्री पर हो चुका है। प्रकरणानुसार आरटीआई कार्यकर्ता अनुराग हजारी ने नगर पालिका दमोह में आवेदन देकर गोल मार्केट में दुकानों का निर्माण कार्य की सबंधित जानकारी का आवेदन प्रस्तुत किया था किन्तु समय सीमा मे जानकारी प्रदाय ना करने पर प्रथम अपील 14 अक्टूबर 2016 को प्रस्तुत की गई थी जिसमें सुनवाई के पश्चात प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक को 15 दिवस में समस्त जानकारी निषुल्क रजिस्टर्ड डाक से प्रदाय करने का आदेष दिया था किन्तु तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने समयावधि मे जानकारी प्रदाय नही की। जिसके बाद अपीलार्थी अनुराग हजारी ने राज्य सूचना आयोग में द्धितीय अपील प्रस्तुत कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही व जुर्माने की मांग करते हुए जानकारी दिलाए जाने की मांग की। राज्य सूचना आयोग ने लोक सूचना अधिकारी को प्रथम दुष्टया दोषी पाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कियां। जिस पर कई पेषियों पर तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी व सीएमओ ने कोई समाधाानकारक जबाब पेष नही किया। सख्ती व जुर्माने का अंदेषा हुआ तो सीएमओ बोले उपयंत्री की गलती.. राज्य सूचना आयोग के सख्त होते रूख को भांपकर सीएमओ सुधीर सिंह ने जबाब पेष कर कहा कि प्रकरण की फाईल उपयंत्री सुषील अग्रवाल के पास थी उन्हें जानकारी देने लिखा गया था किन्तु उन्होने समय सीमा में जानकारी नही दी लिहाजा उनकी गलती हैै। पहले कहा कार्यालय परिवर्तन के कारण फिर कहा फाइल गुम जाने के कारण नही दे पाए जानकारी।आवेदक को सूचना ना देना पडे इसके लिए नगर पालिका के अपफसरों ने तरह तरह के हथकण्डे अपनाए पहले आयोग में कहा गया कि कार्यालय परिवर्तन के कारण जानकारी नही दे पाए फिर कहा फाई अन्य दस्तावेजों में दब जाने के कारण जानकारी मुहैया नही कराई जा सकी किन्तु आयोग ने उपयंत्री की एक दलील नही मानी। आयोग ने माना उपयंत्री ने जानकारी देने में बाधा उत्पन्न की़.. प्रकरण में आए तथ्यों के अवलोकन के बाद आयोग ने पाया कि उपयंत्री सुषील अग्रवाल से बार बार जानकारी मांगने के बाद भी समया वधि में लोक सूचना अधिकारी के समक्ष जानकारी प्रस्तुत ना करने व जानकारी देने में बाधा उत्पन्न करने के कारण उपयंत्री को धारा 20 ;1; के तहत करण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया। प्रकरण का अंतिम निर्णय देते हुए आयोग ने उपयंत्री सुषील अग्रवाल को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 ;1; का स्पष्ट दोषी पाते हुए 25 हजार रूपए जुर्माने की राषि से दण्डित करने का आदेष सुनाया व निर्देषित किया कि वे जुर्माने की राषि एक माह के अंदर आयोग के कार्यालय में जमा करेंगे अन्यथा की स्थिति में आयोग कार्यवाही करेगा..