पाकिस्तानी नागरिक आखिर कैसे बन गया सरकारी टीचर, गृह मंत्रालय जांच के लिए हुआ सक्रिय, कई लोगों पर जांच की आएगी आंच

0
203

नईदिल्ली (kundeshwartimes)- पाकिस्तानी नागरिक को सरकारी शिक्षक बनाने में कई की भूमिका संदिग्ध है। जांच में तत्कालीन बीएसए को डीएम-एसपी ने दोषी मानते हुए गृह मंत्रालय को अवगत भी कराया था लेकिन, हाईप्रोफाइल इस मामले को तब दबा दिया गया।

लेकिन, अब एकाएक गृह मंत्रालय सक्रिय हो गया है। इस मामले में शासन ने स्पष्ट आख्या के साथ रिपोर्ट तलब की है। दरअसल, शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला आतिशबाज निवासी अख्तर अली की बेटी फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर ने 17 जून 1979 को पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से निकाह किया और पाकिस्तान चली गई थी। वहां उसे पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई। बाद में उसने दो बेटियों को वहां जन्म दिया। जिनका नाम फुरकाना और आलिमा है। निकाह के तीन साल बाद उसके शौहर ने तलाक दे दिया था। जिस पर वह अपनी दोनों बेटियों के साथ रामपुर अपने मायके आ गई थी। वीजा अवधि खत्म होने के बाद एलआईयू की ओर से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। जिस पर 25 जून 1985 को उसे सीजेएम कोर्ट से दंडित भी किया गया था।

ऐसे हुआ खुलासा

अवैध तरीके से रामपुर में रह रही इस पाक नागरिक को एलआईयू ने नोटिस जारी करते हुए वीजा अवधि बढ़वाने को कहा था। जिस पर खुलासा हुआ था महिला तो बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका के पद पर तैनात है। एलआईयू ने बीएसए के यहां से छानबीन शुरू की तो पता चला कि उसे 22 जनवरी 1992 में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी दी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए एलआईयू ने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी थी।

सपा सरकार में दबा दिया था प्रकरण

सपा सरकार में ऊंची पहुंच के चलते उस वक्त के एक कद्दावर नेता और अफसरों ने इस चर्चित प्रकरण को दबा दिया था। जो सितंबर 2022 में दोबारा सामने आया तो शिक्षिका को बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन, दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

दोषियों को बचाने के चक्कर में दबी पत्रावली

2015 में हुई जांच में तत्कालीन बीएएसए के अलावा चयन बोर्ड में शामिल सभी को दोषी माना गया था। आवेदन से लेकर सत्यापन तक फर्जीबाड़ा किया गया और तत्कालीन बीएसए ने नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया था। लिहाजा, दोषियों को बचाने के चक्कर में पत्रावली दबा दी गई लेकिन, अब गृह विभाग ने स्पष्ट आख्या तलब करते हुए दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई, रिपोर्ट मांगी है, जिसके बाद से पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।

प्रमुख सचिव गृह ने तलब किया तात्कालीन जिलाधिकारी को

इस प्रकरण में 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश त्रिपाठी को प्रमुख सचिव गृह ने तलब किया था। जिस पर तत्कालीन एसपी, एलआईयू, आईबी के अधिकारियों के साथ बैठक कर तत्कालीन डीएम ने रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें प्रथम दृष्ट्या बीएसए को दोषी माना गया था। बाद में दो जून 2015 को प्रमुख सचिव गृह के समक्ष पेश हो डीएम-एसपी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट उन्हें सौंप दी थी।

बिना पुलिस सत्यापन के दी नौकरी

फर्जी दस्तावेजों के सहारे पाक नागरिक ने बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पायी थी। चयन बोर्ड ने नौकरी देते वक्त कोई पुलिस सत्यापन नहीं कराया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here