रीवा(kundeshwartimes)- रीवा और मऊगंज की धरती हीरों से चमकेगी नया जिला मऊगंज को भी हीरों की सौगात मिलने वाली है। राज्य सरकार ने सीएल (कम्पोजिट लाइसेंस)के लिए निविदा बुलाई है। निविदा फाइनल होने ही हीरा की खुदाई शुरू हो जाएगी। मऊगंज और रीवा मालामाल होंगे। देश व विश्व में नाम कमाएंगे। राज्य शासन ने विगत दिनों कई खनिज ब्लाकों की नीलामी के लिए एनआइटी जारी की है। इसमें विंध्य क्षेत्र के सिंगरौली में सोने के साथ रीवा और नए मऊगंज जिले में हीरे की खदानों के लिए भी ब्लॉक चिन्हांकित किए गए है।
सर्वे में हीरा खनिज के मिले थे प्रमाण
उल्लेखनीय है कि पूर्व में रीवा जिले में वृहद क्षेत्र में कई मल्टीनेशनल एक्सपर्ट कंपनियों द्वारा डायमंड सर्वे का काम किया था। इसमें इन कंपनियों द्वारा रीवा जिले के सोहागी पहाड़ में 460 हेक्टेयर क्षेत्र में और मऊगंज जिले के लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्र में हीरा खनिज मिलने के प्रमाण मिलने की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। राज्य शासन ने अब परीक्षण के बाद समेकित अनुज्ञप्ति(सी एल) के लिए नीलामी सूचना प्रकाशित की है। कंपनियां 9अगस्त 2023 तक ई ऑक्शन में भाग ले सकती है। जिस कंपनी ने अधिक निविदा डाली, उसे ही हीरा निकालने का अवसर मिलेगा।
मऊगंज के इन गांवों में हीरा निकलेगा
मऊगंज क्षेत्र में करीब 7 गांवों को चिन्हित किया गया है। इन गांवों में सीतापुर,आध सरई,गढ़वा, हिनोती, दीपाबरोडी, खाड़ी,मलकपुर आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों में हीरा की चट्टानों के मिलने के ज्यादा आसार हैं। इसके अलावा रीवा जिले में सोहागी, मझिगवां और पुर्वा क्षेत्र में हीरा मिलने की संभावना जताई जा चुकी है। इसका क्षेत्रफल करीब 460 हेक्टेयर है। इस नीलामी में देशभर से बड़ी कंपनियां हिस्सा लेंगी। संभावना है कि रीवा में एक बड़ा इन्वेस्टमेंट होगा जो दोनों जिलों की तस्वीर बदल देगा।
कैसे तैयार होता है हीरा
किंबरलाइट चट्टानों में हीरा मिलता है। किंबरलाईट नाम की ग्रीन कलर ज्वालामुखी चट्टानों में बहुतायत से हीरे पाए जाते है। धरती की बहुत अधिक गहराई से ये चट्टानें 100 किमी गहराई में निर्मित हुए चमकदार मूल्यवान हीरों को धरती की सतह तक लाती है। जिसमें पहाड़ी घाटी और फॉल्ट जोन महत्पूर्ण होता है। सीतापुर पहाड़ी पर जैसे फीचर मिलते है। जिससे हीराधारी चट्टान मिलने की उम्मीद ज्यादा बढ़ गई है। हीरा ब्लाकों की नीलामी की सूचना से हीरे की जानकार कंपनियों ने जिले में संपर्क कर भ्रमण करना भी चालू कर दिया है ,अगर बढिय़ा तकनीक से खोज होगी निश्चित ही नए जिले में नए उद्योग स्थापित होंगे।