कटरा (कुंण्डेश्वर टाइम्स) – कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न महामारी से बचने के लिए सम्पूर्ण भारत को लाकडाउन किया गया,लाकडाउन से वायरस फैलने और मत्यु दर मे कमी भी देखने को मिली,पर क्या यह लाकडाउन सही समय पर किया गया,क्या भारत देश का वह तबका जो मेहनत मजदूरी करके अपने आप को ओैर देश को आर्थिक शक्ति बनाने के लिए अग्रसर है,उसके अनुरुप था,क्या भारत मे लाकडाउन मे देरी हुई,जिसके कारण आज वह भारत जो महाशक्ति बनने का दम्भ भरने लगा था,आज आर्थिक विपन्नता और भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है,सवाल कई है,जवाब देने को कोई तैयार नही है,अपनी गल्तियो पर ताली और थाली बजवा कर सरकार जश्न मना रही है,राग-दरबारी मृदंग बजा- बजा कर पीठ थपथपा रहे है,वायरस से ज्यादा भूख और भय से मौत हो रही है,लोग मानसिक रोगी हो रहे है,अनिश्चित कालीन लाकडाउन से मेहनत कश मजदूर जो अन्य प्रदेशो मे जाकर पैसा कमाते थे,जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होता था,वह कार्य स्थल से भाग रहे है,कोई पैदल कोई सायकल से तो कोई मालवाहक ट्रको से हर कोई अपने-अपने घर पहुंचना चाहता है,क्यो कि सरकार की सभी घोषणाए खोखली साबित हो रही है इस महामारी मे सबसे ज्यादा यदि कोई भुगत रहा है,तो वह है मजदूर वर्ग,और छोटे व्यापारी जो रोज कमाते खाते थे। आज जब लाकडाउन अनिश्चितता की ओर बढ़ रहा है ऐसे मे अब लोग दबी जुबान से यह कहने लगे है कि मोदी जी ने लाकडाउन करने मे बहुत देरी कर दी,जब सन 2019 मे ही कोरोना वायरस कई देशो मे अपने पैर पसार लिया था,तब आखिर मोदी जी अमेरिका के राष्ट्रपति को भारत मे बुलाकर जश्न क्यो मना रहे थे। अर्न्तराष्ट्रीय उड़ानो को बंद क्यो नही किया,जमातियो को वीजा क्यो दिया गया ,और यदि सब जरुरी था तो हवाई अडडो पर ही विदेशो से आने जाने वालो की जाचं क्यो नही की गई,और जब आज दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस तेजी से भारत मे अपना पांव पसार रहा है ,तो सरकार पांच किलो चावल और कुछेक महिलाओ के खाते मे पांच सौ रुपए डालकर भाट मिडिया से अपनी पीठ थपथपा रही हैं,गल्ती करे कोई,खामियाजा भरे कोई देश मे बीमारी को ले आने मे अहम योगदान करोड़ पतियो और अरब पतियो का है,और लाकडाउन मे गरीबो ने क्या खोया क्या पाया,इसकी एक लम्बी फेहरिस्त है,लाखो लोगो के पिछवाडे़ की चमड़ी ऐसी काली पड़ी जो कई वर्षा तक अपने मूल रुप मे नही आयेगी,हजारो लोग बिना वायरस के ही जिन्दगी से हांथ धो लिये है,करोड़ो छोटे व्यापारी तबाह हो गये है, जिसकी भरपाई मन की बात से होने वाली नही है,इस महामारी को भारत मे लाने की जिम्मेदारी भारत सरकार को लेनी होगी और यदि सरकार ऐसा नही करती तो यह देश की जनता के साथ नांइसांफी होगीं।मेहुल चौकसे नीरव मोदी और तमाम अरब पतियो के कर्ज के बटटे खाते मे डालने से देश की जनता का भला नही होने वाला है, जनता को चाहिए विकास की ठोस रणनीत और त्वरित मेडिकल सुविधा साथ ही लाकडाउन मे तबाह हुए छोटे व्यापारियो को फिर से अपना व्यापार शुरु करने के लिए एक मुस्त धन चाहे वो बैंको के द्वारा दिया हुआ लोन या फिर सरकार द्धारा अंशदान, कहने का तात्पर्य यह है कि जनता ने पाया कुछ नही है,सिर्फ खोया है,और इस खोने की जिम्मेदार केवल और केवल सरकार है तो जिम्मेदारी भी सरकार की ही होनी चाहिये !

