सीमावर्ती प्रदेश के प्रवासी मजदूरों के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं सुनिश्चित – कलेक्टर

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रीवा 17 मई 2020. सीमावर्ती प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य की सीमा तक पहुंचाने के लिए रीवा जिला प्रशासन द्वारा सभी समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। कलेक्टर बसंत कुर्रे ने बताया कि जिला प्रशासन की यह प्राथमिकता है कि अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों को खाना, पानी, छाया आदि की व्यवस्था करायी जाये, तदुपरांत उन्हें बस या अन्य साधनों से सीमावर्ती राज्य की सीमा तक पहुंचाया जाए। सीमा से लगे राज्यों का दायित्व है कि वह अपने श्रमिकों को अपने राज्य में प्रवेश की अनुमति दें।
कलेक्टर ने बताया कि रीवा जिले में अन्य राज्यों के श्रमिकों को रोकने या अन्य कोई सुविधा न देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यदि उन्हें जिले की सीमा में प्रवेश दिए जाने का इरादा न होता तो वह जिले की सीमा या जिले में कैसे प्रवेश करते। चॉकघाट बॉर्डर में सीमावर्ती राज्य के श्रमिकों की भीड़ इसलिए बढ़ी क्योंकि पड़ोसी राज्य द्वारा उन्हें अपने प्रदेश में लिए जाने की अभी तक कोई सुनिश्चित व्यवस्था नहीं बनाई गई। इन मजदूरों को सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।
कलेक्टर ने बताया कि रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव, आईजी चंचल शेखर सहित कलेक्टर एवं एसपी आबिद खान द्वारा उत्तरप्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ प्रवासी मजदूरों के प्रवेश के संबंध में चर्चा की गई है। मध्यप्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में भी इन प्रवासी मजदूरों के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश के संबंध में बात संज्ञान में लाई गई है। चाकघाट बार्डर में श्रमिकों के उत्तर प्रदेश सीमा में प्रवेश का सिलसिला शुरू हो गया है तथा अब किसी तरह की कोई परेशानी या बाधा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती राज्य उत्तरप्रदेश द्वारा अपने प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य की सीमा में प्रवेश न देने के कारण चाकघाट बार्डर में बड़ी संख्या में मजदूर एकत्रित हैं। रीवा जिला प्रशासन द्वारा सभी मजदूरों को भोजन, पानी, छाया आदि की व्यवस्था की गई है। मध्यप्रदेश सरकार का भी यह प्रयास है कि उनके राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। चाकघाट बार्डर में उत्तर प्रदेश के श्रमिकों के उनके राज्य में प्रवेश का सिलसिला धीरे-धीरे प्रारंभ हो गया है।

अनिल पटेल, सम्भागीय ब्यूरो रीवा

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