रीवा 12 मई 2020. वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि उत्पादन आयुक्त श्री केके सिंह ने कृषि आदान की समीक्षा की। कलेक्ट्रेट के एनआईसी केन्द्र से रीवा तथा शहडोल संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव, कलेक्टर बसंत कुर्रे तथा अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने सभी सुझावों पर यथा शीघ्र समुचित कार्यवाही की बात कही।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मुर्गी पालन के संबंध में जानकारी देते हुए कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मुर्गी पालन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से लगातार दुष्प्रचार के कारण लोगों ने पोल्ट्री उत्पादों से मुह मोड़ लिया है जिसके कारण मुर्गी पालन करने वाले गरीब परिवारों के लिए आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। इन परिवारों को आर्थिक मदद की आवश्यकता है। पोल्ट्री उत्पाद, मछली तथा मांस द्वारा वायरस के संक्रमण का अब तक एक भी प्रमाण नहीं है लेकिन दुष्प्रचार के कारण कई आमिस आहारियों ने इसे अपने भोजन से अलग कर दिया है। इस दुष्प्रचार के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, जनसंपर्क विभाग तथा सोशल मीडिया के माध्यम से सकारात्मक प्रचार-प्रसार आवश्यक है।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि मछली पालन परिवारों को सहकारी बैंक आर्थिक स्थिति अच्छी न होने का बहाना बनाकर मछुआ क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर रहे हैं। इसके लिए सहकारी बैंक तथा अन्य बैंकों को निर्देश दिया जाना आवश्यक है जिससे मछली पालकों को पर्याप्त राशि उपलब्ध हो सके। कमिश्नर ने कहा कि रीवा संभाग में कई बड़े किसानों के पास हार्वेस्टर उपलब्ध हैं किन्तु इन्हें चलाने वाले कुशल व्यक्तियों की कमी है। कमिश्नर ने कहा कि स्थानीय स्तर पर कुशल मजदूरों का चयन करके उन्हें यदि हार्वेस्टर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाये तो बाहर से हार्वेस्टर चलाने वालों की आवश्यकता नहीं रहेगी। स्थानीय युवाओं को रोजगार का भी अवसर मिलेगा।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने उद्यानिकी फसलों के संबंध में सुझाव देते हुए कहा कि रीवा तथा शहडोल संभाग में आवारा पशु की ऐरा प्रथा बहुत बड़ी समस्या है। उद्यानिकी फसलों की कार्य योजना बनाते समय उसमें सुरक्षा के लिए फेंसिंग का भी प्रावधान भी किया जाये। इससे ग्रीष्मकालीन फसल के क्षेत्र में तथा किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। उन्होंने पशुओं के उपचार के लिए हेल्पलाइन 1962 के माध्यम से घर पहुंचकर पशु उपचार सेवा संजीवनी के प्रचार-प्रसार का भी सुझाव दिया।