सलेहा :- इस वैश्विक महामारी से जहां पूरा देश जूझ रहा है। वहीं प्रवासी मजदूर पैदल चलकर अपने गांवों के लिए आ रहे हैं। मजदूरों को अपने गांव , शहर तक पहुंचाने के लिये बड़े बड़े वायदे कर रही है कि सरकार मजदूरों को उनके घर तक अपने किराया से पहुंचाया जाएगा लेकिन ऐसा वास्तविक दृष्टि में नही हो रहा है। जब मजदूर अपने लिए स्वयं ट्रकों के माध्यम से एक आदमी का लगभग 2500 से 3000 रुपये देकर ट्रकों में आ रहें है। वह भी उनको बीच में छोड़ दिया जाता है 60 से 70 किलोमीटर के दायरे में छोड़ दिया जाता है और वहां से भूखे प्यासे पैदल चलकर वह अपने गांव तक पहुंचते हैं। मजदूरों से जब पूंछा गया कि सरकार बसें व ट्रेन चला रही है और आपको घर फ्री में पहुँचा रही है तो फिर आप लोग इतना किराया देकर क्यों आ रहे हैं। तो इस बात पर मजदूरों ने बताया कि ट्रक वाले तो एक आदमी का 2500 से 3000 रुपये तक लेते हैं लेकिन बस वाले तो 3500 से 4000 रुपये लेते हैं। मजदूरों ने कहा कि यह सरकार कहती कुछ है और करती कुछ और है।
सेल्हा चैक पोस्ट पर तैनात पुलिस आरक्षक जितेन्द्र सिंह व उनके साथियों ने प्रवासी मजदूरों को कराया भोजन
प्राप्त जानकारी के अनुसार गुजरात से सतना तक ट्रक के माध्यम से पन्ना जिले के कल्दा पठार क्षेत्र के तीन मजदूर 7500 रुपये किराया लगाकर सतना तक आए व सतना से पैदल चलकर आ रहे थे सलेहा थाना अंतर्गत सेल्हा चैक पोस्ट पर तैनात पुलिस आरक्षक जितेन्द्र सिंह ने बुलाकर पूंछतांछ की तो उनके द्वारा बताया गया कि हम लोग मजदूर हैं गुजरात से सतना तक ट्रक से आये हैं और सतना से पैदल अपने गांव जा रहें। मजदूरों ने अपना नाम गजेन्द्र सिंह उम्र 19 वर्ष निवासी सर्रा , ज्ञान सिंह उम्र 24 वर्ष , संजो सिंह पति ज्ञान सिंह उम्र 19 वर्ष निवासी बिरवाही जनपद पंचायत पवई बताया। आरक्षक जितेन्द्र सिंह द्वारा पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि हम दो दिन से भूखे हैं कुछ नही मिला। तो आरक्षक के साथ वनरक्षक अरविंद गुप्ता व प्रकाश दाहिया ने तुरन्त खाना कि व्यवस्था की व उन्हें भरपेट खाना खिलाया। और यह भी कहा कि आप लोग पहले अपनी जांच करवा लेना इसके बाद घर जाना। ऐसे लोगों को ही असली योद्धा कहते हैं।