सरकारी विकास कार्यो की धीमी रफ्तार का आखिर कौन है जिम्मेदार सर्वे के 9 माह बाद भी ग्राम मुरली में नहीं बन पाए शौचालय सड़क का रोना बरकरार- शिवरतन नामदेव

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कटरा- जंगल में बसा ग्राम मुरली जो ग्राम पंचायत मझगवा जनपद पंचायत त्योथर के अंतर्गत आता है इस गांव में समस्याओं का अंबार है विगत 2 वर्ष पहले तक इस गांव को बहुत कम लोग जानते थे जबकि यहां लगभग सौ घर की बस्ती में लगभग 500 लोग निवास करते हैं, 2 वर्ष पहले जब यह गांव अखबारों की सुर्खियों में आया तो लोगों ने दांतो तले उंगली दबा लिया कहने लगे क्या अभी भी देश में ऐसे गांव हैं जहां आजादी के 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी विकास नहीं पहुंचा अखबारों की सक्रियता और मुरली ग्राम निवासी श्री राम खेलावन यादव, श्री गया यादव , एवं गांधी यादव के प्रयासों से प्रशासनिक अमला मुस्तैद हुआ और फिर शुरू हुआ गांव में विकास का सिलसिला। ग्राम वासियों के नाम गरीबी रेखा में जोड़े गए आधार कार्ड बनाए गए हैं और काफी जद्दोजहद के बाद मुरली गांव तक पहुंची बिजली , लेकिन अभी आज भी कई मूलभूत विकास कार्य रुके हुए हैं जैसे शौचालय और सड़क जो इन मुरली वासियों के लिए अत्यंत आवश्यक है श्री राम खेलावन यादव ने बताया कि शौचालय और सड़क के लिए मैं कई बार कलेक्टर महोदय से मिलकर लिखित निवेदन कर चुका हूं कलेक्टर रीवा द्वारा नरेगा अधिकारी त्योथर श्री संतोष कुमार शुक्ला को शौचालय बनवाने के लिए निर्देश भी दिए गए जिसका सर्वे विगत 6-10-19 को हुआ था लेकिन अभी तक मुरली गांव में एक भी शौचालय नहीं बनाए गए हैं श्री यादव ने यह भी बताया कि एक बार मैंने श्री शुक्ला जी से फोन पर बात किया तो उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि यादव जी आपका व्यक्तिगत काम हो तो बताइए मुरली को जाने दो भाड़ में। दुर्भाग्य है कि इस तरह के नकारात्मक विचार वाले लोगों के जिम्मे चलाए जा रहे हैं विकास कार्य। मुरली गांव पहुंचने के लिए कटरा नईगढ़ी मार्ग जोधपुर गांव से सड़क बनेगी जिसकी दूरी लगभग 8 किलोमीटर होगी , जो मनरेगा सुदूर सड़क योजना के तहत बनाई जाना प्रस्तावित है जब तक सड़क नहीं बनती मुरली गांव में आवागमन बाधित है इस गांव में एक प्राथमिक पाठशाला और एक वन चौकी है जहां सड़क के अभाव में ग्राम वासियों के साथ साथ शिक्षकों एवं वन रक्षकों को भी आने-जाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है अभी तक पट्टे दारो के खेत परती पड़े रहते थे जिससे यहां के लोग आवागवन करते थे लेकिन इस ब
साल सभी पट्टेदा्र अपने खेतों में तिल, कोदऊ, की खेती करने के लिए जोत लिए हैं जिससे वर्तमान में मुरली जाने के लिए रास्ता नहीं बचा है। अब विचारणीय प्रश्न यह है कि जब नौ माह पहले शौचालय का सर्वे हो गया सड़क के लिए भी आवश्यक खानापूर्ति कर ली गई, तब सरकारी विकास कार्यो की धीमी रफ्तार का आखिर जिम्मेदार कौन है क्यों नहीं बनाये जा रहे हैं शौचालय और क्यों नहीं पहुंच पा रही है मुरली गांव तक सड़क।   

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