दमोह – हटा जनपद पंचायत की ग्रामों को साफ स्वच्छ मनाने के लिए शासन प्रशासन द्वारा भरकस प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते हटा ब्लॉक के अनेको गांव में कहीं भी साफ सफाई नजर नहीं आ रही है जबकि शासन द्वारा गांव को साफ स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए लाखों रुपए स्वीकृत किए जा रहे हैं परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है
मामले हटा जनपद पंचायत आने बाली ग्राम पंचायते हैं जहां स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपए निकाले जाते हैं लेकिन कहीं भी साफ सफाई नजर नहीं आती
ब्लॉक की सबसे बड़ी पंचायत मडियादो जहां पर मडियादो बासी मूलभूत समस्याओं से जूझते नजर आ रहे हैं पंचायत कर्मी एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा यहां पर साफ-सफाई को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाता है और जगह-जगह कचरा
के ढेर से बदबू एवं मच्छर पनप रहे हैं जिससे आने वाले समय में बीमारियों का खौफ ग्राम वासियों को सता रहा है
*नालियों से आती है बदबू*
ग्राम में निरंतर नालियों की साफ सफाई ना होना ग्रामीणों की समस्या बनी हुई है वार्ड में छोटी नालियों की पानी निकासी ना होने से कीचड़ से लबालब भरी रहती हैं जिससे मच्छर एवं तरह-तरह के कीड़े पनप रहे हैं जिससे बीमारियों का खतरा भी निरंतर बढ़ रहा है लेकिन जिम्मेदार इस पर भी ध्यान नहीं दे पाते
स्वच्छता संबंधित ऐसी कोई भी पंचायत कर्मियों द्वारा गतिविधि नहीं बनाई गई जिससे हटा ब्लॉक की पंचायतें एवं गांव स्वक्ष दिखाई दें शासन के हरसंभव प्रयास के बाद भी जनप्रतिनिधियों इस पर प्रयास नहीं किए जाते
ब्लॉक की ऐसी कई बड़ी पंचायतें हैं जहां पर बाजार भी लगते हैं वहां पर भी कूड़ा कचरा से निपटने के लिए जहा जरूरत वहा डस्टबिन भी नहीं लगाए गए , मडियादो, हिनौताकला ‘रनेह इन पंचायतो मैं जगह जगह कचडा के ढेर नजर आते हैं
तो वहीं हटा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतें जहां पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत हर घर शौचालय बनाए गए थे लेकिन पंचायत कर्मियों द्वारा शौचालयों को भी अपनी खानापूर्ति के लिए शौचालय निर्माण ठेकेदारों को सौंप अपने अपने हिस्से लेकर गुणवत्ताहीन शौचालय बना दिए जिन हितग्राहियों के शौचालय बनाए गए थे उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं रहती थी ग्रामीण बताते हैं की ठेकेदार आया उसने शौचालय बनवाया और खाता आधार कार्ड मांगा और शौचालय की राशि निकाल कर ले जाता थे
**शौचालय आए लकड़ी ईंधन के काम*
पंचायतों में बनाए गए वर्ष 2017-18 मैं बनाए गए शौचालय चढ़े ठेकेदारों की भेंट ठेकेदारों द्वारा बनाए गए शौचालय में ना तो सेप्टिक लगाई गई नाही टैंक खोदे गए और शौचालय का नमूना बनाकर सस्ता सा गेट लगाकर उसका जीरोटेक किया गया और हितग्राहियों से राशि निकलवा लीजिए वर्ष 2019 में 2 अक्टूबर को दमोह जिले को ओडीएफ बना दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत में आज भी गांव के लोग शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर रहते हैं वर्ष 2019 में शासन द्वारा हर पंचायतों में एक एक स्वच्छता हितग्राही के नाम से हर एक पंचायत में नियुक्ति की गई थी उसके बावजूद भी गांव को ओडीएफ बनाने में असफल रहे सिर्फ कागजों में ग्राम पंचायतों को ओडीएफ बना दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत पर आज भी लोग शौच के लिए बाहर ही जाते हैं हालांकि स्वच्छता ग्राहीयों ने हर संभव प्रयास भी किए लोगों को मोटिवेट भी किया की खुले में शौच करने एवं कूड़ा कचरा गंदगी एवं साफ सफाई रखें फिर भी पंचायत कर्मियों द्वारा इस पर भी पानी फेरते नजर आए और साफ सफाई के नाम पर फर्जी बिल लगाकर खुद ही राशि निकालकर अपनी अपनी जेब गर्म करने में लगे रहे
*कागजों में बने शौचालय*
घर में शौचालय नहीं बना लेकिन कागजों पर शौचालय निर्माण हो चुके हैं ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच सचिवों को जब भी बोला जाता है जी हमारे घर शौचालय नहीं बना है तो सचिवों द्वारा यही बोला जाता है कि आपका शौचालय पहले बन चुका है अब छोटे स्तर के गांव के निवासी करें भी तो क्या क्योंकि सरकारी योजना के तहत बनने वाले शौचालय तो बिना बनाए ही कागजों पर बन चुके हैं
कई बार की शिकायत फिर भी नहीं हुई सुनाई