थांदला में श्रावण मास में हुई पशुपतिनाथ महादेव व शिव परिवार की प्राणप्रतिष्ठा* _भगवान शिव को क्यो कहा जाता है पशुपतिनाथ, बारह ज्योतिर्लिग में पशुपतिनाथ नही है फिर भी उन्हें देदीप्यमान लिंग माना जाता है_

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*थांदला में श्रावण मास में हुई पशुपतिनाथ महादेव व शिव परिवार की प्राणप्रतिष्ठा*

_भगवान शिव को क्यो कहा जाता है पशुपतिनाथ, बारह ज्योतिर्लिग में पशुपतिनाथ नही है फिर भी उन्हें देदीप्यमान लिंग माना जाता है_

थांदला मनीष वाघेला

थांदला के कलाजी नगर (फखरी कॉलोनी) में नवनिर्मित मंदिर पर पवित्र श्रावन मास में दो दिवसीय धार्मिक आयोजन में पशुपतिनाथ महादेव व शिव परिवार का प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया ।

स्तानीय हनुमान अष्ट मंदिर (बावड़ी) से गाजे बाजे के साथ विशाल शोभा यात्रा निकाली गई । रथ पर साढ़े तीन फीट के अष्टमुखी शिवलिंग की भगवान पशुपति नाथ की प्रतिमा के साथ श्री गणेशजी, माता पार्वती व ब्रह्मा,विष्णु,महेश की प्रतिमाएं विराजित की गई थी । बेंड बाजो के साथ कन्याएं सिर पर कलश लेकर चल रही थी तो महिलाये व युवा वर्ग नाचते गाते शिव के जयकारे लगाते चल रहे थे । सम्पूर्ण मार्ग पर स्थान स्थान पर शिव परिवार का फूलमालाओं से धर्मप्रेमियों द्वारा स्वागत कर दर्शन लाभ लिया । शोभायात्रा कलाजी नगर पहुची जहां विद्वान पंडितों द्वारा धार्मिक विधि विधानों व मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना कर सम्पूर्ण शिव परिवार को जलाधिवास, अन्नाधिवास व शय्याधीवास करवाया गया । इस बीच धार्मिक विधान अनुसार यज्ञ सम्पन्न हुआ । रात्रि में सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया ।

श्रावण मास के अंतिम सोमवार के शुभ दिन प्रातः 9 बजे से हवन शुरू किया गया जिसमें 6 जोड़ो द्वारा आहुतियां प्रदान की जाकर शुभ मुहूर्त में मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाकर महाआरती की जाकर महाप्रसादी वितरण की गई ।

 

*क्यो कहा जाता पशुपतिनाथ*

 

हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है. 16 अगस्त को श्रावण माह का अंतिम सोमवार रहा, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामना पूरी होती हैं भगवान शिव का यह अस्त्र मात्र ही कल्याणार्थ है, इसी कारण इसे ‘शुभ वज्र’ कहा गया है। मनुष्य के समान पशुओं के प्रति भी शिव के हृदय में अगाध वात्सल्य था। इस कारण उन्हें ‘पशुपति’ नाम मिला। इसलिए उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। पशु अर्थात जीव या प्राणी और पति का अर्थ है स्वामी और नाथ का अर्थ है मालिक या भगवान। इसका मतलब यह कि संसार के समस्त जीवों के स्वामी या भगवान हैं पशुपतिनाथ। दूसरे अर्थों में पशुपतिनाथ का अर्थ है जीवन का मालिक। पशुपतिनाथ भगवान शिव का पर्यायवाची नाम है।

 

*विश्व मे प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर*

 

विश्व में दो पशुपतिनाथ मंदिर प्रसिद्ध हैं एक नेपाल के काठमांडू और दूसरा भारत के मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित है । दोनों ही मंदिर में समान आकृति वाली मुर्तियां स्थापित हैं । मंदसौर का मुख्य आकर्षण शिवना नदी के तट पर स्थित भगवान पशुपतिनाथ मंदिर है। जिसके पहले भाग 4 शीर्ष पर और दूसरा भाग 4 शीर्ष तल में। शीर्ष 4 सिर स्पष्ट, परिष्कृत और पूर्ण हैं तो 4 नीचे के सिर परिष्कृत नहीं हैं।

 

*बारह ज्योर्तिलिंगों में पशुपतिनाथ नही*

 

भगवान श‍िवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्‍योतिर्लिंग नेपाल के काठमांडू के हृदय में स्थित विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर हिंदुओं का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। हालांकि मान्यता प्राप्त बारह ज्योतिर्लिंगों में पशुपतिनाथ का नाम नहीं है फिर भी पशुपतिनाथ को दैदीप्यमान लिंग माना जाता है। पशुपतिनाथ को छोटे-बड़े मंदिर समूहों का महा मंदिर कहा जा सकता है।

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