नववर्ष की खुशियां मनाने देवतालाब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब,देवतालाब से सुरेन्द्र कुसमाकर की रिपोर्ट

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कोरोना गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां

नहीं दिखी कोई पुलिस व प्रशासनिक व्यवस्था

देवतालाब- देवाधिदेव श्री श्रंगेश्वर महादेव की पावन नगरी व विंध्य के ऐतिहासिक तीर्थ स्थल देवतालाब में यूं तो हर समय हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की आवक बनी रहती है परंतु विशेष धार्मिक तीज त्योहारों व अन्य भावनात्मक अवसरों पर देवतालाब के पावन शिवालय में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है । इसी क्रम में 2021 के प्रथम दिवस 1 जनवरी को नए वर्ष की खुशियां मनाने के लिए देवतालाब के शिवालय में भक्तों का भारी सैलाब उमड़ा इस दौरान प्रातः 5:00 बजे से लेकर देर शाम तक श्रद्धालुओं की लंबी कतार शिवजी के जलाभिषेक के लिए लगी रही । मान्यता है कि देवतालाब स्थित शिवालय में विराजमान स्वयंभू श्रंगेश्वर महादेव के ऊपर जल चढ़ा कर अपनी मनोकामना पूर्ति का वरदान मांगने मात्र से लोगों को एक इच्छित फल की प्राप्ति होती है और यही कारण है कि यहां लगने वाले विशेष मेलों के अलावा भी हर समय श्रद्धालुओं की आवक हजारों की संख्या में हमेशा बनी रहती है । 1 जनवरी 2021 को लगभग 15 से 20 हजार की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवजी का जलाभिषेक किया ।

नहीं रही प्रशासनिक व पुलिस की व्यवस्था

नए वर्ष के अवसर पर देवतालाब शिवालय में उमड़ने वाली भीड़ का यह पहला अवसर नहीं है अपितु प्रतिवर्ष नए साल में यहां पर इस तरह का नजारा देखने को मिलता है, जिसकी पूरी जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं प्रबंध समिति शिव मंदिर देवतालाब को रहती है । परंतु कोरोना संक्रमण के बावजूद भी शासन-प्रशासन द्वारा इतनी बड़ी संख्या में जुटने वाली भीड़ की व्यवस्था एवं नियंत्रण के लिए किसी प्रकार के प्रबंध नहीं किए गए । इतना ही नहीं मंदिर परिसर में एक पुलिसकर्मी तक की तैनाती नहीं रही जो कि आपातकालीन स्थिति में इस विशाल भीड़ के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा प्रदान कर सके इतना ही नहीं यहां मेले आदि में हमेशा चोरी चैन स्नैचिंग सहित अन्य घटनाएं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ घटित होती रहती है बावजूद इसके भी प्रशासनिक व पुलिस अमले का पूरी तरह से इस दौरान गायब रहना सरकार के सुशासन की पोल खोलता ही है साथ ही सरकार और अधिकारी आम जनता के लिए कितने तत्पर व सजग हैं यह बात भी स्पष्ट दिखाई देती है ।

औचित्य हीन साबित हो रही शिव मंदिर प्रबंध समिति

राज्य शासन द्वारा जिला कलेक्टर के निगरानी में एसडीएम मऊगंज की अध्यक्षता में एक शिव मंदिर प्रबंध समिति का गठन प्रशासनिक व्यवस्था के लिए किया गया है जिसमें अध्यक्ष एसडीएम मऊगंज तथा नायब तहसीलदार देवतालाब को सचिव का दायित्व दिया गया है प्रबंध समिति का कार्य मंदिर परिसर की परिसंपत्तियों का रखरखाव एवं मंदिर के चढ़ोत्री सहित विभिन्न मदों से प्राप्त आय से मंदिर की व्यवस्था आज करना है । उक्त समिति में एसडीएम व नायब तहसीलदार के अलावा अशासकीय सदस्यों को भी शामिल किया गया था । परंतु सरकार बदलने के बाद प्रबंध समिति को भंग कर दिया गया है वर्तमान में एसडीएम मऊगंज एवं नायब तहसीलदार अध्यक्ष व सचिव पद पर कार्यरत हैं जिनके ऊपर ही उक्त मंदिर की व्यवस्था का पूरा दारोमदार है परंतु यह देवतालाब के इस पावन शिवालय का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि एक कोटवार की तैनाती चढ़ोत्री संग्रहित करने के लिए कि जाकर अधिकारीगण अपने दायित्व से मुक्त हो गए । कोई अधिकारी यहां की व्यवस्था देखना अपना दायित्व नहीं समझता है ऐसी स्थिति में यहां प्रतिदिन हजारों की होने वाली आय का बंदरबांट होना स्वाभाविक है ।

मंदिर परिसर में दुकान लगाकर नए अतिक्रमण की शुरुआत

विदित हो कि देवतालाब मेला एरिया में स्थापित विशाल बाजार पूरा शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया है किसी भी दुकानदार के पास किसी तरह की स्वीकृति व अनुमति नहीं है लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ व्यापक रूप से अतिक्रमण सार्वजनिक है इसी तरह मंदिर परिसर के अंदर भी दुकानें लगाकर अतिक्रमण की शुरुआत की जा चुकी है जिसके लिए प्रशासनिक उदासीनता ही पूरी तरह से जिम्मेदार है।

दिन ढलते ही छा जाता है मंदिर परिसर में अंधेरा

शिव मंदिर परिसर में प्रशासनिक उपेक्षा के चलते हमेशा ही अव्यवस्था का आलम देखा जा सकता है इतना ही नहीं दिन ढलते ही जहां एक और मंदिर परिसर में अंधेरा छा जाता है तो वहीं दूसरी ओर से कुंड परिसर में असामाजिक तत्वों की चौपाल भी लग जाती है इस दिशा में मंदिर परिसर में नाही प्रकाश की कोई व्यवस्था है और ना ही सुरक्षा के कोई इंतजाम लिहाजा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को हमेशा समस्याओं का सामना करना पड़ता है इस संबंध में लगातार शासन प्रशासन से व्यवस्था की मांग की जाती रही है परंतु आज तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकले हैं । अब देखना यह है कि क्या आगे भी विंध्य के इस ऐतिहासिक तीर्थ स्थल को उपेक्षा व अव्यवस्था का दंश झेलना पड़ेगा या फिर प्रशासनिक अधिकारी यहां की व्यवस्था सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठाएंगे ।।     

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