*ढाई माह से गौतमबुध नगर में बंधक मजदूर पहुंचे अपने घर:* अधिक मजदूरी के चक्कर में पहुचे थे यूपी, ठेकेदार ने मजदूरों को बंधक बनाकर जबरन कराई मजदूरी/समाचार संपादक मोहन पटेल की खास रिपोर्ट

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*ढाई माह से गौतमबुध नगर में बंधक मजदूर पहुंचे अपने घर:* अधिक मजदूरी के चक्कर में पहुचे थे यूपी, ठेकेदार ने मजदूरों को बंधक बनाकर जबरन कराई मजदूरी।

*-वहां के किसी स्थानीय पत्रकार को मिली सूचना, तो उसने प्रशासन के सहयोग से सभी को कराया बंधके मुक्त, यूपी प्रशासन ने सभी को भेजा दमोह।*

*-बंधक मजदूरों में कुल 41 महिला पुरुष शामिल, जिसमें 4 मजदूर और दो बच्चे दमोह, बाकी सब छतरपुर निवासी।*

*दमोह ( विंध्य सत्ता ) ।* मजदूरों को बंधक बनाकर उनसे काम लेने की खबरें तो सालों पहले सुनने और देखने मिलती थी, लेकिन अभी भी ऐसा हो रहा है। इसका प्रमाण शनिवार रात करीब 11 बजे दमोह की कलेक्ट्रेट में देखने मिला। कलेक्ट्रेट परिसर में यूपी की एक बस इन मजदूरों को लेकर पहुंची, जिसमें से 4 मजदूर और दो बच्चों को यहां पर उतारा गया और बाकी सभी मजदूरों को छतरपुर रवाना किया गया।
दमोह की मजदूर रज्जोबाई ने बताया कि करीब ढाई माह पहले वह लोग मजदूरी करने के लिए दिल्ली गए थे। वहां से उन्हें बताया गया कि गौतमबुध नगर में मजदूरों को काम दिया जा रहा है और वेतन भी अच्छा मिलेगा। अधिक रुपयों के लालच में वह वहां पर काम करने के लिए पहुंच गए। महिला ने बताया कि उसके अलावा दमोह के तीन अन्य मजदूर और छतरपुर के करीब 35 मजदूर वहां पर काम करने पहुंचे। ठेकेदार ने उन्हें काम बताया और कहा कि उन्हें सप्ताह में भुगतान करेगा, लेकिन बाद में उसने भुगतान करने में आनाकानी शुरू कर दी और सभी को बंधक बना लिया। खाने-पीने की सामग्री खरीदने के लिए भी यदि बाजार जाना पड़ता था, तो परिवार का केवल 1 सदस्य ही बाजार जा सकता था, बाकी सभी को बंधक बनाकर रखा था। जब उन्होंने वहां से आने के लिए ठेकेदार से कहा तो उसने धमकाया और कहा कि यहां से कोई नहीं जा सकता। एक दिन अचानक किसी पत्रकार ने उन्हें देख लिया और जब उससे अपनी समस्या बताई तो उसने वहां के प्रशासन से मदद लेकर उन सभी को वहां से बंधक मुक्त कराया है।
जिला श्रम अधिकारी एसके गुप्ता इन मजदूरों को लेने कलेक्ट्रेट पहुंचे उन्होंने बताया कि यूपी प्रशासन ने बहुत ही बेहतर काम किया है। मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया है। दमोह के सभी मजदूरों को यहां पर उतार लिया गया है। उन मजदूरों का मेडिकल परीक्षण कराने के बाद उन्हें उनके घर भेजा जाएगा। बाकी मजदूर छतरपुर के हैं, जिन्हें वहां पर रवाना किया जा रहा है। श्रम अधिकारी का कहना है कि मनरेगा के तहत तो जिले के सभी पंचायतों में काम है, लेकिन यह लोग अधिक मजदूरी के लालच में महानगरों में मजदूरी करने चले जाते हैं और वहां इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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