कुरीति को मिटाने के निर्णय की समाजजनों ने की सराहना
शोकसभा कर मृत आत्मा की शांति के लिये की गई प्रार्थना
पन्ना। आज के इस सभ्य समाज के दौर में कई प्राचीन परम्परायें ऐसी है कि जो आज आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए इन परम्पराओं का निर्वाहन कर पाना इनके बस के बाहर की बात है। और बहुत हद तक अब इन पुरानी मान्यताओं को कुछ लोग कुरीतियों से जोडऩे लगे है। और इनमें बदलाव करने पर जोर भी दे रहे है। आज ऐसी एक पुरानी परम्परा पवई विधायक प्रहलाद लोधी की मातृशोक सभा में यह मुद्दा उठा और इस पर लोधी समाज के सभी लोगों ने अपनी सहमति जताकर निर्णय लिया कि कुछ पम्पराओं में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। जैसे मृत्यु भोज लम्बे समय से बहस का मुद्दा रहा है। कई विद्वानों का मानना है कि यह एक सामाजिक बुराई हैए इसे बंद किया जाना चाहिए। जबकि कुछ लोग इस वैदिक व्यवस्था के पक्षधर है। सबके अपने-अपने तर्क है। बावजूद इसके आधुनिक प्रगतिशील समाज में यह सोच लगातार मजबूत हो रही है कि अपनों का खोने का दु:ख और ऊपर से तेरहवीं संस्कार पर भारी भरकम खर्च कहाँ तक उचित है। इस कुरीति के कारण कई दु:खी परिवार कर्ज के बोझ तले दब जाते है। जीवन भर कर्ज के कुचक्र से मुक्त नहीं हो पाते है। पन्ना जिले में लोधी समाज की बैठकों में लम्बे समय से मृत्यु भोज को बंद करने की बात होती रही है। पवई विधानसभा के विधायक प्रहलाद लोधी की माता श्रीमती हक्की बाई 90 वर्ष का निधन हो गया है। उन्होंने अपनी माता जी स्वर्गीय हक्की बाई लोधी के निधन उपरांत तेरहवीं के दिन मृत्यु भोज आयोजित न करके सदियों से चली आ रही इस समाजिक कुरीति को मिटाने का साहसिक कदम उठाया है। अच्छी बात यह है कि समाजजनों ने उनके इस निर्णय की सराहना की है। समाज के प्रबुद्धजनों ने इस निर्णय को मानवीयए व्यवहारिक और दूरदर्शितापूर्ण बताया है।
परिजनों की सहमति से लिया फैसला
उल्लेखनीय है कि पवई विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की माता स्व. हक्की बाई लोधी 90 वर्ष का 11 फरवरी 2020 को दुखद निधन हो गया था। वे कुछ समय से बीमार चल रहीं थीं। उनके गृह ग्राम रैयासांटा में उनका अंतिम संस्कार विधि-विधान के साथ परिवाजनों के द्वारा किया गया। लेकिन उनकी त्रियोदशी, तेरहवीं होने पर मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय परिवार के सभी सदस्यों की पूर्ण सहमति से लिया गया। इसके पीछे मंशा तेरहवीं के मृत्यु भोज की सदियों पुरानी कुप्रथा को सामाप्त करने का संदेश देना है। कई विद्वानों का मानना है कि कोई भी उपदेश और संदेश तभी सार्थक और प्रभावी साबित होता है जब व्यक्ति स्वंय उसे अपने व्यवहार में उतारते है। मृत्यु भोज को बंद करने की समाजिक स्तर पर चल रही चर्चाओं के बीच लोधी समाज की युवा इकाई के अध्यक्ष चन्द्रशेखर लोधी ने इसकी शुरूआत अपने घर से करके समाज के समक्ष अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया है।
समाज सुधार की दिशा में क्रांतिकारी कदम
प्राप्त जानकारी के अनुसार पवई विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की माता स्व. हक्की बाई लोधी 90 वर्ष का 11 फरवरी 2020 को दुखद निधन हो गया था। जिसमें बड़ी संख्या में दूर-दूर से समाज के लोग, परिचित और क्षेत्रवासी शामिल हुये। लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम होने के बावजूद विधायक प्रहलाद सिंह लोधी ने तेरहवीं पर मृत्युभोज आयोजित नहीं करने का समाजजनों के साथ निर्णय लिया। बेशक उनका यह निर्णय कतिपय लोगों को रास नहीं आया पर उन लोगों की तादाद कहीं अधिक है जो कि इस निर्णय को समाज सुधार की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताते हुये उसके पक्ष में दृढ़ता के साथ खड़े हैं। उनकी इस भावना और निर्णय का राष्ट्रीय लोधी युवा महासभा के जिलाध्यक्ष लोधी चन्द्रशेखर सिंह, राजा सिंह महदेले, शिवमोहन सिंह, राजेन्द्र लोधी ने खुले मन से स्वागत किया है।
ताकि कमजोर परिवारों को न हो अड़चन
विधायक प्रहलाद सिंह लोधी ने बताया कि माता जी के तेरहवीं पर मृत्युभोज आयोजित करने में उन्हे किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी। लेकिन इस अति पिछड़े और अशिक्षित इलाके के अधिकांश लोग गरीब है, जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है। हमने मृत्यु भोज का बहिष्कार इस उद्देश्य से किया है ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग समाजिक परम्पराओं और झूठी मान्यताओं के दबाव में आए बगैर इस कुरीति को नकारने का साहस कर सकें। उन्हें यह बताने में आसानी हो कि जब समाज के अध्यक्ष ने ही मृत्यु भोज नहीं कराया तो फिर इस कुप्रथा को हम क्यों ढोएं। अनूठी बात यह है कि पहलाद सिंह लोधी के परिवार के द्वारा मृत्युभोज के स्थान पर शोकसभा आयोजित की गई। जिसमें सभी लोगों ने उनकी स्वर्गीय माता जी की आत्मा की शांति और शोकसंतृप्त परिजनों को इस वज्रपात को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिये ईश्वर से प्रार्थना की है। शोकसभा में चन्द्रशेखर, राजा सिंह महदेले, शिवमोहन सिंह, सुभाष सिंह लोधी, अंगद लोधी, राजेन्द्र सिंह लोधी, महेन्द्र सिंह लोधी, प्रीतम सिंह लोधी, केश कुमार लोधी, संतकुमार लोधी, गोपाल, रविशंकर लोधी बाकल, उत्तम सिंह, गोविन्द्र शिक्षक, पुरषोत्तम लोधी सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र एवं समाज के लोग शामिल रहे।