बोर्ड परीक्षाओं में बड़ी चूक, एक ही रोल नंबर के दो स्टूडेंट, एक छात्र को एग्जाम से रोका

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जबलपुर(kundeshwartimes)- जबलपुर में माध्यमिक शिक्षा मंडल की बड़ी चूक उजागर हुई है। बोर्ड परीक्षाओं के तहत 12वीं की परीक्षा देने रामपुर के परीक्षा केंद्र पहुंचे दो छात्रों के रोल नंबर एक ही थे। दोनों छात्र परीक्षा देने भी बैठ गए थे, लेकिन जब पर्यवेक्षक को इस गड़बड़झाले का पता चला तो बात केंद्राध्यक्ष से लेकर डीईओ और फिर भोपाल तक पहुंच गई। आनन-फानन में मंडल से इस अद्भुद घटना का तोड़ पूछा गया, बाद में मंडल ने एक छात्र का रोल नंबर ही कैंसिल कर दिया और उसे परीक्षा से वंचित कर दिया। अब वंचित छात्र का कहना है कि इसमें उसकी क्या गलती, मंडल ने उसे जैसा प्रवेश पत्र भिजवाया था, वह उसे लेकर परीक्षा देने पहुंचा था।

दरअसल रामपुर परीक्षा केंद्र में दो छात्रों के नाम विवेक ही था और दोनों के नंबर भी एक ही थे। इस बात का पता जब पर्यवेक्षक को लगा तो उसका विवेक भी इस गड़बड़ पर डोल गया। उसने केंद्राध्यक्ष को यह गड़बड़ी बताई, केंद्राध्यक्ष ने जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले की चर्चा की। बाद में माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल के आला अधिकारियों के सामने दो-दो विवेक का मामला रखा गया। मंडल के अधिकारी भी चकरा गए कि यह किसकी विवेकहीनता के कारण हुआ है।

इस घटना की जानकारी जब दोनों विद्यार्थियों को लगी तो वे सकपका गए। एक तो एग्जाम का टेंशन ऊपर से ऐसी गफलत। बाद में एक छात्र का प्रवेश पत्र कैंसिल कर दिया गया। दोनों छात्रों का कहना था कि हमें जैसा प्रवेश पत्र दिया गया हम वैसा ही लेकर परीक्षा देने आए थे। सबसे दुर्भाग्यजनक बात उस छात्र के भविष्य की है जिसकी परीक्षा कैंसिल कर दी गई है।

जानकारी के मुताबिक 12वीं हिंदी के पेपर में जिले में करीब 12 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए। जिले के 50 परीक्षा केंद्रों में यह परीक्षा आयोजित कराई गई। परीक्षा में नकल को रोकने जिला शिक्षा विभाग ने उड़नदस्ता दल तैयार किए हैं जो केंद्रों में औचक निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने बताया कि रामपुर परीक्षा केंद्र में एक रोल नंबर के दो छात्रों द्वारा परीक्षा दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई थी। मौके पर जाकर केंद्राध्यक्ष से जानकारी ली गई और मंडल भोपाल के अधिकारियों को भी अवगत कराया गया। जिसके बाद एक छात्र का रोल नंबर सही निकला जिसे परीक्षा में बैठने दिया गया, जबकि दूसरे छात्र को परीक्षा से वंचित रखा गया।

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