हितग्राही को मरणोपरांत मिलने वाली राशि को भी नहीं बख्स रहे सरपंच सचिव… इधर चंदा इकट्ठा कर अंत्येष्टि के लिए रकम जुटा कर की गई थी अंत्येष्टि नहीं मिला था किसी भी योजना का लाभ, कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो मोहन पटेल की रिपोर्ट

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दमोह (मडियादो) – अब आप इसे सबसे शर्मनाक घोटाला कह सकते हैं। गरीब लोगों की मृत्यु पर अंतिम संस्कार के लिए सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली नाममात्र की राशि में भी नौकरशाही ने घोटाला करने की जुगाड़ में हैं। इस योजना के तहत 5 से 25 हजार तक सहायता दी जाती है। योजना के तहत मजदूर की मृत्यु होने पर अंत्येष्टि के लिए पॉंच हजार व अनुग्रह सहायता राशि दी जाती है, जिसमें अंत्येष्टि की राशि ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा सूचना प्राप्त होते ही तत्काल नगद रूप में हितग्राही के परिवारजनों को उपलब्ध कराने के शासन के निर्देश हैं, लेकिन इस मामले में भी सचिव और सरपंच चुप्पी साधे हुऐ हैं। मौत का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर पैसा निकालने व दस्तावेजों में हेरफेर करने के मामले भी सामने आ रहे हैं।


इंसान के मरने के बाद परिवार अपने सदस्य को खो ही देता है और गरीबी की स्थिति में जब सरकार द्वारा प्रदत्त राशि के लिए दर-दर भटकना पड़ता है, चप्पल घिस जाती है, पांव में छाले पड़ जाते हैं पर अंतिम संस्कार के नाम से दी गई राशि भला कैसे पंचायत के कर्मियों के जेब से बाहर निकल सकती है। इतनी बड़ी दुर्दशा कर रखी है, ना तो योजनाओं का कोई खुला आदेश जनता तक पहुंचता है और न ही किसी प्रकार की योजनाएं से संबंधित जानकारी। यदि योजनाओं में जरा सा भी घपला करने की बारी आती है तो इससे सरपंच सचिव जरा सा भी पीछे नहीं हटते, चाहे किसी मरते व्यक्ति का गला क्यों न दबाना पड़े।


मामला दमोह जिले की जनपद पंचायत हटा की ग्राम पंचायत मड़ियादौ का है। जहॉं पर निवासी प्रेमलाल काछी पिता स्व. रामनाथ काछी की फौत दिनॉंक 22.11.2020 को हो चुकी थी और पंचायत द्वारा उनहे 25.11.2020 को मृत्यूू प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका था। प्रेमलाल के छोटे भाई मानकलाल काछी ने बताया कि वह परिवार को अंत्येष्टि सहायता राशि का ​लाभ दिये जाने को लेकर लगातार सचिव स्वदेश त्रिपाठी से मिलने ग्राम पंचायत भवन जाते है तो वह कभी वहॉं पर मिलते नहीं है और यदि उनके ​निवास पर जाते है तो सचिव द्वारा घुमा—फिराकर बात की जाती है। सचिव द्वारा बोला जाता है कि वह अभी अपने निजी काम में व्यस्त् है और उन्हे इन छोटे—मोटे काम के लिए टाइम भी नही मिलता है। सचिव द्वारा बोला जाता है ​कि अभी पंचायत के पास पैसे नहीं है जैसे ही शासन द्वारा इस कार्य के लिए पैसे आ जायेंगे आपको बुलाकर आपको दे दिये जावेगें। ऐसे ही मड़ियादौ निवासी करीम खान पिता स्व. अनार खान की दिनॉंक 09.11.2020 फौत हुई थी। उनके छोटे भाई हजरत खान ने बताया कि पंचायत द्वारा दिनॉंक 11.11.2020 को मृत्यू प्रमाण तो जारी कर दिया गया था, ​लेकिन पंचायत सचिव त्रिपाठी लगातार अनेकों बहाने कर परिवार को अंत्येष्टि राशि उपलब्ध नहीं करा रहे हैं और आज दिनॉंक तक उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।

क्या ऐसे करतूतों को अंजाम देने वाले आए दिन जो खबरों में ऐसी बदनामी झेलते है, इतने कलंक लेकर चलने वाले ग्राम पंचायतों के अधिकारी होने के नाम को लेकर गांव की जिम्मेदारी उठाने में इन्हें जरा भी शर्म नहीं आती। कभी खुशियों के साथ छेड़खानी, तो कभी गांव की साफ-सफाई से लेकर दिमाग में गंदगी, कभी योजनाओं का पैसा जेब में डालने की हरकतें तो कभी जमीन के कब्जों पर। अब जिंदा तो जिंदा, मरे लोगों को अंतिम संस्कार जैसी राशि को मुहैया करने वाली राशि को को भी डकारने और लोगों की नजर में अधिकारी बनने का दिखावा करते हैं। अब तो सवाल यही उठना चाहिए कि ऐसे लोगों के हाथ से सत्ता ली जानी चाहिए, इन लोगों को ऐसे जिम्मेदारी दी ही नही जानी चाहिए। उस गरीब पर क्या गुजरेगी जिसके पास दो वक्त की रोटी नहीं है और उसका सदस्य आज मरा पड़ा हुआ है जिसके अंतिम संस्कार करने के लिए जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं है। सरकार उनको देती है तो क्या, यह करतूत उन गरीबों की आंखों से अपने सेवक होने का भाव, अपनी नजरों से सामना कर पाएंगे, इन सब सवालों के जवाब आखिर कहां छुप कर रह गए और इन पर कभी कार्यवाही क्यों नहीं की जाती।

बांदकपुर चौकी अन्तर्गत टिकरी बुजुर्ग गांव में हो गई थी वृढ़ की मौत, ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर की थी अंत्येष्टि नहीं मिला था किसी भी तरह की योजना का लाभ…

आपको बता दें कि कुछ दिनों पूर्व ही जिले की सीमा से 20 किलोमीटर दूर बांदकपुर चौकी अन्तर्गत टिकरी बुजुर्ग गांव में एक मामला सामने आया था जहां एक वृद्ध की लंबी बीमारी के चलते आसमयिक मौत हो गई थी। मृतक के परिवार में केवल एक ही पुत्र है जो मानसिक रूप से विछिप्त है। घटना की जानकारी तत्काल ही ग्रामीणों के द्वारा गांव के सरपंच के लिए दी गई थी। लेकिन घटना को गंभीरता से न लेते हुए सरपंच ने भी आर्थिक मदद करने और दिलाने के लिए हांथ खड़े कर लिए थे। जिसके बाद ग्रामीणों ने जनपद सी ओ से गुहार लगाई थी। जिन्होंने आश्वाशन देते हुए तत्काल सहायता राशि दिलाए जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया था। जब ग्रामीणों के लिए दूर दूर तक मृत की अंत्येष्टि करने की आश सरकारी वाशिंदो से होते हुए दिखाई नहीं दी तो सभी ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके मृत की अंत्येष्टि करने का फैसला किया और मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। ऐसे संवेदनशील मामलों में भी जनप्रतिनिधि अपना स्तर खो देते है। जिन्हे महज भ्रष्टाचार करने की होड़ और मौका दिखाई देता है। जबकि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान पहले ही कह चुके है। की किसी भी जरूरतमंद की अंत्येष्टि के लिए कफ़न का इंतजाम मध्यप्रदेश सरकार करेगी मगर जमीनी स्तर पर देखा जाए तो यह योजनाएं जरूरतमंदो को महज औपचारिकता साबित होती है। इन दोनों घटनाओं को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है। की किस तरह हमारे और आपके जनप्रतिनिधि किस तरह शासकीय योजनाओं में लाभ दिलाने की बजाय पलीता लगाने में लगे हुए है। लेकिन इन की ओर प्रशासनिक अधिकारियों का भी ध्यान नहीं जाता है, या फिर कहा जाए कि यह भी इन विभिन्न घटनाओं में पूर्ण रूप से हिस्सेदार है। क्योंकि जानकारी होने के बावजूद भी कार्यवाही के नाम पर महज औपचारिकता निभाते हुए इनके द्वारा कार्यवाही किए जाने से ही ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं शहरी क्षेत्र में भी भ्रष्टाचारी जनप्रतिनिधियों के हौसले बुलंद है। अब देखने होगा की उक्त सरपंच सचिव के खिलाफ ठोस कार्यवाही की जाती है अथवा नहीं या फिर यह किसी मृतक के क्रियाकर्म को दी जाने वाली राशि को डकारने की फिराक में होंगे।

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