नही थम रहा अवैध उत्खनन और परिवहन, खुलेआम धड़ल्ले से चल रहा व्यापार… पत्थरों से चांदी काट रहे अधिकारी, कर्मचारी और भूमाफिया…/कुंडेश्वर टाइम समाचार संपादक मोहन पटेल की खास रिपोर्ट

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दमोह – जबेरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत गोलापट्टी के गांव सलैया बगलवारा में अवैध खनन और परिवहन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। खनन माफिया बेखौफ होकर गोलापट्टी के सलैया बगलवारा गांव से लगे वन परिक्षेत्र और राजस्व विभाग की भूमि का सीना छल्ली करते रहते हैं लेकिन जिम्मेदार आला अफसर जानकर भी अनजान बने हुऐ हैं, वह केवल और केवल मूकदर्शक बने हुऐ हैं, ऐसा प्रतीत होता है मानो जैसे अफसरो को न तो कुछ दिखाई देता है और न ही कुछ सुनाई देता है। अवैध खनन और परिवहन का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। माफियाओं के दर्जनों ट्रैक्टर रोजाना बिना किसी डर के पत्थर तुड़वा रहे है और ढोने में लगे हुए हैं। चाहे बात वन विभाग की जमीन की हो, चाहे राजस्व की जमीन की हो या चाहे वन विभाग की हो, माफियाओं द्वारा चारों तरफ पत्थर से लेकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है और लगातार दिन-दहाड़े परिवहन भी हो रहा है।, यहॉं तक कि माफियाओं ने तो सलैया बगलवारा से लगे हुऐ नदी और नालों को भी नहीं छोड़ा। नदी—नालों में पानी नही होने के कारण वहॉं पर पत्थरों की चट्टाने साफ-साफ दिखाई ​देने लगी है, जिससे अब माफियाओं की नजर नदी-नालों पर भी लग चुकी है। ग्राम पंचायत गोला पट्टी के गांव सलैया बगलवारा से लगे हुए नाले का जो कि गांव के उसपार है, उसे सुंदरता के लिए जाना जाता है लेकिन भूमाफिया और अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत से नदी नालों की सुंदरता भी बिगड़ती जा रही है। सलैया बगलवारा के नाले पर सुबह से लेकर शाम तक पत्थर निकाले जाते हैं और दिनदहाडे ही ट्रैक्टर के माध्यम से बेखौफ होकर पत्थर उठवा लिए जाते हैं। खनन माफिया जिस तरह से अवैध उत्खनन और परिवहन को अंजाम दे रहे हैं, मानो इन्हें रोकने वाला कोई भी नहीं है। इस स्थान से मात्र कुछ ही दूरी पर सगोनी रेंज कार्यालय, पुलिस थाना, वन विभाग चौकी, तहसील कार्यालय और ग्राम पंचायत भवन स्थित हैं, लेकिन माफियाओं को रोकने का साहस कोई भी आला अधिकारी कर्मचारियों द्वारा नहीं उठाया जाता है। पिछले कई महीनों से ये अवैध उत्खनन और परिवहन का कार्य चल रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी कर्मचारियों द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है। सलैया बगलवारा से लेकर वन विभाग एवं राजस्व विभाग के समस्त संबंधित विभागों के उच्च्अधिकारी कर्मचारियों, तहसील जबेरा और सभी राजनैतिक लोगों को पता होने के बाद भी भूमाफियाओं के द्वारा किये जा रहे अवैध उत्खनन को रोका नही जा रहा है जिससे माफियाओं के हौसले और अधिक बुलंद होते जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये पूरा कारोबार नीचे से लेकर उपर तक सभी की मिलीभगत से चल रहा है, क्यों कि रोक—टोक नहीं होने से उनकी जेबें भी गरम हो रही हैं। आपको बता दें कि खनन माफियाओं ने जगह-जगह अपने आदमी खड़े किए हुऐ हैं जो होने वाली हर गतिविधि की जानकारी अपने आकाओं को देकर बचने में कामयाब हो रहे हैं। विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते जल्द ही यह अवैध खनन किसी बड़ी तबाही को अंजाम दे सकती है।
अवैध उत्खनन और परिवहन के बारे में जानकारी दी गई, लेकिन , वनविभाग और राजस्व द्वारा उक्त जगहों पर हो रहे अवैध खनन को अपने विभाग की संपत्ति् नहीं होने का दावा करके अपना-अपना पल्ला झाड़ दिया जाता है। अब बात समझ से परे है कि जब उक्त् जमीन न तो वन विभाग की है और न ही राजस्व विभाग की तो फिर ये जमीन जहॉं पर दिन-दहाड़े अवैध खनन और परिवहन हो रहा है आखिरकार किस विभाग की जमीन है, जब कि बीते कई दिनों से जबेरा क्षेत्र की अवैध उत्खनन की खबरें प्रकाशित कर रहा हूं लेकिन राजस्व के अधिकारी एवं वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई कई बार तो अधिकारी कर्मचारी द्वारा ये बोला गया कि क्या मैं अकेला ही जिम्मेदार हॅू जो माफियाओं से लड़ाई करूं, उन पर कार्यवाही करूं, मैं अकेेले उनके द्वारा किये जा रहे उत्खनन पर कार्यवाही क्यो करूं। समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद कार्यवाही के नाम पर चालान तो दूर की बात, कार्यवाही के नाम पर सिर्फ लेबर के औजार जैसे कि सब्ब्ल, गैंती, फावड़ा उठा लिये जाते है उसके बाद किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
विभाग के कार्यालयों के सामने से ही ट्रेक्टर ट्रालियों के माध्यम से परिवहन होना चालू हो जाता है। राजस्व विभाग कार्यालय, पुलिस थाने और वनविभाग चौकी से मात्र कुछ दूरी पर बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन के खेल से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों की नाक तले हो रहे इस अवैध खनन के पीछे का राज क्या है। सरकार ने अवैध खनन को रोकने के लिए अलग-अलग अनेकों विभागों को अधिकार दिए हैं लेकिन कोई भी विभाग इस अवैध खनन को रोकने की जहमत नहीं उठा रहा है। जबेरा क्षेत्र में हो रहे इस अवैध खनन की वजह से जंगल का और नदी-नालों के अस्तिब पर खतरा मडरा रहा है।
अब देखना यह है कि खबर लगने के बाद आला अफसर और कर्मचारी माफियाओ पर किस प्रकार की कार्यवाही कर रहे हैं।
इसकी जानकारी देने के लिए मैंने जबेरा तहसीलदार को फोन लगाया तो उनका फोन बिजी जा रहा था फिर थोड़ी देर बाद लगाया तो रिंग जाने लगी फिर भी फोन नहीं उठाया और उन्होंने बाद में फोन को रिटर्न नहीं किया लगता नीचे से ऊपर तक सब अधिकारियों की मिली भगत से यह अवैध उत्खनन चल रहा है

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