युवाओं से बनेगा आत्मनिर्भर भारत:- शिशिर बड़कुल

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युवाओं से बनेगा आत्मनिर्भर भारत:- शिशिर बड़कुल

मनीष वाघेला

विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति को अंगीकृत कर भविष्य के भारत निर्माण का संकल्प लेकर हम 21वीं सदी में प्रवेश कर रहे हैं । के नए भारत का दौर है, यह नव निर्माण का समय है, आत्मनिर्भर भारत का समय है । आत्मनिर्भरता तो हमें हमारी विरासत में मिली है ,भारत ने पहले भी कभी किसी वस्तु का आयात नहीं किया। समय परिस्थिति ऐसी थी की गुलामी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ चरमरा गई नहीं, तो भारत में सदैव वसुधैव कुटुंबकम के आधार पर पूरी दुनिया का भरण पोषण किया है । आज जब देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत निर्माण की बात करते हैं ,तो इसमें कहीं कोई अतिशयोक्ति नहीं है । देश का यह स्वर्णिम स्वप्न पूर्ण होगा, तो इसका आधार युवा ही होंगे   हर क्षेत्र में भारत का युवा सर्वोच्च शिखर छू रहा है, भारत के इस युवा सामर्थ्य को अगर देश के हित में समर्पित कर रहे तो आत्मनिर्भरता की परिभाषा स्वत: ही पूर्णता को प्राप्त करेगी ।  आज देश में कई ऐसे वह है जो स्वप्रेरणा से ही इस दिशा में आगे बढ़े , और अपने देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं । कई लोगों के स्टार्टअप को विश्व स्तरीय पहचान तक मिली है। आज केंद्र सरकार इस दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है, जहां अगर आप दो कदम बढ़ आओगे तो सरकार आपकी मदद के लिए सदैव 10 कदम बढ़ाने तैयार है । मोदी सरकार ने कई स्टार्टअप को उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें टैक्स फ्री किया है। स्वभाविक है जब किसी के कंधों पर से बोझ कम होगा तो उसकी आगे बढ़ने की तीव्रता अधिक होगी ।
रोजगार पैदा करना फिर उस रोजगार से संबंधित कौशल तलाशना या उस दिशा में निपुण करना लंबी प्रक्रिया होती है । आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की संरचना में इस कार्य की परिपूर्णता हेतु कौशल विकास पर जोर दिया गया। ऐसी विधाओं की सूची बनाई गई जिन की बहुतायत स्तर पर नौकरी या व्यवसाय में आवश्यकता होती है। कई प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार कर प्रशिक्षित किया जा रहा है, कुछ लोग पहले से किसी विधा में पारंगत हैं तो सरकार है उन्हें प्रमाण पत्र दे रही है । ऐसी कई व्यवस्थाएं स्थापित हो चुकी है जिनसे आज भविष्य का भारत तैयार हो रहा है।  उद्योग के नाम मात्र से दिमाग एक ऐसा आकलन कर लेता है कि यह बड़े तंत्र का काम है । वस्तुतः में लघु कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर भारत की कल्पना पूर्ण हो रही है आज भारत का युवा रोजगार रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मीडिया सोशल मीडिया के साथ कई ऐसे प्लेटफार्म है जहां से हमें हमेशा कुछ नया, कुछ हटकर कार्य करने वालों की जानकारी मिलती रहती है , तो कुछ युवाओं की कहानी प्रेरणा का कार्य करती है । आज भारत में 60% से ज्यादा युवा हैं और यह युवा स्वावलंबन की शिक्षा विवेकानंद से लेता है । इसके सामर्थ्य को सरकारे भली-भांति जानती हैं, तब ही उनके बलबूते पर आत्मनिर्भर बनने की बात कही जाती है ,भारत से वस्तुओं का निर्यात बढ़ेगा तो अर्थव्यवस्था मजबूत होगी । विकासशील से विकसित के बीच का सफर ही हमारी कल्पना को साकार करेगा । आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, आज भारत में प्रतिदिन ऐसे छोटे-बड़े कई अविष्कार होते हैं, जिनमें संसाधनों की कमी होती है कम संसाधनों के उपयोग से अधिक उपयोगिता की और प्रभावी कदम ही एक उद्योग स्थापन की तरफ जाते हैं । प्रेरणा देना और प्रेरित होना दोनों में एक महीना अंतर होता है, आवश्यकता है प्रतिदिन कुछ नया सीख कर उसे अन्य लोगों तक संचारित करने की ।
किसी की आत्मनिर्भरता किस बात से तय होती है कि सोचने और समझने का दायरा कितना है । अपनी रुचि अनुसार एक दिशा तय कर कार्य योजना बनाना और उस पर खरे उतरना आज निर्भरता का पहला और आवश्यक चरण है । आज जरूरत है कि परिस्थितियों को दोष देने की जगह युवाओं को समस्याओं को अवसर में बदलना होगा । सोच को परिवर्तित कर उसे आगे आने की जरूरत है ,समस्या की चिंता छोड़ उसके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है । आत्मनिर्भरता से पूर्व आत्मीयता के भाव जागृत करने की आवश्यकता है, युवाओं को जरूरी है कि खुद की काबिलियत को पहचान कर एक आकर्षक व्यक्तित्व के साथ समाज में स्थापित हों और आने वाली पीढ़ी को एक मिसाल दें । युवा जितना ही राष्ट्र प्रेमी उन्नत व कौशल युक्त होगा, तरक्की और उन्नति की संभावना उतनी ही प्रबल होंगी । इसमें कतई दो मत नहीं कि बड़े से बड़े परिवर्तन युवाओं की इच्छाशक्ति से सहज संभव हुए हैं । भारत के युवाओं को आज पूरी दुनिया ऐसी जानती है कि सजग और राष्ट्र निष्ठा से प्रेरित भारत का युवा किसी भी कठिनाई का अपने अदम्य साहस और कौशल से सामना करने की हिम्मत रखता है।  आज जरूरत है सावधानी से कार्य करते हुए एक भारत, समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए एक जुट होकर आगे बढ़ते रहना । युवाओं को सर्वाधिक आवश्यकता प्रोत्साहन की होती है उन्नति की दिशा में युवाओं को नवोन्मेष ,पेटेंट, उत्पादन, निर्यात और समृद्धि के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है । आज विश्व के अन्य देशों से अधिक भारत में युवाओं की संख्या है ,आवश्यक भी यही है कि विश्व पटल पर स्वावलंबन का तबका किसी के माथे पर चमकेगा तो निश्चित ही वह देश भारत होगा ।

(लेखक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी हैं )

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