जैनाचार्य उमेशमुनिजी की 89 वीं जयंती पर पंच दिवसिय तप महोत्सव का आयोजन

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जैनाचार्य उमेशमुनिजी की 89 वीं जयंती पर पंच दिवसिय तप महोत्सव का आयोजन

महापुरुषों की जयकार ही नही उनसे प्रेरणा भी ले-निखिलशीलाजी

मनीष वाघेला

थांदला। जिन शासन गौरव पूज्य श्रीधर्मदास सम्प्रदाय के जैनाचार्य जन जन की आस्था के केंद्र उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” की 89 वीं जन्म जयंती बुद्धपुत्र प्रवर्तक श्रीजिनेन्द्रमुनिजी की पावन प्रेरणा से थांदला श्रीसंघ में पंच दिवसीय रत्नत्रय की आराधना के साथ मनाई जा रही है। इसी तारतम्य में आज प्रातः 8 से 9 बजे तक महामन्त्र नवकार के जाप हुए उसके बाद विराजित महासतियाजी के मंगलकरी प्रवचन हुए। आचार्य श्री के पावनकारी जीवन पर अपनी भावाभिव्यक्ति फरमाते हुए पूज्या श्रीनिखशीलाजी म.सा. ने कहा कि अहंकार विसर्जन की क्रिया तो सद्गुरु के चरणों में शीश झुकाना ही है परंतु आज स्वार्थ के वशीभूत हमारा शीश हर स्थान पर झुक जाता है जिससे सम्यग श्रद्धा बन नही पाती। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की केवल जय जयकार ही नही करें अपितु उनके कहे हुए वचन उनके जीवन से प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन को रूपांतरित करने से उनका जन्म दिवस निमित्त मंगल कारक बन जाता है। उन्होंने कहा जैसे विषयों में आसक्त शरीर भोगी बन जाता है वैसे ही हमारी जागृत अनासक्त अवस्था हमें योगी बना देती है। दशवैकालिक आगम के दूसरे अध्ययन की गाथा का भाव फरमाते हुए पूज्याश्री ने कहा कि स्वयं बुद्ध, पण्डित और सम्यग चारित्र को प्राप्त बुद्ध महापुरुषों का जीवन चारित्र अज्ञान को हटाकर ज्ञान दशा प्राप्त कराता है बस उसे शिरोधार्य करने की आवश्यकता है। महासती पूज्या श्रीप्रियशीलाजी म.सा. ने कहा कि जिस तरह हमारे द्वारा की गई छोटी छोटी भूल हमें बुरा बना देती है, क्षण क्षण बन कर युग बन जाता है वैसे ही महापुरुषों का निमित्त पाकर अपने जीवन को थोड़ा थोड़ा बदलने से वह महान बन जाता है और एक दिन संसार दावानल से मुक्त हो जाता है। पूज्या श्री ने कहा कि समय तो सबके पास होता है परंतु उसको धर्म में लगाने की कला हर किसी के पास नही होती। मानव जीवन की सार्थकता तो समय का सदुपयोग करते हुए महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर प्रमाद पर विजय के प्रयास में ही है। इस अवसर पर दीप्तिश्रीजी म.सा. ने गुरुदेव के एकादशी पर उज्जैन में पादोपगमन संथारे के साथ देह त्याग के भावों से परिपूर्ण स्तवन सुनाया।

इस तरह होंगे आगे के आयोजन

13 मार्च फाल्गुन अमावस्या पर गुरुदेव की जन्म जयंती मनाने के लिए अणुवत्स पूज्य श्री संयतमुनिजी के आगमन की पूरी संभावना है जिससे थांदला नगर में साधु – साध्वी, श्रावक – श्राविका रूप चतुर्विद संघ स्थापित हो जाएगा। तप महोत्सव की जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, मंत्री प्रदीप गादिया, युवाध्यक्ष कपिल पिचा ने बताया कि आज महामन्त्र नवकार के पावन जप से गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की शुरुआत हो गई है वही आगामी दिनों में 10 मार्च को सामूहिक पौरुसी दिवस, 11 मार्च को द्रव्य मर्यादा, 12 मार्च को सामयिक दिवस के रूप में तीन तीन सामयिक करना व 13 मार्च को सामूहिक तप दिवस के रूप में एकासन, आयम्बिल, उपवास आदि विविध तप करने की प्रेरणा गुरुभगवंतों ने दी है। पंच दिवसीय आयोजन में नवकार महामंत्र, उमेश गुरु चालीसा, सन्त प्रवचन तथा गुरु गुणानुवाद सभा का नित्य आयोजन भी चलेगा। उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।

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