यदि पीएम आवास का पक्का मकान अमीरी का पैमाना है तो गिरा दो मेरा मकान,मेरे बच्चों को मकान से ज्यादा भोजन की जरूरत है

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कटरा(Kundeshwartimes) -मामला सीधी जिले के मझौली तहसील अंतर्गत ग्राम गिजवार का है। गिजवार निवासी बरमदीन नामदेव ने सजल नेत्रों और रुंधे गले से बताया कि जब मैं नाबालिक था तभी मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया था, मजदूरी करके मेरी मां ने मुझे पाला पोसा और हैसियत के अनुरूप पढ़ाया भी, मैं पढ़ाई के साथ साथ सिलाई का भी काम सीखता था , लेकिन अच्छी सिलाई ना बनने के कारण ज्यादा ग्राहक नहीं आते हैं ,विषम परिस्थितियों में भी पढ़ाई जारी रख कर कई बार शिक्षक के लिए परीक्षा दिया , लेकिन नौकरी नहीं मिल पा रही है , अतिथि शिक्षक में प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने जाता हूं, जिसमें ₹5000 मिलते हैं वह भी परमानेंट नहीं है, वर्तमान में मेरे आश्रित मेरी मां 3 बच्चे और पत्नी हैं, जिनका भरण-पोषण बडे़ मुश्किल से हो पाता है, मुझे और मेरी मां को पीएम आवास जरूर मिल गया है, जिसमें आधा-अधूरा घर बन गया है, मेरे घर में आज 3 वर्ष से दरवाजे नहीं लग पाए, शायद दुनिया का पहला मकान मेरा होगा जिसमें एक भी दरवाजे नहीं है। मेरे पास जमीन भी नहीं है केवल उतनी ही जमीन है जिसमे मेरा घर बना हुआ है, नामदेव ने बताया कि मैं लगभग 15 वर्ष से बीपीएल सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए भटक रहा हूं, लेकिन आज तक मेरा नाम बीपीएल सूची में दर्ज नहीं हो पाया , विगत दिनों 20 -9 -2022 को एक बार फिर उप तहसीलदार मड़वास के समक्ष आवेदन देने पहुंचा, जहां पहले तो तहसीलदार साहब आवेदन लेने को तैयार नहीं थे, बड़ी आरजू मिन्नत करने के बाद एक शर्त पर आवेदन लिया, कहा कि पहले अपने गांव के 20 25 आदमी के नाम बीपीएल सूची से कटवा दो तभी तुम्हारा नाम जुड़ेगा । भला मैं नाम जुड़वाने और कटवाने वाला कौन होता हूं अगर इतनी ही हैसियत होती तो मैं कईयों के नाम काट कर अपना नाम लिखवा लेता। आवेदन देने के महीनों बीत जाने के बाद हल्का पटवारी गिजवार राजकुमार सिंह से जब मैंने जानकारी चाही तो उन्होंने कहा अभी कोई आवेदन मेरे पास नहीं आया है, और तुम्हें यह भी बता दूं कि तुम्हारा नाम बीपीएल सूची में नहीं जुड़ पाएगा तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि बिना कुछ लिए दिए बीपीएल सूची में नाम नहीं जुड़ता, तुम नेतागिरी ज्यादा करते हो इसलिए तुम्हारा तो किसी तरह से नाम नहीं जुड़ेगा, परेशान होकर पीड़ित ने 16 -12-22 को सीएम हेल्पलाइन 181 में शिकायत दर्ज करवा दिया, कुछ दिन बाद सीएम हेल्पलाइन से फोन आया और बताया गया कि तुम्हारा निराकरण कर दिया गया, जब तहसील में जाकर पता किया तो बताया गया कि आपका हल्का पटवारी आपको 14 नंबर के बजाय 24 नंबर दिया है ,जिससे आप बीपीएल श्रेणी के लिए पात्र नहीं हैं, पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में लिखा है कि आवेदक की बहुत बड़ी सिलाई की दुकान है प्रधानमंत्री आवास का पक्का मकान बना है, ग्राम गिजवार में 160 हेक्टेयर जमीन है, जबकि मेरे पास केवल एक डिसमिल जमीन है ,जिसमें मेरा मकान बना हुआ है, मेरे पास कोई बड़ी सिलाई की दुकान नहीं है, बाप के जमाने की एक पुरानी मशीन है जिससे कभी कभार फटा पुराना सिलता हूं। प्रधानमंत्री आवास का पक्का मकान जरूर है जिसमें छत तो है पर दरवाजे नहीं हैं ,बरमदीन ने बताया कि हमारे गांव में सैकड़ों ऐसे लोग हैं जिनके 10:15 एकड़ जमीन है पक्का मकान है, मोटरसाइकिल है उनका भी नाम बीपीएल सूची में जुड़ा हुआ है , आए दिन हल्का पटवारी राजकुमार सिंह द्वारा 3000₹4000 लेकर अभी भी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं, लेकिन मुझ गरीब को ज्यादा अंक देकर अपात्र घोषित कर दिया गया। विकास यात्रा में आए विधायक कुमर सिंह टेकाम को भी पीड़ित ने प्रार्थना पत्र देकर बीपीएल में नाम जुड़वाने का अनुरोध किया है ,विधायक जी ने आश्वासन दिया है कि इसकी पुनर जांच कराई जाएगी और आपका नाम बी पी एल सूची मे जोड़ा जाएगा, उस वक्त मौके पर अनुविभागीय अधिकारी मझौली एवं आर आई भी मौजूद थे, विधायक जी ने आर आई को जांच करके उन्हें अवगत कराने को कहा था, लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की जांच नहीं की गई, ऐसा लगता है की शिवराज सिंह के राज में अधिकारी कर्मचारी विधायक और सांसद से अपने आप को बड़ा समझने लगे हैं, पीड़ित बरमदीन नामदेव ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री आवास अमीरी का पैमाना माना जाता हो तो मैं मध्य प्रदेश सरकार से निवेदन करता हूं कि मेरे घर को गिरा दिया जाए , मेरे बच्चे पक्का मकान में तभी रहेंगे जब उन्हें खाने को अनाज मिलेगा, जब खाने को ही नहीं है तो फिर पक्का मकान का कोई औचित्य नहीं रह जाता, गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि हर जरूरतमंद को राशन जरूर मिले, सरकार का सख्त निर्देश भी है लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की घूसखोरी की नीति के चलते सरकार का आदेश भी फाइलों में दफन हो जाता है , वर्तमान में समाचार पत्रों में छपी खबर और शिकायती आवेदन सब बेमानी हो गए हैं गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं है, ऐसे में सरकार की विकास यात्रा जनता को एक ढकोसला लगता है , लगता है कि प्रदेश सरकार तब जागेगी जब बिहार जैसा भात भात चिल्लाता कोई दुधमुंहा बच्चा दम तोड़ देगा , बरमदीन नामदेव ने एक बार फिर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह एवं कलेक्टर सीधी से अनुरोध किया है कि मेरा नाम बीपीएल सूची में जोड़ा जाए जिससे मेरे बच्चों को राशन मिल सके।

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