आचार्य उमेशमुनिजी की पावन स्मृति में तीन दिवसीय आराधना 11 सितम्बर से,थांदला से मनीष वाघेला की रिपोर्ट

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थांदला। जिन शासन गौरव जैनाचार्य पण्डित रत्न श्री उमेशमुनिजी की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष वर्षावास के दौरान तीन दिवसीय अणु स्मृति दिवस का आयोजन धर्मदासगण एवं अधीनस्थ संस्थाओं द्वारा देश के विभिन्न श्रीसंघों में
तप-त्याग व गुणानुवाद के साथ मनाया जाता है। इस
वर्ष भी प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी की प्रेरणा से
11-12 व 13 सितंबर को देशभर में एक साथ मनाया जाएगा। श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत, सचिव प्रदीप गादिया, प्रवक्ता पवन नाहर व ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पिचा ने बताया कि इस बार स्वयं प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी, अभयमुनिजी, गिरीशमुनिजी, शुभेशमुनिजी आदि ठाणा – 4 स्थानीय पौषध भवन पर
और साध्वी निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी श्रीजी आदि ठाणा – 4 धर्म धरा थांदला दौलत भवन महिला स्थानक पर विराजित है जो आचार्य श्री उमेशमुनिजी की जन्मभूमि है। उनके सानिध्य में कोविड -19 महामारी पर शासन के निर्देशों का पालन करते हुए तीन दिवसीय अणु स्मृति दिवस मनाया जाएगा।

यह है आयोजन कि रूपरेखा

अणु स्मृति दिवस के तहत 11 सितंबर शुक्रवार से
13 सितंबर रविवार तक तीन दिवसीय आयोजन में नित्य एकासन तप व 3-3 सामयिक आराधना के साथ 11 सितंबर शुक्रवार को महामारी नवकार महामंत्र के जाप, 36 वंदना आदि धार्मिक आराधना होगी। 12 सितंबर शनिवार को नवकार महामंत्र के जाप, अणु चालीसा का पाठ आदि धार्मिक आराधना होगी। वहीं 13 सितंबर रविवार को रात्रि 8 से 9 बजे तक सपरिवार सामायिक के साथ गुरु गुणगान करेंगे। साथ ही
श्रावक-श्राविकाएँ आचार्य श्री उमेशमुनिजी के द्वारा रचित पुस्तक “केशी गौतम भाग-3“ को एक वर्ष में
पढ़ने, 200 सामायिक स्थानक में एक वर्ष में करने
साथ ही 101 दिन बड़े स्नान का त्याग वर्षभर में
करने का संकल्प लेते हुए वार्षिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। श्रीसंघ ने आचार्य श्री उमेशमुनिजी की पावन स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय
आयोजन में समस्त श्रावक-श्राविकाओं से अधिक से
अधिक संख्या में आराधना करने का अनुरोध किया
है।

श्रावक श्राविका दूर से ही करेंगे सन्त दर्शन व प्रत्याख्यान ग्रहण

कोरोना काल में सन्त सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी श्रद्धालुजन संत व साध्वी मण्डल के दूर से ही दर्शन कर तपस्या के व्रत प्रत्याख्यान व मांगलिक आदि ग्रहण करेंगे। इस दौरान बाहर से सन्त दर्शन को आने वालें गुरु भक्तों को आगमन की पूर्व सूचना भी श्रीसंघ को देना अनिवार्य होगा।। 

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