दमोह नरवाई में आग लगाने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण रखने, जन सामान्य के हित सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर्यावरण की हानि को रोकने एवं लोक व्यवस्था बनाये रखने के मद्देनजर जिला मजिस्ट्रेट एस. कृष्ण चैतन्य ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत दमोह जिले की राजस्व सीमा में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा। आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डनीय होगा। पर्यावरण विभाग द्वारा नोटिफिकेशन से नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करके दण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान है।
यह आदेश दमोह जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा के अंतर्गत जन सामान्य के जान-माल की सुरक्षा तथा भविष्य में लोक शांति भंग होने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है, लेकिन जिले में निवासरत् प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिशः तामील कराया जाना संभव नहीं है। अतः दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(2) के अंतर्गत एकपक्षीय रूप से पारित किया जाता है। सार्वजनिक माध्यमों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, समाचार पत्रों के माध्यम से यह आदेश सर्व साधारण को अवगत कराया जा रहा है।
जारी आदेश में कहा गया है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा नरवाई में आग लगाने की घटनाओं की सेटेलाईट मेंपिग की जा रही है। राष्ट्रीय फसल अवशेष प्रबंधन नीति 2014 के अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधक हेतु जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। वर्तमान में फसल की कटाई प्रारंभ हो चुकी है। गेंहू एवं अन्य फसलों के डंठलों (नरवाई) में आग लगाये जाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया है।
फसलों की कटाई में उपयोग किये जाने वाले कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया गया है। जिले में गेंहू की नरवाई से कृषक भूसा प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनकी मांग को देखते हुये स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के स्थान पर स्ट्रा रीपर के उपयोग को अनिवार्य किया जा सकता है। अर्थात कंबाईन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस अथवा स्ट्रा रीपर में से कोई भी एक मशीन साथ में रहना अनिवार्य रहेगा।
उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग दमोह ने अवगत कराया है, कि प्रदेश में धान एवं गेहूं मुख्य फसल के रूप में ली जा रही हैं। उक्त फसलों की कटाई मुख्य रूप से कंबाईन हार्वेस्टर के माध्यम से की जाती है। कटाई उपरांत फसलों की नरवाई में आग लगाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि होने पर भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी होती है, तथा पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित होता है।