दमोह जिले की सगोनी रेंज की सर्किल नोहटा की वन बीटो में हो रहा अवैध पत्थर उत्खनन दिन रात हो रहा है एवं सगोनी रेंज मे पेड़ बहुत मात्रा में काटे जा रहे है एवं जंगल की ज़मीन पर अवैध कब्जा हो रहा और सगोनी रेंज में वन परिक्षेत्र में जंगल का पत्थर हजारों ट्राली रोज निकाला जा रहा है और अवैध रूप से बेचा रहा है एवं ग्राम पंचायतों में खकरी निर्माण खेल मैदान बाउंड्री आदि के लिए जंगल का पत्थर लगाया जा रहा हैं एवं नोहटा सर्किल की वन बीटो में खदाने नजर आ रही है एव वन विभाग के वन बीट गाड मुख्यालय पर नही रहते दमोह जबेरा बांदकपुर नोहटा में निवास करते हे और हफ्ताये में एक दिन आकर कागज की खाना पूरती निपटा कर चले जाते हैं ओर सगोनी रेंज में पत्थरों एवं अन्य पेड़ो की कटाई की शिकायतें निरंतर निकल कर सामने आ रही है जिसके चलते वन विभाग के द्वारा न कोई कार्यवाही की जा रही है और ना ही पत्थर का उत्खनन करने वाले आरोपियों को न ही मौके पर पकड़ा जाता ओर कटाई होने की बजह से जगल को साफ किया जा रहा जिससे पशु पक्षियो एव जानबर को खतरा भी बढ रहा है क्योंकि जब जगल नष्ट हो जायेगा तो जगल के पशु पक्षी एव जानबर कहा रहेगे और तस्करी करने वाले गिरोह तक वन विभाग के हाथ नही पहुच पाए है
जिससे वेशकीमती पेड़ पौधे एवं पत्थर की तस्करी फिलहाल रोक लग पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है!क्योकि जगल के पशु पक्षी एव जानवरो को खतरा बढ़ रहा है ओर बनकरमी चैन की नींद ले रहे हैं ओर अपनी जेब गरम करने में लगे हुये बताईये येसे मे केसे बच पायेगा जगल सरकार की धरोहर हो रही हे नष्ट जंगल की कटाई निरंतर चलने से जंगल का सफाया हो रहा है और जंगली जानवर खुलेआम घूम रहे हैं
अगर ऐसे में जंगली जानवरों का शिकार हो जाए या फिर कोई दुर्घटना घटित हो जाए तो इसके जिम्मेदार कौन होगा शासन वन विभाग में लाखों रुपए खर्च करती है पेड़ पौधे लगवाने के लिए एवं जंगली जानवरों और जंगल की सुरक्षा के लिए वन विभाग में वन बीट मे रखा जाता है ताकि जंगल सुरक्षित रहे लेकिन सगोनी रेंज में देखने को मिला है कि वन विभाग अपनी मनमर्जी से वन विभाग में कार्य कर रहे हैं क्योंकि कोई बोलने वाला है ही नहीं शासन भी मौन बैठी हुई है और रोज समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हो रही है लेकिन तक किसी मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात करना उचित नहीं समझा क्योंकि उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन दिया जाता है कोई कार्यवाही नहीं की जाती क्योंकि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी चुप्पी साधे हुए बैठे हैं